देश में लगातार बढ़ते बैंकिंग फ्रॉड को रोकने के लिए आरबीआई ने बैंकों को डोमेन बदलने का निर्देश दिया है।
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि एआई और मशीन लर्निंग को ट्रांजैक्शन मॉनिटरिंग सिस्टम से जोड़ा जा सकता है।
एसबीआई के ग्राहक ने बताया कि उसे बैंक की तरफ से शुक्रवार को 12.00 बजे ये टेक्स्ट मैसेज प्राप्त हुआ है। एसबीआई ने अपने ग्राहकों को टेक्स्ट मैसेज के जरिए अपराधियों द्वारा साइबर फ्रॉड के लिए अपनाई जा रही तरकीब को लेकर आगाह किया है।
साइबर क्राइम को अंजाम देने वाले अपराधी लगातार नए-नए तरीकों से लोगों को ठग रहे हैं। इसी कड़ी में डिजिटल अरेस्ट के भी काफी मामले सामने आ रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने लोगों को डिजिटल अरेस्ट से सतर्क रहने की अपील करते हुए चेतावनी दी है।
देश-दुनिया में धीरे-धीरे ही सही, लेकिन AI का इस्तेमाल बढ़ रहा है। वहीं दूसरी ओर, साइबर अपराधी भी साइबर फ्रॉड को अंजाम देने में जमकर AI का इस्तेमाल कर रहे हैं। सरकार की कोशिश है कि किसी भी तरह के साइबर फ्रॉड को रोका जाए और इसके लिए तमाम कोशिशें भी की जा रही हैं।
इसके साथ ही मल्होत्रा ने बैंकों से निरंतर वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने, वित्तीय समावेश का विस्तार करने, डिजिटल साक्षरता में सुधार करने, ऋण की उपलब्धता और सामर्थ्य बढ़ाने, ग्राहक सेवा और शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत करने और प्रौद्योगिकी में निवेश जारी रखने को कहा।
भारतीय स्टेट बैंक ने अपने ग्राहकों को एक टेक्स्ट मैसेज कर चेतावनी दी है और सतर्क रहने की अपील की है। एसबीआई ने मैसेज में लिखा है, ''प्रिय एसबीआई ग्राहक, अप्रत्याशित डिपॉजिट के बाद तत्काल पैसे वापस करने वालेस अनुरोधों से सावधान रहें। सत्यापन के बिना कलेक्ट यूपीआई रिक्वेस्ट को अप्रूव न करें।''
युवक को जैसे ही फ्रॉड का पता चला, उसने सबसे पहले एसबीआई कस्टमर केयर में कॉल कर इसकी जानकारी दी। इसके साथ ही, युवक ने अपने नजदीकी पुलिस थाने और साइबर क्राइम सेल में भी इसकी शिकायत दर्ज कराई। युवक को एसबीआई में शिकायत करने का कोई फायदा नहीं मिला, बल्कि बैंक के कर्मचारी पीड़ित को ही लापरवाह बताने लगे।
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बताया कि लोगों के फोन पर आने वाली मार्केटिंग कॉल और धोखाधड़ी वाली कॉल से निपटने के लिए एक पूर्ण प्रणाली लागू की गई है।
साइबर जालसाज आपको शेयर बाजार में 30-50 प्रतिशत तक के रिटर्न का लालच देने की कोशिश कर सकते हैं और आपको एक फर्जी वेबसाइट पर आने के लिए आमंत्रित कर सकते हैं।
अपने क्रेडिट कार्ड पासवर्ड को नियमित रूप से बदलना आपकी वित्तीय जानकारी की सुरक्षा का एक इफेक्टिव तरीका है। हालांकि बार-बार अपना पासवर्ड बदलना असुविधाजनक लग सकता है, लेकिन ऐसा न करने के साइबर फ्रॉड का खतरा बढ़ सकता है।
साइबर फ्रॉड के मामलों को देखकर ये तो साफ हो गया है कि इसके जाल में सिर्फ छोटे शहरों में रहने वाले कम पढ़े-लिखे लोग ही नहीं बल्कि दिल्ली-मुंबई में रहने वाले पढ़े-लिखे प्रोफेशनल्स भी बुरी तरह से फंस रहे हैं। लोगों को साइबर फ्रॉड से सुरक्षा देने के लिए भारत सरकार का गृह मंत्रालय एक हेल्पलाइन नंबर ऑपरेट करता है।
त्योहारों के दौरान लोग शॉपिंग को लेकर काफी एक्साइटेड रहते हैं। ये एक्साइटमेंट इतनी ज्यादा होती है कि लोग कीमतों की तुलना करना भूल जाते हैं और फिर बाद में जब उन्हें ये मालूम चलता है कि जो सामान उन्होंने 1000 रुपये में खरीदा है, वो दूसरी जगह 500-600 रुपये में ही मिल रहा था।
ट्राई ने कहा कि फर्जी कॉल के लिए बल्क कनेक्शन का इस्तेमाल करने वाली कंपनियों के खिलाफ सख्त एक्शन लेते हुए उन्हें 2 साल के लिए ब्लैक लिस्ट किया जाएगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023-24 के दौरान धोखाधड़ी में शामिल राशि 13,930 करोड़ रुपये रही जो एक साल पहले 26,127 करोड़ रुपये थी। वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान धोखाधड़ी के मामलों की संख्या 36,075 हो गई, जो एक साल पहले 13,564 थी।
एचडीएफसी बैंक सहित कम से कम पांच भारतीय बैंक हैं, जो मनी म्यूल लेनदेन पर नजर रख रहे हैं। बैंकिंग धोखाधड़ी विश्लेषण विशेषज्ञों का कहना है कि बैंक पहले संदिग्ध मनी म्यूल खातों को ब्लॉक करते हैं और फिर जांच शुरू करते हैं।
सूत्रों ने कहा कि दुकानदारों और बैंकिंग प्रतिनिधि के स्तर पर आंकड़ों (डेटा) की सुरक्षा को मजबूत करने की जरूरत है, क्योंकि इनके स्तर पर डेटा में सेंध लगने की आशंका अधिक होती है।
क्लाउडसेक ने कहा कि हैकर ने किसी भी उल्लंघन में शामिल होने से इनकार किया है और कानूनी रूप से अघोषित स्रोत के माध्यम से आंकड़े प्राप्त करने का दावा किया है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, दूरसंचार विभाग ने दूरसंचार परिचालकों से अपनी प्रणाली का सुरक्षा ऑडिट कराने को कहा है।
केंद्र सरकार ने बैंकिंग धोखाधड़ी पर लगाम लगाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। आपको बता दें कि सरकार ने देश में 70 लाख वैसे मोबाइल नंबर बंद कर दिए हैं, जिसके जरिये साइबर फ्रॉड किए जा रहे थे। इसके साथ ही दूसरे कदम भी उठाए हैं।
लेटेस्ट आंकड़ों के मुताबिक, साइबर क्राइम (Cyber Crime) में 77.41 प्रतिशत के साथ ऑनलाइन फाइनेंसियल फ्रॉड सबसे ज्यादा हो रहे हैं।
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