लंबे समय से चर्चा में रहे बीमा क्षेत्र सुधारों की दिशा में केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने बीमा कंपनियों में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) की सीमा 74% से बढ़ाकर 100% करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। firstpost की खबर के मुताबिक, यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 12 दिसंबर को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। सरकार का कहना है कि एफडीआई सीमा बढ़ने से बीमा क्षेत्र में अधिक विदेशी पूंजी आएगी, जिसके परिणामस्वरूप उद्योग की वित्तीय मजबूती बढ़ेगी, प्रतिस्पर्धा में वृद्धि होगी और ग्राहकों को बेहतर सेवाएं मिलेंगी।
शीतकालीन सत्र में आएगा बिल
यह प्रस्तावित बिल मौजूदा शीतकालीन सत्र (19 दिसंबर तक) में संसद में पेश किया जाएगा। अधिकारियों के अनुसार, बढ़ी हुई एफडीआई सीमा से बीमा कंपनियों को सॉल्वेंसी रेशियो सुधारने, बैलेंस शीट मजबूत करने, कवरेज बढ़ाने में बड़ी मदद मिलेगी। भारत जैसे कम बीमा पैठ वाले बाजार में यह कदम इनोवेशन और व्यापक सुधारों को गति देगा।
अन्य बड़े सुधारों पर फिलहाल रोक
बीमा क्षेत्र से जुड़े कई और व्यापक सुधार-जैसे कॉम्पोजिट लाइसेंस, पूंजी आवश्यकता में ढील और विशेष बीमा कंपनियों के लिए आसान प्रवेश फिलहाल इस चरण में शामिल नहीं किए गए हैं। सूत्रों के अनुसार, ये प्रस्ताव अभी भी समीक्षा के चरण में हैं और कैबिनेट ने अभी केवल एफडीआई सीमा बढ़ोतरी को ही आगे बढ़ाया है।
लोकसभा की सूची में इंश्योरेंस लॉज़ (अमेंडमेंट) बिल 2025 को चर्चित विधेयकों में शामिल किया गया है। इसका उद्देश्य बीमा पैठ बढ़ाना, क्षेत्रीय विकास को प्रोत्साहित करना और ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को बेहतर बनाना है। एफडीआई सीमा बढ़ाने का ऐलान सबसे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में किया था।
बीमा कानूनों में बड़े बदलाव की तैयारी
अब तक बीमा क्षेत्र में लगभग ₹82,000 करोड़ का एफडीआई निवेश हो चुका है। वित्त मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित संशोधनों में- बीमा अधिनियम 1938 में पूंजी आवश्यकताओं को कम करना, कॉम्पोजिट लाइसेंस की अनुमति देना, एलआईसी अधिनियम 1956 और आईआरडीएआई अधिनियम 1999 में संशोधन करना शामिल है। एलआईसी अधिनियम में प्रस्तावित बदलावों के बाद एलआईसी बोर्ड को भर्ती, विस्तार और संचालन संबंधी फैसलों में अधिक स्वतंत्रता मिल सकती है।
2047 तक ‘सबके लिए बीमा’ है लक्ष्य
सरकार का व्यापक सुधार एजेंडा पॉलिसीधारकों के हितों की सुरक्षा, वित्तीय स्थिरता को मजबूत करने, बीमा क्षेत्र में नए खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने और ‘इंश्योरेंस फॉर ऑल बाय 2047’ के लक्ष्य को हासिल करने पर केंद्रित है। फिलहाल बीमा अधिनियम 1938 ही बीमा कंपनियों, नियामक, पॉलिसीधारकों और निवेशकों के अधिकारों तथा दायित्वों को संचालित करने वाला मूल कानून है।






































