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राशन कार्ड की इंटर-स्‍टेट पोर्टेबिलिटी 4 राज्‍यों में हुई शुरू, जून 2020 तक पूरे देश में होगा लागू

अंतर-राज्यीय पोर्टेबिलिटी की शुरुआत करते हुए खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि आज एक ऐतिहासिक दिन है।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: August 09, 2019 18:44 IST
Inter-state portability of ration card begins in 4 states; across India by June 2020- India TV Paisa
Photo:INTER-STATE PORTABILITY

Inter-state portability of ration card begins in 4 states; across India by June 2020

नई दिल्ली। देश में अगले साल एक जून तक एक देश, एक राशन कार्ड योजना लागू करने के प्रयास के तहत केंद्र सरकार ने शुक्रवार को राशनकार्ड की अंतर-राज्यीय पोर्टेबिलिटी की शुरुआत की। इसका आरंभ तेलंगाना-आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र-गुजरात के बीच अंतर-राज्यीय राशनकार्ड पोर्टेबिलिटी के साथ हुआ है। इसका मतलब यह है कि तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में रहने वाले लाभार्थी किसी भी एक राज्य के सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) यानी राशन की दुकानों से अपने कोटे का अनाज खरीद सकते हैं। ऐसा ही महाराष्ट्र और गुजरात में हो सकेगा।

अंतर-राज्यीय पोर्टेबिलिटी की शुरुआत करते हुए खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि आज एक ऐतिहासिक दिन है। हमने राशन कार्ड की अंतर-राज्यीय पोर्टेबिलिटी को शुरू किया है और दो राज्यों का जोड़ा बनाया है। उन्होंने कहा कि इन चार राज्यों में राशन कार्ड की राज्य के अंदर और अंतर-राज्यीय पोर्टेबिलिटी दोनों को सफलतापूर्वक लागू किया जा रहा है।

इस बीच, सात राज्य-हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, पंजाब, राजस्थान और त्रिपुरा- वर्तमान में राशन कार्ड की अंतर-पोर्टेबिलिटी का परीक्षण कर रहे हैं, जिसका अर्थ हुआ कि लाभार्थी राज्य के भीतर स्थित किसी भी पीडीएस से अपना राशन का कोटा उठा सकते हैं। विवरण पेश करते हुए खाद्य सचिव रविकांत ने कहा कि धीरे-धीरे राशन कार्ड की अंतर-राज्यीय पोर्टेबिलिटी को जनवरी 2020 तक उक्त राज्यों में भी लागू किया जाएगा।

कांत ने कहा कि जनवरी 2020 तक, इन 11 राज्यों को एक ग्रिड के रूप में बनाया जाएगा जहां राशन कार्ड को पोर्टेबल बनाया जाएगा। इसका मतलब है कि लाभार्थी इन 11 राज्यों में से किसी एक से अपना राशन खरीद सकते हैं। सरकार एक जून, 2020 तक देश भर में एक राष्ट्र, एक राशनकार्ड को चालू करने का लक्ष्य बना रही है।

यह पूछे जाने पर कि स्टॉक का प्रबंधन कैसे किया जाएगा, पासवान ने कहा कि कोई समस्या नहीं होगी क्योंकि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदामों में पर्याप्त भंडार है और उन्हें तीन महीने पहले से ही राशन स्टॉक करने को कहा गया है। एफसीआई के गोदामों को ऑनलाइन कर दिया गया है और राज्यों को निर्देशित किया गया है कि वे अपने डिपो को जल्द से जल्द ऑनलाइन करें ताकि खाद्यान्नों की आवाजाही पर नज़र रखी जा सके।

मंत्री ने खाद्य मंत्रालय के अधिकारियों को यह परीक्षण करने के लिए बीच बीच में यात्रा करने का निर्देश दिया कि अंतर-राज्यीय पोर्टेबिलिटी ठीक से काम कर रही है। मौजूदा समय में, सरकार देश में 5,00,000 राशन की दुकानों के माध्यम से 81 करोड़ से अधिक लोगों को प्रति माह 5 किलो सब्सिडी वाले खाद्यान्न की आपूर्ति करती है, जिसकी राजकोष पर लगभग 1.4 लाख करोड़ रुपए सालाना का बोझ आता है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के अनुसार, राशन की दुकानों के माध्यम से खाद्यान्न की आपूर्ति चावल के लिए 3 रुपए प्रति किलोग्राम, गेहूं के लिए 2 रुपए किलो और पीडीएस के माध्यम से मोटे अनाज के लिए एक रुपए किलो की दर से आपूर्ति की जाती है। 

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