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अगले 5 साल में सरसों का उत्पादन 200 लाख टन करने का लक्ष्य: एसईए

खाने के तेल के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने के मकसद से अब घरेलू खाद्य तेल उद्योग ने अगले पांच साल में देश में सरसों का उत्पादन बढ़ाकर 200 लाख टन करने का लक्ष्य रखा है।

IANS Reported by: IANS
Published on: January 25, 2020 16:03 IST
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अगले 5 साल में सरसों का उत्पादन 200 लाख टन करने का लक्ष्य : एसईए

नई दिल्ली। खाने के तेल के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने के मकसद से अब घरेलू खाद्य तेल उद्योग ने अगले पांच साल में देश में सरसों का उत्पादन बढ़ाकर 200 लाख टन करने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए खाद्य तेल उद्योग संगठन सॉल्वेंट एक्स्ट्रक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ऑफ इंडिया ने मिशन मोड में काम करने का फैसला लिया है। एसईए ने इसके लिए 'मस्टर्ड मिशन' नाम से एक परियोजना शुरू की है, जिसका पायलट प्रोजेक्ट देश के प्रमुख सरसों उत्पादक राज्य राजस्थान के कोटा और बूंदी में शुरू किया गया है, जहां 2,500 किसानों को शामिल कर 100 मॉडल फार्म तैयार किए जाएंगे।

यह जानकारी एसईए के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. बी. वी. मेहता ने आईएएनएस को दी। उन्होंने कहा कि सरसों देश की प्रमुख तिलहन फसल है और खाद्य तेल के रूप में सरसों के तेल का उपयोग काफी होता है, लिहाजा सरसों का उत्पादन बढ़ाकर देश को खाद्य तेल के मामले में आत्मनिर्भर बनाना घरेलू उद्योग का लक्ष्य है।

उन्होंने बताया कि इसके लिए नीदरलैंड की एक गैर-सरकारी संस्था सॉलिडरीडाड के अनुभव का उपयोग किया जाएगा। डॉ. मेहता ने बताया कि मस्टर्ड मिशन में यह संस्था सहयोगी की भूमिका निभा रही है। देश में बीते कुछ महीनों से खाने के तेल की महंगाई को देखते हुए केंद्र सरकार ने भी प्रस्तावित राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन (एनएमईओ) की तैयारी तेज कर दी है।

हाल ही में आईएएनएस को दिए एक साक्षात्कार में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार जल्द ही राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन लांच करने वाली है। सूत्रों की मानें तो आगामी वित्त वर्ष में इस एनएमईओ को अमलीजामा पहनाया जाएगा।

भारत खाने के तेल की अपनी जरूरतों का तकरीबन 70 फीसदी आयात करता है, जिसमें पाम तेल का आयात सबसे ज्यादा होता है। पाम तेल के सबसे बड़े उत्पादक इंडोनेशिया और मलेशिया में बायोडीजल कार्यक्रम में पाम तेल की खपत बढ़ने से भारत में इसका आयात महंगा हो गया है, जिसके कारण तमाम खाद्य तेलों के दाम में बीते कुछ महीने में काफी वृद्धि हुई है।

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