मुंबई में लोगों को ज्यादा प्रॉपर्टी बिल मिलने के बाद मुंबई नगर निगम यानी बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने अपनी सफाई दी है। बीएमसी ने स्पष्ट करते हुए साफ शब्दों में कहा है कि उसने प्रॉपर्टी टैक्स (संपत्ति कर) की दरें नहीं बढ़ाई हैं। पीटीआई की खबर के मुताबिक, निगम ने बीते गुरुवार को कहा कि वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए रेडी रेकनर दरों में किए गए बदलावों की वजह से लोगों के बिल ज्यादा आए हैं। आपको यहां बता दें, रेडी रेकनर दरें, जिन्हें दिशानिर्देश मूल्य भी कहा जाता है, महाराष्ट्र में टैक्सेशन उद्देश्यों के लिए सरकार द्वारा क्षेत्रवार निर्धारित न्यूनतम संपत्ति मूल्य हैं।
कितना ज्यादा आया बिल
खबर के मुताबिक, बृहन्मुंबई नगर निगम ने यहां तक कहा कि उसने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की तरफ से यह बताए जाने के बाद कि संशोधित प्रॉपर्टी टैक्स शहर के निवासियों पर अतिरिक्त बोझ डालने वाला है, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन शुल्क के अमल पर रोक लगा दी है। 500 वर्ग फुट से छोटे फ्लैटों को पहले से ही प्रॉपर्टी टैक्स से छूट दी गई है। बीएमसी का कहना है कि लेटेस्ट प्रॉपर्टी टैक्स बिल में औसतन 15.89 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, क्योंकि मुंबई नगर निगम अधिनियम की धारा 154(1)(सी) के तहत, संपत्तियों के पूंजीगत मूल्य को हर पांच साल में संशोधित किया जाना है। पिछला संशोधन 2015 में किया गया था, जबकि 2020 में कोविड-19 महामारी के कारण अपडेट को टाल दिया गया था।
रेडी रेकनर दरों में कब हुआ है संशोधन
महाराष्ट्र सरकार ने 31 मार्च, 2025 को रेडी रेकनर दरों में संशोधन किया। मौजूदा संशोधन 10 साल के अंतराल के बाद किया गया है। एक कानूनी प्रावधान है कि वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए रेडी रेकनर में किए गए बदलाव के चलते ये भुगतान ऑटोमैटिक तरीके से संशोधित हो जाएंगे। बीएमसी शहर और उपनगरों में नौ लाख से अधिक संपत्ति मालिकों से सालाना संपत्ति कर वसूलती है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद तीन साल से लंबित बीएमसी के चुनाव अगले कुछ हफ्तों में होने की उम्मीद है।
नेताओं ने क्यों जताई आपत्ति
एक्स पर एक पोस्ट में, भाजपा नेता और पूर्व बीएमसी विपक्षी नेता रवि राजा ने कहा कि आम मुंबईकर ईमानदारी से भुगतान करना जारी रखते हैं, 481 बड़े बकाएदारों पर 11,000 करोड़ रुपये बकाया हैं और कोई गंभीर वसूली नहीं हो रही है। ईमानदार नागरिकों पर बोझ क्यों डाला जाए? राजा ने यह भी मांग की कि ईमानदार करदाताओं पर बढ़ोतरी थोपने से पहले नागरिक प्रशासन पुराने बकाएदारों पर सख्ती से कार्रवाई करे। उन्होंने कहा कि अकुशलता का बोझ कानून का पालन करने वाले नागरिकों पर नहीं डाला जा सकता।






































