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Explainer : क्या भारत बन सकता है इकोनॉमिक सुपरपावर? अमेरिका-चीन सब छूट जाएंगे पीछे

Economic Superpower India : चीन ने जो काम तीन दशक से भी पहले किया था, वो भारत अब कर रहा है। भारत ने 2014 और 2023 के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क में लगभग 55,000 किलोमीटर जोड़ा है।

Pawan Jayaswal Written By: Pawan Jayaswal
Updated on: April 21, 2024 13:44 IST
भारत की इकोनॉमी- India TV Paisa
Photo:FILE भारत की इकोनॉमी

Economic Superpower India : देश में मतदान शुरू हो गए हैं। लोग अपने पसंद की सरकार बनाने के लिए वोट डाल रहे हैं। हालांकि, ऐसा लग रहा है कि देश में तेजी से हो रहे आर्थिक विस्तार को आगे बढ़ाने के लिए पीएम मोदी को आसानी से 5 साल और मिल जाएंगे। पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत 21वीं सदी की आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है। भारत ग्रोथ की तलाश कर रहे इन्वेस्टर्स और कंज्यूमर ब्रैंड्स तथा सप्लाई चेन्स में जोखिम कम करना चाह रहे मैन्युफैक्चरर्स के लिए चीन का एक वास्तविक विकल्प बन रहा है। भारत बड़ी कंपनियों को अपने यहां मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने के लिए काफी अधिक आकर्षित कर रहा है। तो मोदी के नेतृत्व वाले भारत के लिये यह कहना कि यह इकोनॉमिक सुपरपावर बन सकता है, कहां तक सही है?

PM मोदी के कार्यकाल में 4 पायदान ऊपर आया भारत

साल 2023 में भारत की इकॉनमी 3.7 लाख करोड़ डॉलर थी। हमारा देश दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। पीएम मोदी के कार्यकाल में भारत 4 पायदान ऊपर आया है। भारत दुनिया में सबसे तेजी से ग्रोथ कर रही इकॉनमीज में से एक है। साल 2014 से 2023 के दौरान भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 55 फीसदी बढ़ी है। इस अवधि में भारत दुनिया की नौवीं सबसे बड़ी इकॉनमी से पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनमी बना है। भारत लंबे समय से बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से ग्रोथ कर रहा है। आने वाले कुछ वर्षों तक भारत कम से कम 6 फीसदी की सालाना रेट से ग्रोथ करता रहेगा। हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर भारत को इकोनॉमिक सुपरपावर बनना है, तो 8 फीसदी या इससे अधिक की ग्रोथ रेट का टार्गेट लेकर चलना होगा।

भारत कब बनेगा इकोनॉमिक सुपरपावर

सतत विकास भारत को दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमीज में ऊपर ले जाएगा। कई एजेंसियों का अनुमान है कि भारत साल 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकॉनमी बन जाएगा। हमसे ऊपर पहले स्थान पर अमेरिका और दूसरे पर चीन होंगे। IMF और गोल्डमैन सैश का अनुमान है कि साल 2075 तक भारत इकॉनमी के मामले में अमेरिका से भी आगे होगा। हमारा देश साल 2075 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा। केवल चीन ही हमसे आगे होगा। चीन की इकॉनमी अभी 17.786 ट्रिलियन डॉलर की है। 2028 तक इसके 27.4 ट्रिलियन डॉलर और साल 2075 तक 57 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।

और अमेरिका से आगे होंगे हम

इस अवधि में अमेरिका की इकॉनमी भी 51.5 ट्रिलियन डॉलर पहुंच जाएगी। अमेरिका अभी 26,954 अरब डॉलर के साथ दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी है। लेकिन 2075 में अमेरिका तीसरे नंबर पर खिसक जाएगा। तब भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी होगा और चीन से थोड़ा ही पीछे होगा। अभी भारत की इकॉनमी का साइज 3.730 ट्रिलियन डॉलर है। इसके 2028 तक 5.5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। साल 2075 तक भारत की अर्थव्यवस्था 52.5 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच सकती है।

