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FCI में भ्रष्‍टाचार नियंत्रण से बाहर, संसदीय समिति ने मोदी सरकार को दी कड़ी कार्रवाई करने की सलाह

वर्ष 2017-18, वर्ष 2018-19, वर्ष 2019-20 और वर्ष 2020-21 में दर्ज मामलों की संख्या क्रमशः 817, 828, 691 और 406 थी। पिछले वित्त वर्ष के आंकड़े सितंबर 2020 तक के हैं।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: August 11, 2021 11:33 IST
corruption could spiral out of control at the Food Corporation of India, Par panel warns- India TV Paisa
Photo:PTI

corruption could spiral out of control at the Food Corporation of India, Par panel warns

नई दिल्ली। संसद की एक स्थायी समिति ने मंगलवार को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि जल्‍द ही सख्त कार्रवाई नहीं की गई तो भारतीय खाद्य निगम (FCI) में भ्रष्टाचार नियंत्रण से बाहर हो सकता है। समिति ने इस सरकारी स्वामित्व वाली संस्था के अधिकारियों के खिलाफ बड़ी संख्या में सतर्कता जांच के मामलों को लेकर चिंता जताई है। एफसीआई खाद्यान्न की खरीद और वितरण मामलों की शीर्ष एजेंसी है।

खाद्य, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण संबंधी संसद की स्थायी समिति ने कहा कि यह जानकर दुख हुआ कि पिछले चार वित्‍त वर्षों में एफसीआई अधिकारियों के खिलाफ बड़ी संख्या में सतर्कता मामले दर्ज किए गए हैं। वर्ष 2017-18, वर्ष 2018-19, वर्ष 2019-20 और वर्ष 2020-21 में दर्ज मामलों की संख्या क्रमशः 817, 828, 691 और 406 थी। पिछले वित्त वर्ष के आंकड़े सितंबर 2020 तक के हैं। समिति ने पाया कि महाप्रबंधक (हरियाणा) के खिलाफ एक शिकायत लंबित है, और प्रबंधक (वाणिज्यिक), उदयपुर जिला और प्रबंधक (लेखा), उदयपुर के मामले में आरोप पत्र जारी किए गए हैं या जुर्माना लगाया गया है।

समिति ने मंगलवार को संसद में पेश एक रिपोर्ट में कहा कि वर्ष 2020-21 के दौरान तीन मामले केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और तीन मामले केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) को भेजे गए हैं। तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंद्योपाध्याय की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा कि उसका मानना ​​है कि अगर सख्त कार्रवाई नहीं की गई तो एफसीआई में भ्रष्टाचार नियंत्रण से बाहर हो सकता है। इसके अलावा, समिति ने सिफारिश की है कि एफसीआई को अपने अधिकारियों द्वारा भ्रष्ट आचरण का पता लगाने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ समन्वय में अपने सतर्कता तंत्र को मजबूत करना चाहिए और दोषी पाए जाने पर उनके खिलाफ कड़ी दंडात्मक कार्रवाई करनी चाहिए।

समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि निहित स्वार्थ की स्थिति से बचने के लिए एफसीआई कर्मचारियों को एक निश्चित अवधि के बाद तबादला कर दिया जाना चाहिए। अनाज के दुरुपयोग से संबंधित शिकायतों पर, समिति ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि लाभ समाज के इच्छित वर्गों तक पहुंचे, क्योंकि हर साल देश के सबसे गरीब लोगों को सब्सिडी वाले खाद्यान्न आवंटित करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पर्याप्त वैज्ञानिक भंडारण उपाय करके खाद्यान्नों को क्षतिग्रस्त होने से रोके और इसे खराब होने से बचाने के लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करे। 

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