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पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में 80% तक कमी का लक्ष्य

साल 2020-21 के वित्तीय वर्ष में सरकार ने कृषि उपकरणों पर करीब 5500 करोड़ रुपये की सब्सिडी का प्रावधान किया है। इस सब्सिडी का इस्तेमाल ऐसे उपकरणों की खरीद में किया जाएगा जो किसानों को बेहतर उपज और उसके बेहतर प्रबंधन में मदद करते हैं।

Edited by: India TV Paisa Desk
Updated : September 22, 2020 23:33 IST
सरकार का पराली जलाने...- India TV Paisa
Photo:PTI

सरकार का पराली जलाने की घटनाओं में 80% तक कमी लाने का लक्ष्य

नई दिल्ली। भारत इस साल दिल्ली से लगे पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में 80 फीसदी की कमी कर लेगा। रॉयटर्स ने सरकारी सूत्रों के हवाले से ये रिपोर्ट दी है। सूत्रों के मुताबिक इस साल सरकार ने पहले ही सुनिश्चित कर लिया है कि किसान तक आधुनिक तकनीकें और मशीनरी आसानी से पहुंचें जिससे फसल के बचे हुए हिस्सों को बेहतर तरीके से निपटाया जा सके। साल 2020-21 के वित्तीय वर्ष में सरकार ने कृषि उपकरणों पर करीब 5500 करोड़ रुपये की सब्सिडी का प्रावधान किया है। साल 2018 में मोदी सरकार ने करीब 1300 करोड़ रुपये की सब्सिडी का प्रावधान किया था, जो 2 साल में किसानों को कृषि उपकरणों के लिए दी गई है। इन कृषि उपकरणों में वो मशीने शामिल हैं जो फसल के बचे हिस्सों के सही तरीके से निपटारे में मदद करती हैं, जिससे उन्हें जलाने की जरूरत न पड़े। सूत्रों के मुताबिक सब्सिडी की मदद से उपकरणों की उपलब्धता बढ़ी है जिससे इस साल पराली जलाने की घटनाओं में अच्छी खासी कमी देखने को मिल सकती है। ऐसे में सरकार ने घटनाओं में 80 फीसदी तक कमी करने का लक्ष्य रखा है।

हर साल अक्टूबर नवंबर के आस-पास उत्तर भारत में प्रदूषण में तेज उछाल देखने को मिलता है। माना जाता है कि इस प्रदूषण की अहम वजहों में एक दिल्ली से लगे क्षेत्रों में बड़ा संख्या में पराली जलाना है। एक अनुमान के मुताबिक सर्दियों के शुरुआत में होने वाले प्रदूषण का एक चौथाई हिस्सा पराली की वजह से है, वहीं उद्योग और ट्रैफिक प्रदूषण फैलाने के अन्य कारण हैं।

आम तौर पर पराली की घटनाओं में अक्टूबर के मध्य से नवंबर की शुरुआत के दौरान तेज उछाल देखने को मिलता है। दरअसल इस समय फसल तैयार हो चुका होती है, और किसानों को अगली फसल के लिए जमीन तैयार करनी होती है। समय और पैसों की बचत के लिए किसान बचे हिस्सों में आग लगा देते थे, हालांकि सरकार के जागरुकता कार्यक्रम और आधुनिक तकनीक की मदद से किसान अब बेहतर तरीकों की तरफ मुड़ने लगें हैं। सूत्रों के मुताबिक अभी भी पराली जलाने की घटनाओं में पूरी रोक में समय लग सकता है, हालांकि इस साल इसमें तेज कमी देखने को मिलेगी।

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