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मेमोरी-चिप बनाने में काम आ सकता है एलोवेरा, IIT इंदौर की रिसर्च

क्या आप जानते हैं के आप चेहरे और शरीर को स्वस्थ बनाने वाला एलोवेरा आपके मोबाइल में यूज़ आने वाली मैमोरी चिप बनाने में भी उपयोगी हो सकता है।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: July 01, 2021 14:42 IST
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Photo:FREEPIK.COM

मेमोरी-चिप बनाने में काम आ सकता है एलोवेरा, आईआईटी इंदौर की रिसर्च

 

एलोवेरा के औषधीय गुणों से तो हम सभी वाकिफ हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं के आप चेहरे और शरीर को स्वस्थ बनाने वाला एलोवेरा आपके मोबाइल में यूज़ आने वाली मैमोरी चिप बनाने में भी उपयोगी हो सकता है। हाल ही में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), इंदौर ने एलोवेरा के पौधे पर रिसर्च की है। जिसमें सामने आया है कि एलोवेरा के फूल के अर्क में ऐसे रासायनिक अवयव होते हैं जिनका उपयोग मैमोरी स्टोरेज के लिए किया जा सकता है।

केंद्र सरकार के प्रकाशन विभाग की वेबसाइट इंडिया साइंस वायर में छपी रिपोर्ट के अनुसार आईआईटी इंदौर की इस रिसर्च से जुड़ी रिसर्चर तनुश्री घोष ने बताया कि एलोवेरा के फूलों में ऐसे रासायनिक अवयव है जिनसे इलेक्ट्रॉनिक मेमोरी प्रभावित होती है और बैटरी की मदद से इन रासायनिक अवयवों का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक रूप से डाटा को स्टोर करने में किया जा सकता है। घोष बताती हैं कि एलोवेरा पर यह अपनी तरह की पहली रिसर्च है। अभी तक हुई किसी भी रिसर्च में वन​स्पति के इस पहलू पर गौर नहीं किया गया है। 

आईआईटी इंदौर के भौतिकी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ राजेश कुमार ने कहा कि हमने अपने इस रिसर्च में एलोवेरा के फूलों के रस में विद्युत प्रवाहित की। इस प्रयोग के नतीजों से पता चला कि इसके रस में इलेक्ट्रॉनिक मेमोरी के प्रभाव वाले रसायन हैं और आवश्यकता के अनुसार, इनकी विद्युत-चालकता को बढ़ाया और घटाया भी जा सकता है। डॉ राजेश कुमार ने आगे कहा कि मेमोरी चिप जैसे डाटा भंडारण उपकरण बनाने में कृत्रिम रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है। इस अध्ययन से कृत्रिम रसायनों के बजाय एलोवेरा के फूलों के रस में मिले प्राकृतिक रसायनों के इस्तेमाल की नई राह खुल सकती है।

इलेक्ट्रॉनिक्स में उपयोगी हो सकता है एलोवेरा 

आईआईटी इंदौर ने कहा है कि यह अध्ययन इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के क्षेत्र में उपयोगी सिद्ध हो सकता है। आईआईटी इंदौर के भौतिकी विभाग के साथ-साथ ग्रामीण विकास एवं प्रौद्योगिकी व एडवांस्ड इलेक्ट्रानिक्स केंद्रों के संयुक्त तत्वावधान में किया गया यह अध्ययन संस्थान के भारतीय ज्ञान पध्दति के प्रसार को बढ़ावा देने के प्रयासों को भी बल देगा। यह अध्ययन आंशिक रूप से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के फण्ड फॉर इम्प्रूवमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इन्फ्रास्ट्रक्चर (एफआईएसटी) विभाग और विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) द्वारा समर्थित हैं।

इस शोध-अध्ययन के निष्कर्ष ‘एसीएस एप्लाइड इलेक्ट्रॉनिक मैटेरियल्स’ में प्रकाशित किये गए हैं। यह अध्ययन आईआईटी इंदौर के भौतिकी विभाग की प्रयोगशाला मटेरियल्स एंड डिवाइस (मैड) में किया गया। इस अध्ययन को एसोसिएट प्रोफेसर डॉ राजेश कुमार के निर्देशन में तनुश्री घोष, सुचिता कांडपाल, चंचल रानी, मनुश्री तंवर, देवेश पाठक और अंजलि चौधरी ने अंजाम दिया गया।

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