हो रहा आधुनिक भारत का निर्माण

जो चीन ने तीन दशक से भी पहले किया था, वो भारत अब कर रहा है। सड़कों, बंदरगाहों, हवाई अड्डों और रेलवे के निर्माण पर अरबों खर्च करके बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर में बदलाव किया जा रहा है। यहां प्राइवेट इन्वेस्टर्स दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीन एनर्जी प्लांट बना रहे हैं। सिर्फ इस साल के बजट में आर्थिक विस्तार को बढ़ावा देने की दिशा में पूंजीगत व्यय के लिए 134 अरब डॉलर का प्रावधान किया गया था। भारत ने 2014 और 2023 के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क में लगभग 55,000 किलोमीटर (लगभग 35,000 मील) जोड़ा है, जो कुल लंबाई में 60% की वृद्धि है। बुनियादी ढांचे के विकास से अर्थव्यवस्था के लिए कई फायदे हैं, जिनमें रोजगार पैदा करना और ईज ऑफ डूइंग बिजनस में सुधार शामिल हैं। 

स्टॉक मार्केट की पावर

भारत की विकास क्षमता को लेकर उत्साह इसके शेयर बाजार में दिखाई देता है, जो रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच रहा है। भारत के एक्सचेंजों पर लिस्टेड कंपनियों का मूल्य पिछले साल के अंत में $4 ट्रिलियन से अधिक हो गया था। जोरदार तेजी की बदौलत भारत का नेशनल स्टॉक एक्सचेंज शेन्ज़ेन स्टॉक एक्सचेंज और हांगकांग एक्सचेंज दोनों को पछाड़कर दुनिया का छठा सबसे बड़ा एक्सचेंज बन गया है। मैक्वेरी कैपिटल के अनुसार, अकेले खुदरा निवेशकों के पास भारत के इक्विटी बाजार मूल्य का 9% हिस्सा है। जबकि विदेशी निवेशक 20% से थोड़ा कम पर हैं। हालांकि, विश्लेषकों को उम्मीद है कि चुनाव खत्म होने के बाद 2024 की दूसरी छमाही में विदेशी निवेश बढ़ेगा।

बढ़ती मैम्युफैक्चरिंग ताकत

एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था ने इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल से लेकर फार्मास्यूटिकल्स और चिकित्सा उपकरणों तक 14 सेक्टर्स में मैन्युफैक्चरिंग की स्थापना में कंपनियों को आकर्षित करने के लिए 26 बिलियन डॉलर का उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन कार्यक्रम (PLI) शुरू किया है। इसके परिणामस्वरूप Apple सप्लायर फॉक्सकॉन सहित दुनिया की कुछ सबसे बड़ी कंपनियां भारत में अपने परिचालन का उल्लेखनीय रूप से विस्तार कर रही हैं। टेस्ला के प्रमुख एलन मस्क ने भी कहा है कि वे भारत आने के इच्छुक हैं। मस्क जल्द ही भारत में अपनी निवेश योजनाओं की घोषणा कर सकते हैं। मार्केट रिसर्च फर्म कैनालिस के अनुसार, साल 2025 के अंत तक 23% तक iPhone भारत में बनाए जाएंगे, जो 2022 में 6% से अधिक रहे।

भारत के DPI की दुनियाभर में धूम

हाल के वर्षों में देश ने कई तकनीकी प्लेटफॉर्म्स भी बनाए हैं। इन्हें डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) के रूप में जाना जाता है। इन्होंने लोगों की लाइफस्टाइल और बिजनेसेज को बदल दिया है। उदाहरण के लिए 2009 में शुरू किए गए आधार कार्यक्रम ने लाखों भारतीयों को पहली बार पहचान प्रमाण प्रदान किया। दुनिया के सबसे बड़े बायोमेट्रिक डेटाबेस ने कल्याणकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार को कम करके सरकार को अरबों रुपये बचाने में मदद की है। एक अन्य प्लेटफ़ॉर्म यूनिफ़ाइड पेमेंट इंटरफ़ेस (UPI) यूजर्स को QR कोड को स्कैन करके तुरंत भुगतान करने की अनुमति देता है। कॉफी शॉप मालिकों से लेकर भिखारियों तक, हर सेक्टर में भारतीयों ने इसे अपनाया है। आज कई देशों में भारत का यूपीआई चलता है।

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