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सरकार ने दी खाद्य तेल-तिलहन के लिए राष्ट्रीय मिशन को मंजूरी, 10,103 करोड़ रुपये होंगे खर्च, जानिए क्या होगा फायदा

भारत- इंडोनेशिया और मलेशिया से पामतेल का आयात करता है। जबकि सोयाबीन तेल का आयात ब्राजील और अर्जेंटीना से करता है। देश, सूरजमुखी मुख्य रूप से रूस और यूक्रेन से आयात करता है।

Edited By: Pawan Jayaswal
Published : Oct 04, 2024 7:21 IST, Updated : Oct 04, 2024 7:21 IST
खाद्य तेल- India TV Paisa
Photo:FILE खाद्य तेल

सरकार ने गुरुवार को घरेलू तेल-तिलहन उत्पादन को बढ़ाने और भारत को खाद्य तेलों के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए 10,103 करोड़ रुपये के खर्च के साथ खाद्य तेल-तिलहन पर एक राष्ट्रीय मिशन को मंजूरी दी है। भारत अपनी खाद्य तेलों की सालाना जरूरत का 50 प्रतिशत से अधिक आयात करता है। एक सरकारी बयान में कहा गया है, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में राष्ट्रीय खाद्य तेल-तिलहन मिशन (एनएमईओ-तिलहन) को मंजूरी दी गई, जो घरेलू तिलहन उत्पादन को बढ़ाने और खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक पहल है।’’

7 साल के लिये है मिशन

बयान में कहा गया है कि इस मिशन को वर्ष 2024-25 से वर्ष 2030-31 तक सात साल की अवधि में लागू किया जाएगा, जिसका वित्तीय परिव्यय 10,103 करोड़ रुपये होगा। इस मिशन के माध्यम से सरकार का लक्ष्य प्राथमिक तिलहन उत्पादन को वर्ष 2022-23 के 3.9 करोड़ टन से बढ़ाकर वर्ष 2030-31 तक 6.97 करोड़ टन करना है। इसमें कहा गया है, ‘‘इसका उद्देश्य तिलहन की खेती, अतिरिक्त 40 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में बढ़ाना है।’’

ब्राजील और अर्जेंटीना से सोयाबीन तेल मंगाता है भारत

भारत- इंडोनेशिया और मलेशिया से पामतेल का आयात करता है। जबकि वह सोयाबीन तेल का आयात ब्राजील और अर्जेंटीना से करता है। देश, सूरजमुखी मुख्य रूप से रूस और यूक्रेन से आयात करता है। बयान के अनुसार, नव स्वीकृत एनएमईओ-तिलहन प्रमुख प्राथमिक तिलहन फसलों जैसे रैपसीड-सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी और तिल के उत्पादन को बढ़ाने के साथ-साथ बिनौला, चावल भूसी और पेड़ों से निकलने वाले तेलों जैसे द्वितीयक स्रोतों से संग्रह बढ़ाने और पेराई दक्षता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेगा। एनएमईओ-ओपी (ऑयल पाम) के साथ मिलकर, मिशन का लक्ष्य वर्ष 2030-31 तक घरेलू खाद्य तेल उत्पादन को दो करोड़ 54.5 लाख टन तक बढ़ाना है, जो हमारी अनुमानित घरेलू आवश्यकता की लगभग 72 प्रतिशत जरूरत को पूरा करेगा। इसे उच्च उपज देने वाली उच्च तेल सामग्री वाली बीज किस्मों को अपनाने, चावल की परती भूमि में खेती का विस्तार करने और अंतर-फसल को बढ़ावा देकर प्राप्त किया जाएगा।

65 नए बीज केंद्र और 50 बीज भंडारण इकाइयां बनेंगी

सरकार ने कहा, ‘‘मिशन, जीनोम एडिटिंग जैसी अत्याधुनिक वैश्विक तकनीकों का उपयोग करके उच्च गुणवत्ता वाले बीजों के चल रहे विकास का लाभ उठाएगा।’’ बयान के अनुसार, ‘‘बीज उत्पादन के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए सार्वजनिक क्षेत्र में 65 नए बीज केंद्र और 50 बीज भंडारण इकाइयाँ स्थापित की जाएंगी।’’ बयान में कहा गया है, ‘‘मिशन का उद्देश्य घरेलू तिलहन उत्पादन को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाना, खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को आगे बढ़ाना, जिससे आयात निर्भरता कम हो और किसानों की आय को बढ़ावा देते हुए मूल्यवान विदेशी मुद्रा की बचत है।’’ सरकार ने बताया कि देश आयात पर बहुत अधिक निर्भर है। आयात अभी खाद्य तेलों की घरेलू मांग का 57 प्रतिशत है।

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