आईटी सेक्टर के दिग्गज टीसीएस और एक्सेंचर के छंटनी के ऐलान के बाद अब एविशन इंडस्ट्री से भी बड़ा झटका सामने आया है। जर्मनी की मशहूर एयरलाइन ग्रुप लुफ्थांसा (Lufthansa) ने सोमवार को घोषणा की कि कंपनी 2030 तक अपने एडमिनिस्ट्रेटिव लेवल पर 4000 कर्मचारियों की छंटनी करेगी। डिजिटलाइजेशन और ऑटोमेशन को बढ़ावा देने के नाम पर लिया गया यह कदम लाखों नौकरीपेशा लोगों के लिए चिंता की खबर है।
क्यों हो रही है छंटनी?
पिछले कुछ वर्षों में लुफ्थांसा को लगातार कॉस्ट प्रेशर और लेबर विवादों का सामना करना पड़ा है। कंपनी ने पिछले साल दो बार प्रॉफिट वार्निंग जारी की थी और 8% ऑपरेटिंग मार्जिन का टारगेट भी छोड़ना पड़ा था। हालांकि अब लुफ्थांसा ने दोबारा उसी टारगेट को पाने का रोडमैप तैयार किया है और कहा है कि वह 2030 के अंत तक 8-10% का ऑपरेटिंग मार्जिन हासिल करेगी। कंपनी का कहना है कि डिजिटलाइजेशन और ऑटोमेशन से कामकाज ज्यादा आसान और किफायती हो जाएगा। इसी वजह से नॉन-ऑपरेशनल स्टाफ में 20% तक कटौती की जाएगी, जिसमें ज्यादातर कर्मचारी जर्मनी से प्रभावित होंगे।
निवेशकों का भरोसा बढ़ा
छंटनी की इस खबर के बावजूद निवेशकों का भरोसा लुफ्थांसा पर बढ़ा है। कंपनी के शेयर सोमवार को शुरुआती ट्रेडिंग में 2% तक चढ़ गए। लुफ्थांसा का कहना है कि इन स्टेप्स से कंपनी हर साल 2.5 अरब यूरो (करीब 25,740 करोड़ रुपये) का फ्री कैश फ्लो जेनरेट कर पाएगी।
230 से ज्यादा नए विमान भी होंगे शामिल
दिलचस्प बात यह है कि एक तरफ लुफ्थांसा नौकरियों में कटौती करने जा रही है, तो दूसरी तरफ कंपनी ने 2030 तक 230 से ज्यादा नए विमान खरीदने का ऐलान भी किया है। इसका मकसद कंपनी के मुनाफे और नेटवर्क को बढ़ाना है। लुफ्थांसा का मानना है कि सब्सिडियरी कंपनियों को मजबूत कर और हाई-कॉस्ट डिवीजन से रिसोर्स हटाकर बेहतर रिटर्न्स हासिल किए जा सकते हैं।
टर्नअराउंड प्रोग्राम का हिस्सा
कंपनी ने साफ किया है कि यह छंटनी और विस्तार दोनों उसके टर्नअराउंड प्रोग्राम का हिस्सा हैं, जिसका मकसद है निवेशकों को भरोसा दिलाना कि लुफ्थांसा लॉन्ग टर्म में स्थिरता और विकास की राह पर है।






































