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GST Return को लेकर अगले साल की शुरुआत से बदल रहे नियम, रिटर्न भरने के लिए 3 साल की तय हो गई लिमिट

जीएसटीएन ने अनुपालन को लेकर एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है। इस बदलाव के तहत तीन साल की समयसीमा के बाद जीएसटी रिटर्न दाखिल करने पर रोक है।

Edited By: Pawan Jayaswal
Published : Oct 29, 2024 11:08 pm IST, Updated : Oct 29, 2024 11:08 pm IST
जीएसटी रिटर्न- India TV Paisa
Photo:FILE जीएसटी रिटर्न

जीएसटी रिटर्न को लेकर अगले साल की शुरुआत से नियम में बदलाव हो रहे हैं। इसके तहत 2025 की शुरुआत से जीएसटी करदाता मूल रूप से रिटर्न फाइल करने की नियत तारीख से तीन साल बाद मासिक और वार्षिक जीएसटी रिटर्न दाखिल नहीं कर पाएंगे। माल एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) ने मंगलवार को एक परामर्श में यह कहा। इसमें कहा गया है कि जीएसटी बिक्री रिटर्न के अलावा देनदारी के भुगतान, वार्षिक रिटर्न और स्रोत पर कर संग्रह से संबंधित रिटर्न पर नया नियम लागू होगा। यानी रिटर्न जमा करने की नियत तिथि से तीन साल की अवधि की समाप्ति के बाद रिटर्न भरने पर पाबंदी होगी।

3 साल की लिमिट के बाद नहीं भर पाएंगे रिटर्न

जीएसटीएन ने कहा, ‘‘उक्त बदलाव अगले साल (2025) की शुरुआत से जीएसटी पोर्टल में लागू होने जा रहा है। इसीलिए, करदाताओं को सलाह दी जाती है कि वे अपने रिकॉर्ड का मिलान कर लें और अभी तक जीएसटी रिटर्न नहीं भरा है तो जितनी जल्दी हो उसे भर दें।’’ एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ भागीदार रजत मोहन ने कहा कि जीएसटीएन ने अनुपालन को लेकर एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है। इस बदलाव के तहत तीन साल की समयसीमा के बाद जीएसटी रिटर्न दाखिल करने पर रोक है। उन्होंने कहा, ‘‘यह कदम समय पर अनुपालन सुनिश्चित करने, आंकड़ों की विश्वसनीयता बढ़ाने और जीएसटी प्रणाली के भीतर बिना भरे रिटर्न के ‘बैकलॉग’ को संभावित रूप से कम करने के मकसद से जुड़ा है। देरी से रिटर्न फाइल किये जाने से जुड़े मामले में अवधि को सीमित करने से करदाताओं को अपने रिकॉर्ड का मिलान करने और सुधारने के लिए प्रेरित किया गया है।’’

इन लोगों को होगी समस्या

मोहन ने कहा, ‘‘हालांकि, यह उन करदाताओं के लिए चुनौतियां भी पैदा कर सकता है, जिन्होंने रिटर्न भरा ही नहीं है। खासकर उन करदाताओं के लिए जो पुराने रिकॉर्ड को समेकित करने में प्रशासनिक या लॉजिस्टिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि कंपनियों को सक्रिय रूप से अपने रिटर्न फाइलिंग का ऑडिट करने और बची हुई अवधि के भीतर अगर कोई बचा हुआ रिटर्न है, तो उसका समाधान करने की सलाह दी जाती है।

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