Wednesday, April 24, 2024
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आयकर विभाग ने चालू वित्त वर्ष के पहले पांच माह में 67400 करोड़ रुपए का कर रिफंड किया

इसमें से 22.61 लाख मामलों में 16,373 करोड़ रुपये का आयकर रिफंड किया गया है। वहीं 1.37 लाख से ज्यादा मामलों में 51,029 करोड़ रुपये के कॉरपोरेट कर का रिफंड किया गया है।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: September 04, 2021 21:32 IST
आयकर विभाग ने चालू वित्त वर्ष के पहले पांच माह में 67400 करोड़ रुपए का कर रिफंड किया- India TV Paisa
Photo:FILE

आयकर विभाग ने चालू वित्त वर्ष के पहले पांच माह में 67400 करोड़ रुपए का कर रिफंड किया

नई दिल्ली: आयकर विभाग ने चालू वित्त वर्ष के पहले पांच माह में 67,400 करोड़ रुपये का कर रिफंड जारी किया है। आयकर विभाग ने शनिवार को ट्वीट किया, ‘‘केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने एक अप्रैल, 2021 से 30 अगस्त, 2021 के दौरान 23.99 लाख करदाताओं को 67,401 करोड़ रुपये का कर रिफंड जारी किया है।’’ इसमें से 22.61 लाख मामलों में 16,373 करोड़ रुपये का आयकर रिफंड किया गया है। वहीं 1.37 लाख से ज्यादा मामलों में 51,029 करोड़ रुपये के कॉरपोरेट कर का रिफंड किया गया है। 

आयकर विभाग के छापे में करोड़ों रुपये की कर चोरी का पता चला

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने दावा किया कि सिंथेटिक धागे और पॉलिएस्टर चिप्स बनाने वाली एक कंपनी पर आयकर विभाग के छापे में करोड़ों रुपये की कर चोरी का पता लगा है। इस कंपनी के कारखाने गुजरात के दहेज, दादर और नगर हवेली में है। सीबीडीटी के बयान के मुताबिक यह तलाशी बुधवार को शुरू की गई और ‘‘अभी भी जारी है।’’ बयान में दावा किया गया कि तलाशी के दौरान अपराध को साबित करने वाले कई दस्तावेज, बहीखातों में गड़बड़ी और डिजिटल साक्ष्य मिले हैं और साथ ही बेहिसाब आभूषण भी जब्त किए गए हैं। 

विभाग ने कहा है कि समूह ने अपनी खुद की बिना हिसाब किताव वाली करीब 380 करोड़ रुपये की राशि को अपने खातों में बिना गारंटी वाले कर्ज के तौर पर दिखाया है जिसे पिछले कुछ वषोंर् के दौरान कागज की इकाइयों के जरिये लिया गया बताया गया। सीबीडीटी के बयान के मुताबिक इसके अलावा 40 करोड़ रुपये की राशि को मुखौटा कंपनियों के जरिये प्रापत शेयर प्रीमियम के तौर पर खातों में दर्ज किया गया। कर अधिकारियों को दिये गये अपने बयान में कंपनी के निदेशकों और लेखा परीक्षकों ने इस बात को स्वीकार किया है कि इन इकाइयों को इस्तेमाल फर्जी लेनदेन को दिखाने के लिये किया जाता रहा है।

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