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एयर इंडिया बिक्री- टाटा को नहीं मिली कोई दुधारू गाय, नये मालिक को लगाना होगा पैसा : सचिव, DIPAM

इसी महीने सरकार ने टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी की इकाई टैलेस प्राइवेट लि. की एयर इंडिया के लिए 18 हजार करोड़ रुपये की पेशकश को स्वीकार कर लिया था।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: October 17, 2021 14:22 IST
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Photo:PTI

'एयर इंडिया बिक्री से बचे करदाताओं के पैसे'

नई दिल्ली। तीन अलग-अलग मंत्रियों, कई बार नियमों में बदलाव, दो बार मिशन रुकने के बाद अंतत: अब दो दशक पश्चात भारतीय करदाताओं को घाटे में चल रही एयरलाइन एयर इंडिया को उड़ान में बनाए रखने के लिए प्रतिदिन 20 करोड़ रुपये नहीं देने होंगे। विपक्षी कांग्रेस ने हालांकि एयर इंडिया की बिक्री के फैसले का विरोध किया है, लेकिन लोक संपत्ति एवं प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडेय का कहना है कि टाटा को हम दुधारू गाय नहीं सौंप रहे हैं। यह एयरलाइन संकट में थी और इसे खड़ा करने के लिए पैसा लगाने की जरूरत होगी। पांडेय ने कहा, ‘‘टाटा एक साल तक एयरलाइन के कर्मचारियों को हटा नहीं सकती। उसके बाद भी यदि उसे अपने कर्मचारियों की संख्या में बदलाव करना है, तो स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) देनी होगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह आसान काम नहीं होगा। एयर इंडिया की नई मालिक टाटा के पास एकमात्र लाभ यह है कि वे उस कीमत का भुगतान कर रहे हैं जिसमें उन्हें लगता है कि वे इसका प्रबंधन कर सकेंगे। वे पिछले वर्षों के दौरान घाटे को पूरा करने के लिए जुटाए गए अतिरिक्त कर्ज को नहीं ले रहे हैं। हमने इसे चालू हालत में बरकरार रखा है। इस प्रक्रिया से करदाताओं का भी काफी पैसा बचा है।’’ 

इससे पहले इसी महीने सरकार ने टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी की इकाई टैलेस प्राइवेट लि. की एयर इंडिया के लिए पेशकश को स्वीकार कर लिया था। इसके लिए टाटा द्वारा 2,700 करोड़ रुपये का नकद भुगतान किया जाएगा, जबकि वह एयरलाइन का 15,300 करोड़ रुपये का कर्ज भी लेगी। एयर इंडिया पर 31 अगस्त तक कुल 61,562 करोड़ रुपये का कर्ज था। इसमें से 75 प्रतिशत यानी 46,262 करोड़ रुपये का कर्ज विशेष इकाई एआईएएचएल में स्थानांतरित किया जाएगा। उसके बाद इस घाटे वाली एयरलाइन को टाटा समूह को सौंपा जाएगा। टाटा को एयरलाइन की गैर-मुख्य संपत्तियां मसलन वसंत विहार में एयर इंडिया की आवासीय कॉलोनी, मुंबई के नरीमन पॉइंट में एयर इंडिया का भवन और नयी दिल्ली में एयर इंडिया का भवन भी नहीं मिलेगा। पांडेय ने कहा, ‘‘हमने टाटा समूह को दो साल के लिए इस्तेमाल की अनुमति दी है। दो साल के अंदर हमें इनके मौद्रिकरण की योजना बनानी होगी जिससे इस पैसे का इस्तेमाल एआईएएचएल की देनदारियों को पूरा करने के लिए किया जा सके।’’ उन्होंने कहा, ‘‘टाटा को जो 141 विमान मिलेंगे उनमें से 42 लीज या पट्टे वाले और शेष 99 खुद के स्वामित्व वाले होंगे। इंजन और अन्य रखरखाव की वजह से इनमें से कई विमान अभी खड़े हैं।’’ पांडेय ने कहा, ‘‘हम टाटा समूह को एयरलाइन सौंपने का काम जल्द पूरा करना चाहते हैं। एयरलाइन के परिचालन पर प्रतिदिन 20 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं। एयरलाइन के नए मालिक को काफी पैसा खर्च करना होगा। विमानों में सुधार के लिए निवेश करना होगा, उन्हें नए सिरे से तैयार करना होगा। बेकार पड़ चुके विमानों के लिए नए ऑर्डर देने होंगे। उसके बाद ही वे रिकवरी कर सकते हैं। इसके अलावा यह भी शर्त लगाई गई है कि वे एक साल तक कर्मचारियों को निकाल नहीं सकते। दूसरे साल से उन्हें कर्मचारियों को हटाने के लिए वीआरएस देना होगा।’’ सरकार एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी एआईएसएटीएस में अपनी 50 प्रतिशत हिस्सेदारी का विनिवेश कर रही है। 

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