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अर्थव्‍यवस्‍था में सुधार के लिए गीता गोपीनाथ ने दिए मोदी सरकार को सुझाव, संरचनात्‍मक सुधारों पर दें ध्‍यान

गोपीनाथ ने कहा कि यह मौजूदा सरकार का दूसरा कार्यकाल है और उनके लिए राजनीतिक रूप से संरचनात्मक सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए उपयुक्त समय है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published : December 16, 2019 18:44 IST
India should focus on structural reforms, clean-up of banks and labour reforms, says Gita Gopinath- India TV Paisa

India should focus on structural reforms, clean-up of banks and labour reforms, says Gita Gopinath

वाशिंगटन। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि भारत सरकार को घरेलू मांग में नरमी दूर करने के लिए बैंकों के लेखा-जोखा को साफ करने तथा श्रम बाजार में लचीलापन जैसे संरचनात्‍मक सुधारों को आगे बढ़ाना चाहिए। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर छह साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंचने के बीच उन्होंने यह बात कही है।

गोपीनाथ इस सप्ताह भारत आ रही हैं। उन्होंने कहा कि इस समय भारतीय अर्थव्यवस्था में चक्रीय उतार-चढ़ाव की स्थिति और संरचनात्मक चुनौतियों को देखते हुए हम घरेलू मांग में नरमी से निपटने वाली नीतियों के साथ उत्पादकता बढ़ाने तथा मध्यम अवधि में रोजगार सृजन में सहायक नीतियों की सिफारिश करते हैं।

गोपीनाथ ने कहा कि यह मौजूदा सरकार का दूसरा कार्यकाल है और उनके लिए राजनीतिक रूप से संरचनात्मक सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए उपयुक्त समय है। घरेलू खपत में कमी के साथ विनिर्माण क्षेत्र में नरमी के कारण सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में 4.5 प्रतिशत रही। यह छह साल का न्यूनतम स्तर है।

कोलकाता में जन्मीं 48 वर्षीय अर्थशास्त्री ने कहा कि सरकार की नीति प्राथमिकताओं में भरोसेमंद राजकोषीय मजबूती के रास्ते को भी शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए कर्ज के उच्च स्तर तथा सरकारी व्यय एवं घाटे के वित्त पोषण में कमी लाने की जरूरत है। इससे निजी निवेश के लिए वित्तीय संसाधन उपलब्ध होगा। यह सब्सिडी खर्च को युक्तिसंगत बनाकर तथा कर आधार बढ़ाने के उपायों के जरिये होना चाहिए।

एक सवाल के जवाब में गोपीनाथ ने कहा कि सरकार का मध्यम अवधि में लक्ष्य 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था पर पहुंचने का है। इसमें निवेश पर जोर सही है। इसी प्रकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को समर्थन देने, बुनियादी ढांचा व्यय में तेजी, माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को दुरुस्‍त करना, प्रत्यक्ष कर सुधार तथा व्यापार अनुकूल नीति एजेंडा को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता को उपयुक्त ठहराया। उन्होंने अन्य बातों के अलावा सरकार के लिए नीतियों के मोर्चे पर तीन प्राथमिकताएं बताईं।

गोपीनाथ ने कहा कि पहला, बैंक, अन्य वित्तीय संस्थानों तथा कंपनी बही-खातों को दुरुस्‍त करना तथा बैंक कर्ज में तेजी लाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में संचालन व्यवस्था को और बेहतर करना। साथ ही गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) में नकदी दबाव से उभरते वाले जोखिम पर नजर रखते हुए कर्ज प्रावधान की दक्षता को बढ़ाना शामिल हैं। इसके अलावा एनबीएफसी की निगरानी और नियमन को मजबूत करने की जरूरत है। उन्होंने मध्यम अवधि में केंद्र तथा राज्य स्तर पर राजकोषीय मजबूती का आह्वान किया। उनकी राय में इसके लिए सार्वजनिक कर्ज के स्तर में कमी, कर कानूनों के अनुपालन तथा अनुशासन में सुधार के कदमों के साथ रजकोषीय प्रशासन में सुधार पर जोर देना होगा। गोपीनाथ के अनुसार और अंत में प्रतिस्पर्धा और संचालन में सुधार के लिए श्रम, भूमि और उत्पाद बाजार में सुधारों के साथ बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश की जरूरत है ताकि भारत की बढ़ते युवा कार्य बल के लिए अच्छी और बेहतर नौकरियां सृजित हो सकें। उन्होंने यह भी कहा कि चौतरफा समावेशी वृद्धि के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार जरूरी है।

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