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ड्यूटी फ्री इंपोर्ट के बावजूद क्यों नहीं सस्ते हो रहे खाने के तेल, जानिए क्या है महंगाई का कारण

बरसात की वजह से बिनौला की नयी फसल के मंडियों में आने में हुई देर तथा किसानों द्वारा नीचे भाव पर बिकवाली नहीं करने के बीच मूंगफली तेल तिलहन, सोयाबीन दाना और लूज (तिलहन) और बिनौला तेल कीमतें अपरिवर्तित बनी रहीं।

Edited By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published : Sep 17, 2022 20:21 IST, Updated : Sep 17, 2022 20:21 IST
Edible Oil- India TV Paisa
Photo:FILE Edible Oil

सूरजमुखी और सोयाबीन डीगम तेल के शुल्क मुक्त आयात के बावजूद प्रतिस्पर्धा प्रभावित होने तथा मांग और आपूर्ति का अंतर बढ़ने से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को सूरजमुखी और सोयाबीन डीगम तेल कीमतों में बढ़त दिखाई दी। इस तेजी का असर सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल कीमतों पर भी दिखा और इन तेलों में भी बढ़त का रुख देखने को मिला।

बाजार सूत्रों ने कहा कि बरसात की वजह से बिनौला की नयी फसल के मंडियों में आने में हुई देर तथा किसानों द्वारा नीचे भाव पर बिकवाली नहीं करने के बीच मूंगफली तेल तिलहन, सोयाबीन दाना और लूज (तिलहन) और बिनौला तेल कीमतें अपरिवर्तित बनी रहीं। बाजार सूत्रों ने कहा कि शिकॉगो एक्सचेंज कल रात अपरिवर्तित रहा था। सूत्रों ने कहा कि सरकार को सूरजमुखी और सोयाबीन डीगम तेल के शुल्क मुक्त आयात (20-20 लाख टन दोनों तेल प्रतिवर्ष, अगले दो वर्षाे के लिए) के अपने एक फैसले पर तुरंत पुनर्विचार कर तत्काल कोई निर्णय लेना चाहिये, क्योंकि इससे सोयाबीन और सूरजमुखी तेल के दाम भड़क रहे हैं।

सूत्रों ने कहा कि सरकार ने केवल तेल प्रसंस्करणकर्ता कंपनियों को शुल्क मुक्त आयात की छूट दी है और वे अगले दो साल तक 20-20 लाख टन सूरजमुखी और सोयाबीन तेल का शुल्क मुक्त आयात कर सकेंगे। इसके बाद बाकी आयात करने वालों को सात रुपये प्रति किलो के हिसाब से आयात शुल्क अदा करना होगा। सूत्रों ने कहा कि जो शुल्क मुक्त आयात होगा, उसके कम भाव के मुकाबले बाकी आयातित तेलों के भाव महंगे रहेंगे, क्योंकि उसमें आयात शुल्क का खर्च भी जुड़ेगा। इस स्थिति में कारोबारी आयात शुल्क अदा कर नये सौदे लेने से बच रहे हैं, क्योंकि बाजार भाव, छूट प्राप्त तेल के भाव के हिसाब से चलेगा। ऐसी स्थिति, मांग और आपूर्ति के अंतर को बढ़ा रही है और बाजार में कम आपूर्ति की स्थिति से अन्य खाद्यतेलों के भी दाम बढ़ सकते हैं।

सरकार को तत्काल इस फैसले पर पुनर्विचार कर कोई निदानात्मक कदम उठाना चाहिये। सूत्रों ने कहा कि कांडला बंदरगाह पर सूरजमुखी कच्चा तेल का भाव 112 रुपये किलो बैठता है। इसके रिफायनिंग का खर्चा अधिक से अधिक छह रुपये किलो बैठेगा। यानी कांडला पोर्ट पर रिफायनिंग के बाद सूरजमुखी तेल का थोक भाव 118 रुपये किलो होना चाहिये। दूसरी ओर अहमदाबाद की एक प्रमुख तेल प्रसंस्करण कंपनी ने थोक भाव 145 रुपये किलो निर्धारित कर रखा है। यानी जब थोक भाव ही लगभग 27 रुपये किलो अधिक होगा, तो खुदरा में ग्राहकों को और महंगे में यह तेल मिलेगा। यह स्थिति आपूर्ति की कमी की भी सूचक है।

इसी प्रकार, कच्चा सोयाबीन डीगम तेल का भाव कांडला पोर्ट पर 105 रुपये किलो बैठता है और रिफायनिंग के बाद इसका थोक भाव 109 रुपये बैठता है। दूसरी ओर कांडला बंदरगाह पर इसे 115 रुपये किलो के थोक भाव पर बेचा जा रहा है। खुदरा बाजार में सूरजमुखी तेल उपभोक्ताओं को 180-190 रुपये लीटर (910 ग्राम) और सोयाबीन रिफाइंड तेल 140-145 रुपये लीटर मिल रहा है। यानी शुल्क मुक्त आयात करने का फैसला अपेक्षित परिणाम देने के बजाय घरेलू बाजार में कम आपूर्ति का कारण बन गया है, जिससे मांग और आपूर्ति की खाई बढ़ रही है। सूत्रों ने कहा कि जब आयात की खुली छूट थी तो इन्हीं तेलों के थोक दाम कम हुआ करते थे। लेकिन शुल्कमुक्त आयात के बाद ‘शार्ट सप्लाई’ (कम आपूर्ति) की वजह से इन तेलों के दाम प्रीमियम के साथ बिक रहे हैं।

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