Thursday, July 17, 2025
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धड़ाम हुआ बाजार! सेंसेक्स 636 अंक लुढ़ककर बंद, निफ्टी भी नीचे; जानें क्यों टूटा मार्केट

शेयर बाजार में हाई वैल्युएशन, विदेशी पूंजी का बाहर जाना और अनियमित अमेरिकी व्यापार नीति के चलते चौथी तिमाही के कमजोर परिणामों के बीच गिरावट दर्ज की गई।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Published : Jun 03, 2025 16:00 IST, Updated : Jun 03, 2025 16:17 IST
भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने और आरबीआई एमपीसी के महत्वपूर्ण नतीजों से पहले निवेशक सतर्क रहे।
Photo:INDIA TV भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने और आरबीआई एमपीसी के महत्वपूर्ण नतीजों से पहले निवेशक सतर्क रहे।

घरेलू शेयर बाजार ने मंगलवार को निवेशकों को निराश किया। बीएसई सेंसेक्स 636 अंकों की बड़ी गिरावट के साथ कारोबार के अंत में 636.24 अंक टूटकर 80,737 के लेवल पर बंद हुआ। इसी तरह, एनएसई निफ्टी 174.1 अंक की गिरावट के साथ 24,542.50 के लेवल पर टिका। निफ्टी बैंक भी 303.45 अंक कमजोर होकर 55,599.95 के लेवल पर बंद हुआ। कोल इंडिया, अपोलो हॉस्पिटल्स, बजाज फाइनेंस, हिंदुस्तान यूनिलीवर और मारुति सुजुकी इंडिया में 2 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई।

कमजोर ग्लोबल संकेतों के बीच निवेशक रहे सतर्क

खबर के मुताबिक, कमजोर ग्लोबल संकेतों, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और विदेशी फंडों की लगातार निकासी के बीच मंगलवार को शुरुआती कारोबार में सूचकांकों में गिरावट दर्ज की गई। भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने और आरबीआई एमपीसी के महत्वपूर्ण नतीजों से पहले निवेशक सतर्क रहे। 

लेकिन इन शेयरों में दिखी तेजी

मॉनसून की शुरुआती प्रगति ने कृषि से जुड़े कारोबार के लिए दृष्टिकोण को बेहतर बनाने में मदद की, जिससे उर्वरक शेयरों में उछाल आया। शिपयार्ड कंपनियों में भी मजबूत खरीदारी देखी गई, जिसमें कोचीन शिपयार्ड और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स में से प्रत्येक में लगभग 6% की वृद्धि हुई। रियल्टी शेयरों में तेजी रही, जिससे निफ्टी रियल्टी इंडेक्स में 1% की वृद्धि हुई।

आखिर बाजार में क्यों आई गिरावट

भारतीय शेयर बाजार के हाई वैल्युएशन को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। निफ्टी 50 का मौजूदा मूल्य-से-आय (पीई) अनुपात इसके एक साल के औसत पीई से ऊपर है। इसके अलावा, अमेरिका की अनिश्चित व्यापार नीति दुनिया भर में निवेशकों को सतर्क बनाए हुए है। बाजार का मानना ​​है कि ट्रंप की टैरिफ नीतियों के बारे में कोई निश्चितता नहीं है, जिससे चिंताएं बढ़ती रहेंगी। साथ ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने पिछले दो सत्रों में लगभग 9,000 करोड़ रुपये के भारतीय शेयर बेचे हैं, जो कि अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में वृद्धि और भारतीय इक्विटी के ऊंचे मूल्यांकन के बीच है।

बाजार  पर चौथी तिमाही के कमजोर नतीजों और टैरिफ संबंधी अनिश्चितता के कारण घरेलू बाजार में नए सकारात्मक संकेतों का अभाव है, जिसका असर बाजार पर देखा जा रहा है। एक सबसे लेटेस्ट वजह रूस के अंदरूनी हिस्से में सैन्य हवाई अड्डों पर यूक्रेन द्वारा हाल किए गए हमलों के बाद रूस-यूक्रेन युद्ध में नई तीव्रता देखी गई है।

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