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मोराटोरियम पीरियड के दौरान माफ होगा ब्याज? सुप्रीम कोर्ट ने वित्त मंत्रालय से मांगा जवाब

उच्चतम न्यायालय ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान ऋण अदायगी स्थगित रखने की अवधि में कर्ज पर ब्याज माफ करने के सवाल पर आज गुरुवार (4 जून) को वित्त मंत्रालय से जवाब मांगा।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: June 04, 2020 15:08 IST
supreme court, finance ministry, moratorium period- India TV Paisa
Photo:INDIA TV

supreme court seeks finance ministry's reply on waiver of interest on loans during moratorium period 

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान ऋण अदायगी स्थगित रखने की अवधि में कर्ज पर ब्याज माफ करने के सवाल पर आज गुरुवार (4 जून) को वित्त मंत्रालय से जवाब मांगा। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) पहले ही कह चुका है कि बैंकों की माली हालत को जोखिम में डालते हुये 'जबरन ब्याज माफ करना' विवेकपूर्ण नहीं होगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले में उसके विचारार्थ दो पहलू हैं। पहला ऋण स्थगन अवधि के दौरान कर्ज पर ब्याज नहीं और दूसरा ब्याज पर कोई ब्याज नहीं लिया जाये। 

लॉकडाउन के दौरान मोराटोरियम अवधि में लोन के ब्याज में छूट मिलेगी या नहीं इस पर सुनवाई अगले हफ्ते तक के लिए टाल दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई 12 जून को करने का फैसला किया है। आज सुप्रीम कोर्ट ने वित्त मंत्रालय को हलफनामे पर एक हफ्ते में अपना जवाब दाखिल करने को भी कहा है।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्सिग के माध्यम से इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि यह चुनौतीपूर्ण समय है और यह एक गंभीर मुद्दा है क्योंकि जहां एक ओर ऋण का भुगतान स्थगित किया गया है तो दूसरी ओर कर्ज पर ब्याज लिया जा रहा है। पीठ भारतीय रिजर्व बैंक की 27 मार्च की अधिसूचना के उस अंश को असंवैधानिक घोषित करने के लिये गजेन्द्र शर्मा की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमे ऋण स्थगन की अवधि में कर्ज की राशि पर ब्याज लिया जा रहा है। आगरा निवासी शर्मा ने ऋण स्थगन अवधि के दौरान की कर्ज की राशि के भुगतान पर ब्याज वसूल नहीं करने की राहत देने का सरकार और रिजर्व बैंक को निर्देश देने का अनुरोध किया है। 

केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह इस संबंध में वित्त मंत्रालय का जवाब दाखिल करना चाहेंगे और इसके लिये उन्हें वक्त चाहिए। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव दत्ता ने कहा कि अब स्थिति साफ है और रिजर्व बैंक कह रहा है कि बैंक की लाभदायकता प्रमुख है। राजीव दत्ता ने गैर निर्धारित एयरइंडिया की उड़ानों में बीच की सीट बुक करने के मामले में शीर्ष अदालत के हाल के आदेश का हवाला दिया। इस मामले में न्यायालय ने कहा था कि आर्थिक हित लोगों के स्वास्थ्य से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं हैं। दत्ता ने कहा कि रिजर्व बैंक के कथन का मतलब यह हुआ कि महामारी के दौरान जब पूरा देश समस्याग्रस्त है तो सिर्फ बैंक ही लाभ अर्जित कर सकते हैं। उन्होने कहा कि याचिकाकर्ता रिजर्व बैंक के जवाब पर अपना हलफनामा दाखिल करना चाहता है। 

पीठ ने मेहता से कहा कि वह इस मामले में 12 जून तक वित्त मंत्रालय का जवाब दाखिल करें। साथ ही पीठ ने याचिकाकर्ता और अन्य पक्षकारों को भी उस समय तक अपने प्रतिउत्तर दाखिल करने की अनुमति प्रदान की। इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही पीठ ने इस तथ्य का संज्ञान लिया कि रिजर्व बैंक का जवाब न्यायालय के समक्ष आने से पहले ही मीडिया को लीक कर दिया गया। दत्ता ने सवाल किया, 'क्या रिजर्व बैंक अपना जवाब पहले मीडिया में और फिर न्यायालय में दाखिल कर रहा है?' उन्होंने कहा कि यह सारे मामले को सनसनीखेज बनाने का प्रयास है। पीठ ने कहा कि यह बेहद निन्दनीय आचरण है और दुबारा ऐसा नहीं होना चाहिए। 

शीर्ष अदालत ने 26 मई को शर्मा की याचिका पर केन्द्र और रिजर्व बैंक से जवाब मांगा था। रिजर्व बैंक ने अपने जवाब में कहा था कि वह कोविड-19 की वजह से कर्ज के पुनर्भुगतान में राहत प्रदान करने के लिये वह सभी संभव उपाय कर रहा है लेकिन वह बैंकों की माली हालत को जोखिम में डालकर जबरन ब्याज माफ करने को बुद्धिमत्तापूर्ण नहीं मानता है।

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