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आईबीआरडी, आईएफसी में विकासशील देशों का कोटा 50 फीसदी हो : जेटली

आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक में सुधारों की वकालत करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि भारत जैसी अर्थव्यवस्थाओं की इनमें अधिक भूमिका होनी चाहिए।

Dharmender Chaudhary Dharmender Chaudhary
Updated on: April 18, 2016 11:31 IST
वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ में सुधारों की जरूरत, विकासशील देशों का कोटा 50 फीसदी करने की मांग- India TV Paisa
वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ में सुधारों की जरूरत, विकासशील देशों का कोटा 50 फीसदी करने की मांग

वाशिंगटन। इंटरनेशनल मॉनेट्री फंड (आईएमएफ) और वर्ल्ड बैंक में सुधारों की वकालत करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि भारत जैसी अर्थव्यवस्थाओं की इनमें अधिक भूमिका होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विकासशील और बदलाव के दौर से गुजर रहे (डीटीसी) देशों की बहुपक्षीय एजेंसियों मसलन आईबीआरडी और आईएफसी में हिस्सेदारी बढ़ाकर 50 फीसदी की जानी चाहिए।

जेटली ने वर्ल्ड बैंक विकास समिति की बैठक में कहा, मैं यह दोहराना चाहता हूं कि हमें इस्तांबुल के सिद्धान्तों का पालन करना चाहिए। यह स्वीकार करना चाहिए कि अब समय आ गया है जबकि आईबीआरडी और आईएफसी में डीटीसी की भागीदारी बढ़ाकर 50 फीसदी की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए जरूरी है कि जीडीपी के जरिए हासिल आर्थिक भारांश इस फार्मूला का प्रमुख तत्व होना चाहिए। इसे पीपीपी आधारित जीडीपी का अधिक हिस्सा होना चाहिए जो 60 फीसदी से कम न हो।

वर्ल्ड बैंक अपनी इकाई अंतरराष्ट्रीय पुनर्गठन एवं विकास बैंक (आईबीआरडी) और अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी (आईडीए) के जरिए मध्यम आय वर्ग व गरीब देशों को कर्ज उपलब्ध कराता है। वहीं अपनी इकाई आईएफसी के जरिए वह निजी क्षेत्र और विकासशील देशों की सरकारों को कर्ज, इक्विटी और सलाहकार सेवाएं उपलब्ध कराता है। वित्त मंत्री जेटली ने कहा, आईडीए की कम आय वाले देशों में विकास के वित्तपोषण में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका है, लेकिन आईबीआरडी-आईएफसी की शेयर पूंजी में आईडीए के योगदान को मान्यता का विकासशील देशों के वोटिंग अधिकार पर प्रतिकूल असर होगा। ऐसे में यह उचित होगा कि इस फार्मूला में आईडीए के योगदान को 10 फीसदी से अधिक का भारांश नहीं दिया जाए।

जेटली ने कहा कि हालिया सुधारों के बावजूद आईएमएफ कोटा वैश्विक अर्थव्यवस्था की वास्तविकताओं को नहीं दर्शाता। उन्होंने आईएमएफसी के पूर्ण सत्र में कहा, यह जरूरी है कि कोटा फार्मूला समीक्षा (क्यूएफआर) जल्द पूरी की जाए। इससे विश्व अर्थव्यवस्था में उभरते बाजारों और विकासशील देशों का भारांश बढ़ेगा।

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