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28% GST स्‍लैब में आने वाली वस्‍तुओं की संख्‍या सरकार करेगी कम, वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने दिए संकेत

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने GST के तहत उच्च कर 28 प्रतिशत की श्रेणी में आने वाली वस्तुओं और सेवाओं की सूची में काटछांट किए जाने का आज संकेत दिया है।

Abhishek Shrivastava Abhishek Shrivastava
Updated on: November 07, 2017 15:49 IST
28% GST स्‍लैब में आने वाली वस्‍तुओं की संख्‍या सरकार करेगी कम, वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने दिए संकेत- India TV Paisa
28% GST स्‍लैब में आने वाली वस्‍तुओं की संख्‍या सरकार करेगी कम, वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने दिए संकेत

नई दिल्ली। जीएसटी (GST) से देशवासियों को जल्‍द ही थोड़ी और राहत मिल सकती है। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने माल एवं सेवा कर (GST) के तहत उच्च कर 28 प्रतिशत की श्रेणी में आने वाली वस्तुओं की सूची में काटछांट किए जाने का आज संकेत दिया है। जीएसटी के तहत राजस्‍व संग्रह अब पूर्व के स्तर पर आने के बाद उन्होंने यह संकेत दिया है।

पहली जुलाई से लागू GST के तहत 1,200 से अधिक प्रकार की वस्तुओं और सेवाओं को 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत टैक्‍स की श्रेणी में लाया गया है। विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं के टैक्‍स निर्धारण का आधार पहले की करारोपण व्यवस्था को बनाया गया है, ताकि वस्तुओं और सवाओं पर टैक्‍स का भार पहले के स्तर पर रहे और सरकार के राजस्व पर भी प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। 28 प्रतिशत जीएसटी स्‍लैब में वॉशिंग मशीन, रेफ्रीजरेटर, इलेक्‍ट्रीकल फि‍टिंग्‍स, सीमेंट, सीलिंग फैन, घडि़यां, ऑटोमोबाइल्‍स, तंबाकू उत्‍पाद, न्‍यूट्रीशनल ड्रिंक, ऑटो पाट्र्स, प्‍लास्टिक फर्नीचर और प्‍लाईवूड आते हैं।

जेटली ने कहा कि कुछ जिंसों पर 28 प्रतिशत टैक्‍स की दर पहले से ही नहीं होनी चाहिए थी और यही वजह है कि पिछली तीन-चार बैठकों में जीएसटी परिषद ने 100 तरह की चीजों पर जीएसटी दर में कमी की है। इन पर टैक्‍स 28 प्रतिशत से घटा कर 18 प्रतिशत और 18 प्रतिशत से कम कर 12 प्रतिशत पर लाया गया है।

वित्त मंत्री ने एक कार्यक्रम में कहा कि हम धीरे-धीरे टैक्‍स की दर को नीचे ला रहे हैं। इसके पीछे विचार यह है कि जैसे आपका राजस्व संग्रह स्थिरता हासिल करता है हमें इसमें कमी (उच्च टैक्‍स दायरे में आने वाली वस्तुओं की संख्या में कमी) लानी चाहिए और परिषद अबतक इसी रूप से काम कर रही है। जीएसटी परिषद की अगली बैठक 10 नवंबर को होगी और हाथ से नीर्मित फर्नीचर, प्लास्टिक उत्पादों और शैंपू जैसे दैनिक उपयोग के सामानों पर टैक्‍स की दरें कम करने पर विचार कर सकती है।

उन्होंने कहा कि उपभोक्ता अब जीएसटी व्यवस्था में खरीदी गई चीजों पर लगने वाले टैक्‍स पर नजर रख रहे हैं, जबकि पूर्व में उत्पाद शुल्क वस्तु की कीमत में समाहित होता था। जेटली ने कहा कि पूर्व कर व्यवस्था में यह पता नहीं होता था कि आप कितना उत्पाद शुल्क दे रहे हैं।

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