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औद्योगिक मांग बढ़ने से नवंबर माह में बैंक ऋण 8.8% बढ़ा, देश पर विदेशी कर्ज सितंबर आखिर में 496 अरब डॉलर रहा

औद्योगिक क्षेत्र की ऋण मांग में एक प्रतिशत की वृद्धि की बदौलत नवंबर माह में बैंकों के गैर-खाद्य ऋण उठाव में 8.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

Abhishek Shrivastava Edited by: Abhishek Shrivastava
Published on: December 30, 2017 12:27 IST
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मुंबई। औद्योगिक क्षेत्र की ऋण मांग में एक प्रतिशत की वृद्धि की बदौलत नवंबर माह में बैंकों के गैर-खाद्य ऋण उठाव में 8.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। एक साल पहले इसी माह में दर्ज की गई 4.8 प्रतिशत ऋण वृद्धि के मुकाबले इस साल की वृद्धि करीब-करीब दोगुनी है। रिजर्व बैंक के आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है।

इससे सबसे उल्लेखनीय यह है कि कुल ऋण में औद्योगिक ऋण मांग में नवंबर माह के दौरान एक प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि एक साल पहले नवंबर में औद्योगिक मांग 3.4 प्रतिशत कम हुई थी। इस साल अक्‍टूबर माह में गैर-खाद्य ऋण 6.6 प्रतिशत बढ़ा है। हालांकि, इस दौरान कृषि एवं सबंधित गतिविधियों के क्षेत्र में ऋण वृद्धि 8.4 प्रतिशत रही। एक साल पहले इसी माह में इस क्षेत्र में 10.3 प्रतिशत वृद्धि हुई थी।

कुल ऋण में व्यक्तिगत ऋण की वृद्धि 17.3 प्रतिशत रही। एक साल पहले नवंबर में इस वर्ग में 15.2 प्रतिशत की ऋण वृद्धि दर्ज की गई थी। केंद्रीय बैंक ने कहा कि इस दौरान प्रमुख उप-क्षेत्रों जैसे कि अवसंरचना, वाहन, वाहन कलपुर्जे और परिवहन कलपुर्जे, मूल धातु और धातु उत्पाद और खनन एवं उत्खनन क्षेत्र के कर्ज में गिरावट रही। इसके विपरीत कपड़ा, रसायन एवं रसरायन उत्पादों, सभी इंजीनियरिंग, खाद्य प्रसंस्करण और निर्माण क्षेत्र के कर्ज में वृद्धि दर्ज की गई। सेवा क्षेत्र के कर्ज में नवंबर माह के दौरान 14 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई, जबकि एक साल पहले इस क्षेत्र में इसमें 7.1 प्रतिशत वृद्धि हुई थी।

देश का विदेशी कर्ज सितंबर आखिर में 496 अरब डॉलर 

देश का विदेशी कर्ज सितंबर के आखिर में 495.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो कि मार्च अंत की तुलना में 5.1 प्रतिशत बढ़ गया। आलोच्य तिमाही में मुख्य रूप से पूंजी बाजार के ऋण खंड में विदेशी निवेश बढ़ने से विदेशी कर्ज में वृद्धि हुई। 

क्रमिक आधार पर कुल विदेशी ऋण जून 2017 के आखिर की तुलना में सितंबर 2017 के आखिर तक 10 अरब डॉलर (2.1 प्रतिशत) बढ़ा। वित्त मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि आलोच्य अवधि में विदेशी कर्ज में बढ़ोतरी मुख्य रूप से घरेलू पूंजी बाजार में ऋण खंड में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) में बढ़ोतरी के कारण हुआ है। इस दौरान कुछ अल्पावधि ऋण व्यापार संबंधी ऋण की वजह से भी बढ़ा है। विज्ञप्ति के अनुसार विदेशी ऋण में बड़ा हिस्सा दीर्घकालिक ऋण का है। 

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