Friday, March 29, 2024
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MPC बैठक में RBI गवर्नर ने रेपो रेट को लेकर सुनाया बड़ा फैसला, 5 प्वाइंट में समझिए पूरा लेखा-जोखा

MPC Meeting Repo Rate: आरबीआई गवर्नर ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो रेट को लेकर अपना फैसला सुना दिया है। देश महंगाई को लेकर भी जानकारी दी गई है। आइए बैठक से जुड़ी 5 अहम बातें जानते हैं।

Vikash Tiwary Edited By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Updated on: June 08, 2023 10:56 IST
RBI Governor MPC Meeting- India TV Paisa
Photo:FILE RBI Governor MPC Meeting

RBI Governor MPC Meeting: 6 जून से शुरू हुई MPC की बैठक आज खत्म हो गई है। RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट में बदलाव करने को लेकर जानकारी दी है। उन्होंने कहा है कि वर्तमान की स्थिति को देखते हुए रेपो रेट को स्थिर रखा गया है। रेपो रेट इस बार भी 6.5 प्रतिशत पर स्थिर है। इस प्रकार यदि आपने होम लोन लिया है या फिर जल्द ही कार लोन लेने वाले हैं तो आपके लिए राहत की बात है। बता दें कि रिजर्व बैंक पिछले साल मई से लगातार रेपो रेट (RBI Repo Rate) में बढ़ोत्तरी कर रहा है। सिर्फ अप्रैल में हुई एमपीसी की बैठक में ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी नहीं हुई थी। रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट महंगा करने से सभी प्रकार के कर्ज महंगे (Expensive Loans) हो गए हैं। इसका सबसे बुरा असर होम लोन लेने वाले ग्राहकों की ईएमआई (EMI) पर पड़ा है। आइए समझते हैं कि इस बैठक में आम जनता को कितनी राहत मिली है। 

RBI गवर्नर की 5 बड़ी बातें

  1. आरबीआई वैश्विक स्तर पर अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र मजबूत तथा जुझारू बना हुआ है।
  2. मौद्रिक नीति समिति ने प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा है।  
  3. भू-राजनीतिक स्थिति की वजह से वैश्विक आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार घटेगी तथा महंगाई 4% के लक्ष्य से ऊपर बनी रहेगी। इसके पूरे साल के दौरान लक्ष्य से ऊपर रहने का अनुमान है।
  4. चालू वित्त वर्ष 2023-24 में जीडीपी वृद्धि दर के 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।आरबीआई को उम्मीद है कि जीडीपी वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आठ प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 6.5 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में छह प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.7 प्रतिशत रहेगी।
  5. वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान खुदरा महंगाई के अनुमान को 5.2 प्रतिशत से घटाकर 5.1 प्रतिशत कर दिया है।

घरेलू मांग की स्थिति वृद्धि के लिए सहायक बनी हुई है, ग्रामीण मांग बेहतर हो रही है। चालू खाते का घाटा चौथी तिमाही में और नीचे आएगा। यह काफी हद तक प्रबंधन के दायरे में रहेगा। भारतीय रुपया इस साल जनवरी से स्थिर है। आरबीआई ने ई-रुपया वाउचर के दायरे को बढ़ाने का फैसला किया है, गैर-बैंकिंग कंपनियों को इस तरह के साधन जारी करने की अनुमति दी जाएगी। आरबीआई ने बैंकों को 'रुपे प्रीपेड फॉरेक्स कार्ड' जारी करने की अनुमति दी है।

पिछले साल कब-कब बढ़ी ब्याज दर 

  • मई - 0.4 %
  • 8 जून -0.5 %
  • 5 अगस्त - 0.5 %
  • 30 सितंबर - 0.5 %
  • 7 दिसंबर - 0.35 %
  • 8 फरवरी - 0.25%

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