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बांग्लादेश के जेशोरेश्वरी शक्तिपीठ में गिरा था माता का यह अंग, जान लें इस मंदिर का इतिहास और महत्व

जेशोरेश्वरी मंदिर बांग्लादेश में स्थित हिंदू धर्म का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। इसका महत्व और इतिहास क्या है आइए जानते हैं।

Written By: Naveen Khantwal
Published : Oct 11, 2024 14:26 IST, Updated : Oct 11, 2024 14:26 IST
jeshoreshwari temple- India TV Hindi
Image Source : SOCIAL jeshoreshwari temple

जशोरेश्वरी काली मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, बांग्लादेश के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में स्थित है। इस पवित्र मंदिर को हिंदू धर्म के शक्तिपीठों में से एक माना जाता है।  जेशोरेश्वरी मंदिर शक्तिपीठों की उस श्रृंखला का हिस्सा है, जहां देवी सती के शरीर के शरीर के अलग-अलग अंग गिरे थे। मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर में माता सती का दाहिना हाथ गिरा था। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साल 2021 में इस मंदिर के दर्शन किए थे, और साथ ही सोने-चांदी की परत चढ़ा मुकुट भी इस मंदिर में चढ़ाया था, जो अब चोरी हो गया है। यह मंदिर कितने साल पूराना है और इसका क्या महत्व है, आइए जानते हैं। 

जेशोरेश्वरी मंदिर का इतिहास

जेशोरेश्वरी मंदिर का इतिहास बेहद प्राचीन है। यह माना जाता है कि, इस मंदिर का निर्माण करीब 12वीं शताब्दी में अनारी नाम के एक ब्राह्मण ने करवाया था किया गया था। इसका नाम ‘जेशोरेश्वरी’ इसलिए रखा गया क्योंकि यह जेसोर नामक क्षेत्र (आज का बांग्लादेश) में स्थित है। हालाँकि, मंदिर के निर्माण की सटीक तिथि और विवरण विभिन्न स्रोतों में भिन्न हो सकते हैं, लेकिन इसके धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को लेकर व्यापक मान्यता है। कुछ लोगों का मानना है कि सेकड़ों वर्षों से यह मंदिर स्थित है। वर्तमान में भी कई लोग इस मंदिर के दर्शन करने जाते हैं। 

धार्मिक महत्व

जेशोरेश्वरी मंदिर हिंदू धर्म के 51 शक्तिपीठों में से एक है। मान्यताओं के अनुसार, यहां देवी सती का हाथ गिरा था। यह मंदिर देवी काली के रूप में माता सती की पूजा का स्थान है। मंदिर में देवी की मूर्ति को शक्ति और समर्पण की प्रतीक माना जाता है, और यहाँ श्रद्धालु माता से आशीर्वाद प्राप्त करने आते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस मंदिर में जो भी भक्त आता है उसको भय, रोग से मुक्ति मिलती है। साथ ही भक्तों की सभी मनोकामनाओं को माता पूरा करती हैं। 

सांस्कृतिक महत्व

यह मंदिर न केवल धार्मिक रूप से तो महत्वपूर्ण है ही, लेकिन बंगाल की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी इसे माना जाता है। यहाँ नवरात्रि के साथ ही हर वर्ष विभिन्न त्योहारों के दौरान पूजा और उत्सव का आयोजन भक्तों के द्वारा किया जाता है, माता दुर्गा के साथ ही काली माता की पूजा आराधना भी इस मंदिर में की जाती है। बांग्लादेश के साथ ही हिंदू धर्म के मानने वाले सभी लोगों के लिए सांस्कृतिक रूप से इस मंदिर का खास महत्व है। यही वजह है कि, बांग्लादेश और भारत के साथ ही विश्व के कोने-कोने से भक्त यहां माता के दर्शन करने पहुंचते हैं। 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। । इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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