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IDBI Bank, शिपिंग कॉरपोरेशन, NMDC स्टील, BEML और HLL लाइफकेयर की बिक्री पर जल्द फैसला, आई ये खबर

पिछले तीन साल में केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, बैंकों और बीमा कंपनियों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) 500 प्रतिशत बढ़कर 15 लाख करोड़ रुपये से 58 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इन कंपनियों में भारत सरकार की इक्विटी हिस्सेदारी चार गुना होकर 38 लाख करोड़ रुपये हो गई है।

Alok Kumar Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: February 04, 2024 12:38 IST
Disinvestment - India TV Paisa
Photo:FILE विनिवेश

केंद्र सरकार विनिवेश प्रक्रिया को ​फिर तेज करने की तैयारी में है। दीपम के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि फिलहाल हम किसी नई चीज पर विचार नहीं कर रहे हैं। हम ऐसे सौदों को पूरा करने पर ध्यान दे रहे हैं, जिन्हें हमने चालू वित्त वर्ष के लिए रखा था लेकिन किसी वजह से ये पूरे नहीं हो पाए हैं। चालू वित्त वर्ष 2023-24 में आईडीबीआई बैंक के अलावा शिपिंग कॉरपोरेशन, एनएमडीसी स्टील, बीईएमएल और एचएलएल लाइफकेयर सहित कई सीपीएसई की रणनीतिक बिक्री पाइपलाइन में है। हिंदुस्तान जिंक (एचजेडएल) में सरकारी हिस्सेदारी की बिक्री के बारे में पांडेय ने कहा कि किस्तों में हिस्सेदारी बेचने की योजना को प्रबंधन की इकाइयों को अलग करने यानी डिमर्जर की योजनाओं की वजह से अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ रहा है। 

एचजेडएल में सरकार के पास 29 फीसदी हिस्सेदारी

पिछले साल भी अनिल अग्रवाल के स्वामित्व वाली वेदांता ने अपनी वैश्विक जस्ता परिसंपत्तियों को एचजेडएल को बेचने की योजना बनाई थी। सरकार के पास एचजेडएल के बोर्ड में निदेशक का पद है। सरकार ने मूल्यांकन की चिंता की वजह से कंपनी के इस कदम का विरोध किया था। अग्रवाल के स्वामित्व वाली एचजेडएल का इरादा अब कंपनी को तीन अलग इकाइयों में बांटने का है। प्रवर्तक वेदांता समूह की एचजेडएल में 64.92 प्रतिशत की इक्विटी हिस्सेदारी है। वहीं सरकार के पास कंपनी का 29.54 प्रतिशत हिस्सा है। शेष पांच प्रतिशत हिस्सेदारी सार्वजनिक शेयरधारकों के पास है। अंतरिम बजट 2024-25 में सरकार ने विनिवेश और संपत्ति मौद्रीकरण से 50,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है।

कोई नई सरकारी कंपनी की बिक्री पर विचार नहीं 

निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) अगले वित्त वर्ष में संभवत: किसी नए केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (सीपीएसई) में रणनीतिक बिक्री पर विचार नहीं करेगा। दीपम का इरादा चालू वित्त वर्ष 2023-24 में जारी निजीकरण सौदों को पूरा करने का है। इनमें आईडीबीआई बैंक और बीईएमएल का निजीकरण शामिल है। दीपम के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने यह बात कही है। पांडेय ने कहा कि अगले वित्त वर्ष में आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) की सूची में कोई विशिष्ट कंपनी नहीं है, लेकिन सूचीबद्ध सीपीएसई की अनुषंगी कंपनियों की ओर से शेयर बिक्री की जाएगी। उन्होंने बताया कि पिछले तीन साल में केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, बैंकों और बीमा कंपनियों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) 500 प्रतिशत बढ़कर 15 लाख करोड़ रुपये से 58 लाख करोड़ रुपये हो गया है। साथ ही इन कंपनियों में भारत सरकार की इक्विटी हिस्सेदारी जनवरी, 2021 के 9.5 लाख करोड़ रुपये से चार गुना होकर 38 लाख करोड़ रुपये हो गई है। 

सरकारी कंपनियों के मार्केट कैप में बड़ा उछाल 

पांडेय ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में भारी मूल्य सृजन हुआ है। इसकी वजह सकारात्मक भारतीय अर्थव्यवस्था के बीच मजबूत प्रदर्शन, वृद्धि की संभावनाएं, पूंजी पुनर्गठन, स्थिर लाभांश नीति के साथ-साथ एक उचित विनिवेश रणनीति है। दीपम सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में सरकारी हिस्सेदारी का प्रबंधन करता है। विभाग ऐसे सीपीएसई के निजीकरण पर भी काम कर रहा है, जिनमें संभावित बोलीदाताओं की ओर से शुरुआती रुचि पत्र (ईओआई) मिल चुके हैं। पांडेय ने कहा कि जिन कंपनियों में ईओआई जारी किए गए हैं और जहां शुरुआती बोलीदाताओं की दिलचस्पी पहले ही आ चुकी है, उन्हें अगले वित्त वर्ष में आगे बढ़ाया जाएगा।

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