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कृषि उत्पादों के लिए नए बाजार तलाशेगी सरकार, शिवराज बोले- टैरिफ को लेकर चिंता न करें किसान

अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया है, जबकि दोनों देश एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर चर्चा कर रहे हैं।

Edited By: Sunil Chaurasia
Published : Aug 13, 2025 06:47 am IST, Updated : Aug 13, 2025 06:47 am IST
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Photo:AP भारत में अपने कृषि उत्पाद बेचना चाहता है अमेरिका

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को किसानों से कहा कि उन्हें अमेरिकी टैरिफ में बढ़ोतरी के कारण बने हालातों को लेकर चिंता करनी की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि विशाल भारतीय बाजार कृषि उपज के निर्यात के लिए नए जगहों की तलाश करेगा। चौहान ने कहा कि भारत ने इस मामले में स्पष्ट रुख अपनाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में जो कहा था कि ‘‘वे किसानों के हितों से समझौता नहीं करेंगे, चाहे इसके लिए उन्हें भारी कीमत क्यों न चुकानी पड़े’’, वो भारत और भारतीय किसानों की आवाज है। 

भारत में अपने कृषि उत्पाद बेचना चाहता है अमेरिका

अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया है, जबकि दोनों देश एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर चर्चा कर रहे हैं। भारत के कृषि और डेयरी बाजार तक अधिक पहुंच की अमेरिकी मांग के कारण ये व्यापार समझौता अटका हुआ है। उन्होंने किसान नेताओं के एक समूह को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘आप चिंता मत कीजिए। देखते हैं क्या होता है। हम नए बाजार तलाशेंगे। भारत इतना बड़ा बाजार है कि इसकी खपत यहीं होगी।’’ अमेरिका की आबादी सिर्फ 30 करोड़ है, जबकि यूरोप की 50 करोड़ आबादी है। 

भारत की 140 करोड़ आबादी हमारी ताकत

केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘भारत की 140 करोड़ आबादी हमारी कमजोरी नहीं, बल्कि हमारी ताकत है। ये हमारी परीक्षा की घड़ी है और हमें झुकने की जरूरत नहीं है।’’ मंत्री ने कहा कि अमेरिका को कृषि क्षेत्र को अलग रखना चाहिए क्योंकि भारत और अमेरिका के बीच कृषि कार्यों और कृषि जोत के पैमाने की कोई उचित तुलना नहीं है। भारत की तुलना में आनुवंशिक रूप से संवर्धित और अन्य तकनीकों के उपयोग के कारण अमेरिका में प्रति हेक्टेयर उत्पादन लागत भी कम है। 

अमेरिकी उत्पाद भारत आया तो कीमतों में आएगी गिरावट

कृषि मंत्री ने कहा कि अमेरिकी किसानों के पास 10,000-15,000 हेक्टेयर कृषि जोत है, जबकि भारतीय किसानों के पास 3 एकड़ से भी कम है। अमेरिका अपने सोयाबीन, मक्का, गेहूं और अन्य उत्पादों को यहां भेजना चाहता है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर ये यहां आसानी से पहुंचता है, तो इससे स्थानीय कीमतों में और गिरावट आएगी। फिर हमारे किसान कहां जाएंगे? इसलिए, ये फैसला लिया गया कि चाहे कुछ भी हो जाए, किसानों के हितों से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जाएगा।’’

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