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IMF ने कहा वैक्‍यूम क्‍लीनर की तरह नोटबंदी ने सोख ली नकदी, गांवों में पुराने नोट चलाने का दिया सुझाव

अंतरराष्‍ट्रीय मुद्रा कोष के एक वरिष्‍ठ अधिकारी ने कहा कि नोटबंदी ने नकदी को वैक्‍यूम क्‍लीनर की तरह सोख लिया और अब धीमी गति से मुद्रा को बदला जा रहा है।

Abhishek Shrivastava Abhishek Shrivastava
Updated on: February 24, 2017 19:43 IST
IMF ने कहा वैक्‍यूम क्‍लीनर की तरह नोटबंदी ने सोख ली नकदी, गांवों में पुराने नोट चलाने का दिया सुझाव- India TV Paisa
IMF ने कहा वैक्‍यूम क्‍लीनर की तरह नोटबंदी ने सोख ली नकदी, गांवों में पुराने नोट चलाने का दिया सुझाव

वॉशिंगटन। भारत में नोटबंदी से नकदी की गंभीर समस्‍या पैदा हुई और इससे उपभोग पर बुर असर पड़ा है। अंतरराष्‍ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के एक वरिष्‍ठ अधिकारी ने कहा कि नोटबंदी ने नकदी को वैक्‍यूम क्‍लीनर की तरह सोख लिया और अब धीमी गति से मुद्रा को बदला जा रहा है।

आईएमएफ के एशिया और प्रशांत विभाग के असिस्‍टेंट डायरेक्‍टर पॉल ए कैशिन ने कहा कि,

आपने गैर-परंपरागत मौद्रिक नीतियों के साथ तथाकथित हेलीकॉप्‍टर से पैसे गिराने के बारे में सुना होगा। इसी तरह नोटबंदी की पहल को वैक्‍यूम क्‍लीनर की तरल लिया जा सकता है।

  • कैशिन ने कहा कि यह नकदी को सोखने जैसा है, अर्थव्‍यवस्‍था से इसे वापस ले लिया गया और अब वैक्‍यूम क्‍लीनर उल्‍टा चलकर धीमी गति से नकदी को बदल रहा है लेकिन इसकी गति बहुत धीमी है।
  • इससे नकदी संकट पैदा हुआ है जिससे उपभोग पर प्रतिकूल असर पड़ा है।
  • बाजार में नकदी संकट के मद्देनजर आईएमएफ ने अपनी रिपोर्ट में भारत सरकार से नए बैंक नोटों को अर्थव्‍यवस्‍था में डालने का काम तेजी से करने को कहा है।
  • यदि जरूरत पड़े तो कुछ अस्थायी छूट, ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में पुराने नोट के इस्तेमाल की अनुमति जैसे कदम उठाए जाने चाहिए।

वैश्विक आर्थिक झटकों का भारत पर नहीं होगा ज्यादा असर

भारत की अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में है और अगर वैश्विक अर्थव्यवस्था को झटका लगता है तो इससे अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले भारत पर कम प्रभाव पड़ने की संभावना है।

पॉल ए कैशिन ने कहा कि,

हमने हाल में वैश्विक अर्थव्यवस्था में हल्की वृद्धि देखी है। अगर वैश्विक वृद्धि और मांग पर कोई प्रतिकूल झटका पड़ता है, तो हमें लगता है कि भारत भी इससे प्रभावित होगा लेकिन, इस पर अन्य देशों के मुकाबले असर कम होगा जो भारत की तुलना में निर्यात और व्यापार पर ज्यादा निर्भर करते हैं।

  • उन्होंने कहा, नोटबंदी तक भारत में खपत व्यय काफी बेहतर था और इससे आर्थिक वृद्धि को गति मिल रही थी।
  • भारत घरेलू मांग की प्रमुखता वाली अर्थव्यवस्था है यह उस हालात के लिए अच्छा है, जब वैश्विक वृद्धि कारक बेहतर नहीं हैं।
  • कैशिन के अनुसार यही कारण है कि अगर आने वाले समय में वैश्विक अर्थव्यवस्था के समक्ष संकट आता है तो भारत प्रभावित होगा लेकिन अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले असर कम होगा।
  • मुद्राकोष ने इस सप्ताह भारत पर अपनी सालाना रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2016-17 की आर्थिक वृद्धि दर कम होकर 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।
  • इसका कारण नोटबंदी की वजह से अस्थायी तौर पर उत्पन्न बाधाएं हैं।

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