यह प्रस्तावित बिल मौजूदा शीतकालीन सत्र (19 दिसंबर तक) में संसद में पेश किया जाएगा। अब तक बीमा क्षेत्र में लगभग ₹82,000 करोड़ का एफडीआई निवेश हो चुका है।
वित्त मंत्री ने इस साल के बजट भाषण में, नई पीढ़ी के वित्तीय क्षेत्र सुधारों के तहत बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा को मौजूदा के 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा था।
सरकार ने 2020 के प्रेस नोट तीन के तहत भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों से विदेशी निवेश के लिए पूर्व मंजूरी को अनिवार्य कर दिया था।
विदेशी निवेश में कमी आई है। मार्च तिमाही में FDI में गिरावट दर्ज की गई है। विदेशी निवेशकों में कमी वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण हुआ है।
देश में अधिकतर क्षेत्रों में स्वचालित मार्ग से FDI की अनुमति है, जबकि दूरसंचार, मीडिया, दवा और बीमा जैसे क्षेत्रों में विदेशी निवेशकों के लिए सरकार की मंजूरी की आवश्यकता होती है।
जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प टैरिफ कम करने के मामले में भारत को किनारे पर धकेल रहे हैं और निर्धारित शर्तों, खासकर टैरिफ पर सहमत होने के लिए मजबूर कर रहे हैं तो भारत और चीन के लिए यह एक उपयुक्त समय है।
Foreign Direct Investment : महाराष्ट्र को वित्त वर्ष 2024-25 के पहले नौ महीनों में कुल 1,39,434 करोड़ रुपये का एफडीआई प्राप्त हुआ है।
एफडीआई किसी दूसरे देश में निवेश करने को बताता है। इसमें एक देश से दूसरे देश में प्रत्यक्ष पूंजी प्रवाह शामिल है। एफआईआई उन निवेशों से जुड़ा है जो सामूहिक रूप से विदेशी परिसंपत्तियों में किए जा सकते हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को अपने बजट में घोषणा की थी कि बीमा क्षेत्र के लिए एफडीआई सीमा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत की जाएगी।
भारत में विदेशी निवेश में गिरावट आई है। आपको बता दें कि भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 2023-24 में 3.49 प्रतिशत घटकर 44.42 अरब डॉलर रहा है। सेवा, कंप्यूटर हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर, दूरसंचार, मोटर वाहन और औषधि जैसे क्षेत्रों में कम निवेश के कारण यह गिरावट आई है।
वित्त मंत्री की इस घोषणा के बाद कंपनियों को आने वाले समय में फायदा मिलेगा।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने जापान के नेताओं और अधिकारियों के साथ कई मद में बैठकें कीं। इस दौरान उन्होंने राज्य में विदेशी निवेश समेत भारत-जापान संबंधों को बढ़ावा देने को लेकर भी वार्ता की।
मैन्यूफेक्चरिंग सेक्टर में एफडीआई इक्विटी फ्लो में 69 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई, जो 2004-2014 में 98 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2014-2024 में 165 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया। एक्सपर्ट्स ने कहा कि तमाम ग्लोबल चैलेंज के बावजूद भारत अभी भी ग्लोबल कंपनियों के लिए पसंदीदा इंवेस्टमेंट डेस्टिनेशन है।
आंकड़ों के अनुसार, भारत को मॉरीशस से 177.18 अरब अमेरिकी डॉलर, सिंगापुर से 167.47 अरब अमेरिकी डॉलर और अमेरिका से 67.8 अरब अमेरिकी डॉलर मिले।
सेक्टरों के लिहाज से सर्विस, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर, ट्रेडिंग, टेलीकॉम, ऑटोमोबाइल, फार्मा और केमिकल इंडस्ट्री में निवेश बढ़ा है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान सर्विस में एफडीआई बढ़कर 5.69 अरब डॉलर हो गया है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में ये 3.85 अरब डॉलर था।
चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान सेवाओं में एफडीआई बढ़कर 5.69 अरब डॉलर हो गया है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 3.85 अरब डॉलर था।
पिछले 10 वित्तीय वर्षों में, एफडीआई प्रवाह में 119 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो पिछले 10 वर्षों (2005-14) में 304 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में 667 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच गया है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने 30 जुलाई को कहा था कि सरकार चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को समर्थन देने पर कोई पुनर्विचार नहीं कर रही है।
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के मुताबिक, उत्तर प्रदेश 370 करोड़ रुपये के साथ आठवें और राजस्थान 311 करोड़ रुपये के साथ नौवें स्थान पर रहा।
आंकड़ों के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में महाराष्ट्र को सबसे अधिक 15.1 अरब डॉलर का एफडीआई आया। यह आंकड़ा 2022-23 में 14.8 अरब डॉलर था। इसके बाद गुजरात को 7.3 अरब डॉलर का निवेश मिला जो 2022-23 में 4.7 अरब डॉलर था।
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