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देरी के चलते देश में 380 इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट की लागत बढ़ी, जानिए कितने लाख करोड़ की लगेगी चपत

इन परियोजनाओं में देरी के कारणों में भूमि अधिग्रहण में विलंब, पर्यावरण और वन विभाग की मंजूरियां मिलने में देरी और बुनियादी संरचना की कमी प्रमुख है।

Alok Kumar Written By: Alok Kumar @alocksone
Updated on: November 20, 2022 15:08 IST
इंफ्रास्ट्रक्चर...- India TV Paisa
Photo:FILE इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट

इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक के खर्च वाली 380 प्रोजेक्ट की लागत तय अनुमान से 4.58 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा बढ़ गई है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देरी और अन्य कारणों से इन प्रोजेक्ट की लागत बढ़ी है। सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक की लागत वाली बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की निगरानी करता है। मंत्रालय की अक्टूबर, 2022 की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की 1,521 परियोजनाओं में से 380 की लागत बढ़ गई है, जबकि 642 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इन 1,521 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 21,18,597.26 करोड़ रुपये थी, लेकिन अब इसके बढ़कर 25,76,797.62 करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है। इससे पता चलता है कि इन परियोजनाओं की लागत 21.63 प्रतिशत यानी 4,58,200.36 करोड़ रुपये बढ़ गई है।

5 साल की देरी से चल रहीं कई परियोजनाएं 

रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर, 2022 तक इन परियोजनाओं पर 13,90,065.75 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, जो कुल अनुमानित लागत का 53.95 प्रतिशत है। हालांकि, मंत्रालय ने कहा है कि यदि परियोजनाओं के पूरा होने की हालिया समयसीमा के हिसाब से देखें तो देरी से चल रही परियोजनाओं की संख्या कम होकर 513 पर आ जाएगी। वैसे इस रिपोर्ट में 620 परियोजनाओं के चालू होने के साल के बारे में जानकारी नहीं दी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि देरी से चल रही 642 परियोजनाओं में से 136 परियोजनाएं एक महीने से 12 महीने, 120 परियोजनाएं 13 से 24 महीने की, 260 परियोजनाएं 25 से 60 महीने की और 126 परियोजनाएं 61 महीने या अधिक की देरी से चल रही हैं। इन 642 परियोजनाओं में हो रहे विलंब का औसत 42 महीने है। 

इन कारणों से प्रोजेक्ट के काम में देरी हुई 

इन परियोजनाओं में देरी के कारणों में भूमि अधिग्रहण में विलंब, पर्यावरण और वन विभाग की मंजूरियां मिलने में देरी और बुनियादी संरचना की कमी प्रमुख है। इनके अलावा परियोजना का लोन, विस्तृत Engineering को मूर्त रूप दिये जाने में विलंब, परियोजना की संभावनाओं में बदलाव, निविदा प्रक्रिया में देरी, ठेके देने व उपकरण मंगाने में देरी, कानूनी व अन्य दिक्कतें, भू-परिवर्तन आदि की वजह से भी इन परियोजनाओं में विलंब हुआ है। 

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