Friday, April 26, 2024
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गेंद को चमकाने के लिए लार पर बैन लगाना चाहती है क्रिकेट समिति, आईसीसी से की सिफारिश

क्रिकेट समिति ने गेंद पर लार के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए आईसीसी से नियम में बदलाव लाने की सिफारिश की है।

India TV Sports Desk Written by: India TV Sports Desk
Updated on: May 18, 2020 22:56 IST
Ball- India TV Hindi
Image Source : GETTY Ball

कोरोना महामारी के कारण जहां सभी प्रकार की खेल गतिविधियों पर रोक लगी हुई हैं। इसी बीच क्रिकेट की कर्ता-धर्ता मानी जाने वाली इंटरनेशनल क्रिकेट संस्था ( आईसीसी ) ने एक विचार प्रकट किया है। उसका मानना है कि इस महामारी के बाद जब भी क्रिकेट को वापसी हो तो इससे बचने के लिए गेंदबाज गेंद में लार, थूक या पसीने का इस्तेमाल उसे चमकाने के लिए ना करे। जिसको लेकर क्रिकेट के गलियारे में एक बहस सी छिड़ी हुए है। कई क्रिकेट पंडितों और दिग्गजों ने इसे गेंदबाजों के साथ नाईंसाफी बताया तो कुछ का मानना है कि ऐसा कदम उठाया जाना चाहिए। जिसके बाद अब इस ओर एक और बड़ा कदम उठाया है। क्रिकेट समिति ने गेंद पर लार के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए आईसीसी से नियम में बदलाव लाने की सिफारिश की है। जबकि पसीने के इस्तेमाल को हानिकारक नहीं बताया है

अनिल कुंबले की अध्यक्षता वाली समिति ने COVID-19 से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने के लिए बुलाई गई एक कॉन्फ्रेंस कॉल का समापन किया, जिसमें मैच की गेंद की स्थिति को बनाए रखना और न्यूट्रल अंपायरों और रेफरी की अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में नियुक्ति शामिल थी। क्रिकेट समिति की सिफारिशों को अब जून की शुरुआत में आईसीसी मुख्य कार्यकारी समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।

कुंबले ने आईसीसी की विज्ञप्ति में कहा, ‘‘हम बेहद विषम दौर से गुजर रहे हैं और समिति ने आज जो सिफारिशें की है वे क्रिकेट का मूल स्वरूप कायम रखते हुए खेल को सुरक्षित तरीके से शुरू करने के लिये अंतरिम उपाय हैं। ’’ विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘आईसीसी क्रिकेट समिति ने आईसीसी चिकित्सा सलाहकार समिति के डा.पीटर हरकोर्ट से लार के माध्यम से वायरस के संक्रमण का जोखिम बढ़ने के बारे में सुना और गेंद को चमकाने के लिये लार का उपयोग बंद करने पर सर्वसम्मति से सहमित जतायी।’’

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गेंदबाज हालांकि गेंद को चमकाने के लिये पसीने का उपयोग कर सकते हैं क्योंकि इससे वायरस का संक्रमण नहीं होता है। विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘समिति ने चिकित्सा सलाहकारों की बात पर ध्यान दिया कि पसीने के जरिये वायरस के प्रसार की संभावना बेहद कम है। इसलिए गेंद को चमकाने के लिये पसीने के उपयोग पर रोक लगाने की जरूरत नहीं है। ’’

क्रिकेट की गेंद विशेष कर लाल गेंद पर लार का उपयोग गेंद पर चमक बनाने और उससे स्विंग हासिल करने के लिये किया जाता है लेकिन इसे अब स्वास्थ्य के लिये जोखिम के तौर पर देखा जा रहा है। बैठक में जिस अन्य महत्वपूर्ण मसले पर चर्चा हुई वह कुछ समय के लिये द्विपक्षीय श्रृंखलाओं में फिर से गैर तटस्थ अंपायरों को नियुक्त करना है।

विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘राष्ट्रीय सीमाएं बंद होने, सीमित व्यावसायिक उड़ानों और अनिवार्य पृथकवास के कारण अंतरराष्ट्रीय यात्रा की चुनौतियों को देखते हुए समिति कुछ समय के लिये स्थानीय मैच अधिकारियों की नियुक्ति करने की सिफारिश करती है।’’

मैचों में दो न्यूट्रल अंपायरों को रखने का नियम 2002 से लागू हुआ था। इससे पहले 1994 से लेकर 2001 तक एक स्थानीय और एक तटस्थ अंपायर रहता था। आईसीसी स्थानीय एलीट और अंतरराष्ट्रीय पैनल के रेफरी और अंपायरों में से नियुक्ति करेगी। जिस देश में एलीट पैनल के मैच अधिकारी नहीं है वहां अंतरराष्ट्रीय पैनल के मैच अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी। इसका मतलब है कि अनिल चौधरी, शम्सुद्दीन और नितिन मेनन स्वदेश में टेस्ट मैचों में अंपायरिंग कर सकते हैं। इस सिफारिशों को मंजूरी के लिये आईसीसी बोर्ड के सामने रखा जाएगा। 

( With input Bhasa )

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