नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को कहा कि उसने लियो मेरिडियन इंफ्रास्ट्रक्च र प्रोजेक्ट्स एंड होटल्स लिमिटेड (एलएमआईपीएचएल) के प्रमोटर जी.एस.सी. राजू और उनके करीबी सहयोगी ए.वी. प्रसाद को 1,768 करोड़ रुपए के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी बैंक लोन व फंड के हेरफेर मामले में की गई है। मामले में कुल 1768 करोड़ रुपये की रकम का हेरफेर किया गया है।
ईडी ने कहा कि केंद्रीय वित्तीय जांच एजेंसी द्वारा केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की रिपोर्ट के आधार पर आरोपियों को बैंकों के एक कंसोर्टियम से दूसरों के साथ मिलकर धोखाधड़ी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। ईडी ने कहा कि राजू को धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के तहत गिरफ्तार किया गया है।
एजेंसी के एक अधिकारी ने कहा कि गिरफ्तार अभियुक्तों को एक अदालत के समक्ष पेश किया गया, जिसने उन्हें सात दिन की ईडी हिरासत में भेज दिया। पिछले साल 30 दिसंबर को ईडी ने पीएमएलए के प्रावधानों के तहत आरोपी एलएमआईपीएचएल, राजू व उनके परिवार, उनकी बेनामी संपत्ति और एलएमआईपीएचएल के निदेशकों से संबंधित 250.39 करोड़ रुपए की संपत्ति कुर्क की थी।
जांच के दौरान यह पता चला कि राजू ने अपने सहयोगियों के साथ एलएमआईपीएचएल में अवैध ले-आउट बनाकर बैंकों को ठगने और 315 व्यक्तियों को प्लॉट बेचकर एक सोची समझी साजिश को अंजाम दिया था। ईडी के एक अधिकारी ने कहा, "उन्होंने पहले से ही बेची गई जमीन के कुछ हिस्सों को बैंकों को एक रिसॉर्ट परियोजना के लिए ऋण प्राप्त करने के लिए गिरवी रख दिया।"
अधिकारियों का कहना है कि बैंकों से ऋण लेने के लिए धोखाधड़ी का बड़ा जाल फैलाया गया था। अधिकारियों ने दावा किया कि एलएमआईपीएचएल के छोटे कर्मचारियों के नाम पर शेल विक्रेताओं या ठेकेदार फर्मो का उपयोग करके बैंकों से ऋण लिया गया। ईडी के अधिकारी ने कहा कि डायवर्ट किए गए फंड का कुछ हिस्सा एलएमआईपीएचएल में वापस ले जाया गया, क्योंकि कोलकाता स्थित जमा-खर्च कंपनियों का उपयोग किया गया था।
अधिकारी ने कहा कि जांच के दौरान यह पाया गया कि 33 से अधिक शेल कंपनियां इसमें शामिल थीं और इस काम को राजू द्वारा कुछ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की मिलीभगत से अंजाम दिया गया। ईडी कार्यालय की ओर से कहा गया कि राजू ने फर्जी चालान और सामग्री एवं सेवाओं के फर्जी प्रावधान की आड़ में स्वीकृत ऋणों के लिए बड़ी संख्या में फर्जी विक्रेता या ठेकेदार फर्मो का भी इस्तेमाल किया। ईडी के अधिकारी ने कहा, "फर्जी बैलेंस शीट पर लिए गए बोनस शेयर से राजू और उनका परिवार बिना किसी निवेश के कंपनी का 95 फीसदी मालिक बन गया।"
जांच के दौरान, 33 शेल कंपनियों के अलावा ईडी ने 40 शेल विक्रेताओं या ठेकेदारों की पहचान की है और प्रमोटरों के 3.43 करोड़ शेयर, 76 लाख बेनामी शेयर, राजू और उनके परिवार के सदस्यों की 11 अचल संपत्तियों के साथ ही 38 बेनामी अचल संपत्तियों को कुर्क किया है। इस तरह से ईडी ने कुल मिलाकर 250.39 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है।