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SC के चाबुक का कंपनियों के प्रमोटर पर असर, बढ़ा निजी संपत्ति खोने का डर, जल्द बकाया चुकाने भाग सकते हैं बैंक

बैंक अपना बकाया वसूलने के लिए अनिल अंबानी, वेणुगोपाल धूत, किशोर बियानी, कपिल और धीरज वाधवान जैसे कई हाई-प्रोफाइल नामों के साथ कानूनी लड़ाई में लगे हुए हैं।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Published : Nov 15, 2023 13:28 IST, Updated : Nov 15, 2023 13:28 IST
 विशेषज्ञों का कहना है कि प्रमोटरों के पास ज्यादा ऑप्शन नहीं बचे हैं।- India TV Paisa
Photo:PIXABAY विशेषज्ञों का कहना है कि प्रमोटरों के पास ज्यादा ऑप्शन नहीं बचे हैं।

बैंक का मोटा बकाया अभी तक नहीं चुकाने वाली कंपनियों के प्रमोटर्स पर सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का जोरदार असर देखने को मिल सकता है। इस फैसले के बाद इन प्रमोटर्स की निजी संपत्ति के खोने का जोखिम बढ़ गया है। ऐसे में माना जा रहा है कि ऐसे प्रमोटर्स बैंक का मोटा बकाया भुगतान करना जल्द शुरू कर देंगे। फाइनेंसियल एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, पहले बैंकों को प्रमोटरों द्वारा कंपनी की संपत्तियों को बेचकर अपना बकाया वसूलने के लिए कहा गया था, जो एक समय लेने वाली प्रक्रिया है। लेकिन अब सु्प्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया है कि बैंक प्रमोटरों की निजी संपत्तियों को बेचकर अपना बकाया तुरंत वसूल सकते हैं।

फैसले में कोर्ट ने दी ये व्यवस्था

खबर के मुताबिक, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अपनी निजी संपत्ति के नुकसान के डर से, दिवालिया कार्यवाही के तहत कंपनियों के प्रमोटरों को बैंकों के साथ अपने लंबित बकाया का निपटान करने की उम्मीद है। फैसले में कहा गया है कि, बैंक अब इन प्रमोटर्स की आवासीय संपत्तियों, शेयर और बॉन्ड, सोना और आभूषण जैसी निजी संपत्तियों को बेच सकते हैं। एक्सपर्ट का तो यह मानना है कि इस फैसले से ऐसे प्रमोटरों और निदेशकों को बकाया चुकाने के लिए स्वेच्छा से आगे आने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, जिससे खराब ऋणों (बैड लोन) से वसूली को बढ़ावा मिलेगा।

कई हाई-प्रोफाइल मामलों पर होगा असर

फाइनेंसियल एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट की एक वरिष्ठ वकील के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह दिवाला समाधान प्रक्रिया में व्यक्तिगत गारंटरों पर दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) प्रावधानों की संवैधानिकता को बरकरार रखा, जिससे बैंकों को राहत मिली। इस फैसले का कई हाई-प्रोफाइल मामलों पर दूरगामी असर होना तय माना जा रहा है। बैंक अपना बकाया वसूलने के लिए अनिल अंबानी, वेणुगोपाल धूत, किशोर बियानी, कपिल और धीरज वाधवान जैसे कई हाई-प्रोफाइल नामों के साथ कानूनी लड़ाई में लगे हुए हैं।

1.64 खरब रुपये के कॉर्पोरेट लोन से जुड़े हैं 2,289 मामले

भारतीय दिवाला और दिवालियापन बोर्ड के मुताबिक, 1.64 खरब रुपये के कॉर्पोरेट लोन से जुड़ी व्यक्तिगत गारंटी से संबंधित 2,289 मामले राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण में दायर किए गए हैं। व्यक्तिगत गारंटर अब लेनदारों के साथ बातचीत और निपटान में शामिल होने के लिए अधिक मजबूर हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रमोटरों के पास ज्यादा ऑप्शन नहीं बचे हैं क्योंकि कोर्ट के फैसले ने इस मुद्दे से अस्पष्टता दूर कर दी है। इस फैसले से व्यक्तिगत गारंटरों और बैंकों के बीच तुरंत निपटान हो सकता है, क्योंकि यह कानूनी स्थिति को स्पष्ट करता है और गारंटरों को लंबी कानूनी लड़ाई शुरू करने से रोक सकता है जिससे बकाया कर्ज का समाधान होने में तेजी आ सकती है।

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