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Lockdown के हिसाब से ढल रहे हैं व्‍यापार और घर-परिवार, इससे मांग पर पिछले साल से कम होगा प्रभाव

लॉकडाउन जैसी पाबंदियां लगाए जाने के बीच कुछ विश्लेषकों ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अपने पहले के अनुमान घटा दिए हैं।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published : May 06, 2021 12:07 IST
 Businesses, households adapting to lockdowns demand dent to be lower than last year- India TV Paisa
Photo:PTI

 Businesses, households adapting to lockdowns demand dent to be lower than last year

नई दिल्‍ली। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि उद्यम और घर-परिवार लॉकडाउन के अनुरुप ढलने की कोशिश कर रहे हैं और पिछले साल के राष्ट्रीय लॉकडाउन के मुकाबले इस बार लागू प्रतिबंधों का मांग पर असल अपेक्षाकृत हल्का रहेगा। उन्होंने बुधवार को कहा कि होटल और खुदरा बाजार जैसे कुछ संवेदनशील क्षेत्रों में समग्र मांग में कुछ समय के लिए कमी हो सकती है। कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के बीच कुछ जगहों पर लॉकडाउन जैसी पाबंदियां लगाए जाने के बीच कुछ विश्लेषकों ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अपने पहले के अनुमान घटा दिए हैं।

वैश्विक रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने बुधवार को भारत की वृद्धि का अपना पूर्वानुमान 11 प्रतिशत से घटाकर 9.8 प्रतिशत कर दिया। रिजर्व बैंक का आकलन है कि अर्थव्यवस्था मौजूदा वित्तीय वर्ष में 10.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। पिछले वित्तीय वर्ष में कोविड-19 लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था (जीडीपी) में 7.6 प्रतिशत का संकुचन हुआ था। दास ने कहा कि स्थानीय स्तरों पर प्रतिबंध और रोकथाम उपायों के साथ व्यावसायिक इकाइयां और घर-परिवार स्थिति के अनुरुप ढलने की कोशिश कर रहे हैं। इसके चलते कुल मांग में आने वाली कमी एक साल पहले की तुलना में हल्की होने की उम्मीद है।

सामान्य बारिश से खाद्य महंगाई काबू में रखने में मिल सकती है मदद

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने खाद्य वस्तुओं और उत्पादन के साधनों दोनों ही मामलों में महंगाई का दबाव बढ़ने की बात स्वीकार करते हुए बुधवार को उम्मीद जताई कि दक्षिण-पश्चिमी मानसून के सामान्य रहने से मुद्रास्फीति का दबाव कम होगा। उन्होंने मु्द्रास्फीति के संबंध में आरबीआई के अप्रैल के अनुमान और मध्यम-काल में महंगाई के बारे में अनुमान में कोई बड़ा फर्क नहीं दिखता। कोविड-19 महामारी के बढ़ते प्रकोप के बीच बुधवार को आनन फानन में की एक एक घोषणा में दास ने कहा कि अर्थव्यवस्था के आगे के हालात को लेकर अनिश्चता है और गिरावट का जोखिम बढ़ा है।

उन्होंने लोगों और छोटे उद्यमियों के लिए कर्ज चुकाने में राहत और बैंकों को कर्ज के लिए धन की उपलब्धता बढ़ाने के उपायों के अलावा स्वास्थ्य सेवा एवं उत्पाद विनिर्माण क्षेत्र के लिए 50,000 करोड़ रुपए के वित्तपोषण की योजना की घोषणा की। दास ने यह माना कि खाद्य वस्तुओं एवं ईंधन की कीमतें बढ़ने से फरवरी के पांच प्रतिशत की तुलना में मार्च 2021 में खुदरा महंगाई 5.5 प्रतिशत हो गयी और मुख्य मुद्रास्फीति (विनिर्मित वस्तुओं के मूल्य पर आधारित महंगाई दर) ऊंची बनी रही। उन्होंने कहा कि महंगाई की आगे की दिशा महामारी के संक्रमण और आपूर्ति श्रृंखलाओं एवं रसद सामग्री पर स्थानीय कोविड के चलते स्थानीय प्रतिबंधों के असर पर भी निर्भर करेगी।

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