Monday, May 06, 2024
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पाक में अगर क्रिकेट जिंदा है तो हिन्दुस्तान की बदौलत: शोएब अख़्तर

भारत और पाकिस्तान के बीच दिसंबर, 2012 से भले ही कोई द्विपक्षीय क्रिकेट सीरीज़ न हुई हो और न ही भारतीय क्रिकेट की वजह से सीधे तौर पर पाकिस्तानी क्रिकेट का कोई भला हुआ हो,

Puneet Bhardwaj Puneet Bhardwaj
Updated on: May 17, 2015 12:34 IST
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‘बीसीसीआई की बदौलत पाक में जिंदा है क्रिकेट'

भारत और पाकिस्तान के बीच दिसंबर, 2012 से भले ही कोई द्विपक्षीय क्रिकेट सीरीज़ न हुई हो और न ही भारतीय क्रिकेट की वजह से सीधे तौर पर पाकिस्तानी क्रिकेट का कोई भला हुआ हो, लेकिन क्या आप फिर भी मानेंगे कि पाकिस्तान में क्रिकेट की डूबती नाव को बचाने के पीछे भारतीय क्रिकेट का ही हाथ है!

अगर आप ऐसा नहीं मानते तो ये जान लीजिए कि दुनिया के सबसे तेज़ गेंदबाज़ और पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब अख़्तर कुछ ऐसा ही सोचते हैं। शोएब अख़्तर के मुताबिक अगर पाकिस्तान में घरेलू क्रिकेट जिंदा है, अगर पाकिस्तानी क्रिकेट ग्राउंड्स की 22 गजों की पिचों पर क्रिकेट की किलकारियां अभी भी गूंज रही हैं तो इसके पीछे दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड यानी बीसीसीआई का ही हाथ है।

पाक क्रिकेट की संजीवनी बना बीसीसीआई-

शोएब अख़्तर ने यह बात इंडियन प्रीमियर लीग में सनराइजर्स हैदराबाद और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलौर के बारिश से प्रभावित मैच के दौरान टीवी चैनल पर कही। इस मैच में बारिश ने इतना खलल डाला कि मैच होते-होते 10 घंटे से ज़्यादा की देरी हो गई। अमूमन एक टी-20 मैच 3-4 घंटे के भीतर खत्म हो जाता है, लेकिन एक टी-20 मैच के लिए 10 घंटों से ज़्यादा का इंतज़ार करने वाले भारतीय दर्शकों की तारीफ करते हुए शोएब ने कहा कि इंडिया के इसी पैशन की बदौलत भारतीय क्रिकेट में सबसे ज़्यादा पैसा है और भारतीय क्रिकेट में हो रही चांदी की बदौलत ही वर्ल्ड क्रिकेट और ख़ासतौर पर पाकिस्तानी क्रिकेट की सांसें चल रही है। उन्होंने बीसीसीआई के क्रिकेट मैनेजमेंट और आईपीएल जैसे मुनाफ़ेवाले टूर्नामेंट्स की तारीफ करते हुए ऐसे टूर्नामेंट्स से होने वाली कमाई को पाकिस्तानी क्रिकेट की संजीवनी भी बताया।

भारत-पाक क्रिकेट सीरीज़ से जुड़ी पीसीबी की आस-

वर्ल्ड क्रिकेट में बीसीसीआई यानी इंडियन क्रिकेट का दबदबा जगज़ाहिर है। दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड के पास पाकिस्तानी क्रिकेट के डूबते जहाज को बचाने के लिए पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) ने भी घरेलू सीरीज़ की गुहार लगाई है। हाल ही में पीसीबी के अध्यक्ष शहरयार खान ने कोलकाता जाकर बीसीसीआई के अध्यक्ष जगमोहन डालमिया से मुलाकात की। पीसीबी चाहती है कि वह भारत के खिलाफ घरेलू क्रिकेट सीरीज़ खेलकर अपने आर्थिक हालात में सुधार करे, क्योंकि जहां पर भारतीय क्रिकेट की भूमिका आ जाती है वहां टीवी ब्रॉडकास्ट राइट्स, विज्ञापन, क्रिकेट दर्शकों का पैशन, मैच टिकट आदि से क्रिकेट में पैसा खुदबखुद बरसने लगता है। पाकिस्तानी क्रिकेट भी भारतीय क्रिकेट से कुछ ऐसी ही उम्मीदें लगाए बैठा है। फिलहाल गेंद बीसीसीआई और भारत सरकार के पाले में। अगर दोनों पक्ष रज़ामंद हो जाते हैं तो बेहद मुमकिन है कि भारत-पाक इस साल दिसंबर में क्रिकेट के मैदान पर आमने-सामने आ जाएं। इससे पहले आखिरी बार दिसंबर, 2012 में भारत और पाकिस्तान नें कोई द्विपक्षीय क्रिकेट सीरीज़ खेली थी। इसके अलावा दोनों चिर प्रतिद्वंदी आईसीसी टूर्नामेंट्स और एशिया कप में भिड़ते रहे हैं।

पूर्व पाक क्रिकेटरों को भी मिला भारत में रोज़गार-

ये बात किसी से नहीं छिपी है कि पाकिस्तान में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट की गुमशुदगी की वजह से ज़्यादातर पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर बीसीसीआई और भारतीय क्रिकेट की शरण में हैं। चाहे वो कोलकाता नाइटराइडर्स के बॉलिंग कोच की भूमिका निभा रहे वसीम अकरम हो या फिर आईपीएल मैचों की टीवी कमेंट्री कर रहे शोएब अख्तर या रमीज़ राजा। इन नामों के अलावा पाकिस्तान के कई पूर्व क्रिकेटर भी भारतीय क्रिकेट में अपनी अगली पारी खेलने की संभावनाएं तलाश रहे हैं। और बीसीसीआई के लिए भी शान की बात है कि पाकिस्तान के इतने काबिल पूर्व क्रिकेटर भारतीय क्रिकेट में अपना योगदान दे रहे हैं। हालांकि 26/11  के मुंबई हमले के बाद भारत सरकार ने किसी भी मौजूदा पाकिस्तानी क्रिकेटर के आईपीएल में खेलने पर बैन लगाया हुआ है लेकिन तब भी पूर्व क्रिकेटरों के लिए कमेंट्री या कोचिंग का रास्ता खुला हुआ है।

आईसीसी का कुबेर है बीसीसीआई-

हर भारतीय क्रिकेट फैन के लिए ये गर्व की बात है वर्ल्ड क्रिकेट और क्रिकेट की अंतर्राष्ट्रीय संस्था आईसीसी में बीसीसीआई का रेवन्यू शेयर सबसे ज़्यादा है। एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2015 और 2022 के दौरान आईसीसी का कुल राजस्व 15,700 करोड़ रहने की उम्मीद है, जिसमें बीसीसीआई का शेयर सबसे ज़्यादा 22.9%  आंका गया है। इस फेहरिस्त में बाकी क्रिकेट बोर्ड का नंबर बीसीसीआई के बाद ही आता है। ग़ौर करने लायक बात है कि बीसीसीआई अपने राजस्व का 68 फीसदी हिस्सा आईसीसी को देता आया है और जबकि अब तक बीसीसीआई को बदले में सिर्फ चार फीसदी हिस्सा ही आईसीसी से मिलता रहा है। लेकिन आईसीसी के नए प्रस्ताव के हिसाब से अब वर्ष 2015 से 2022 के दौरान बीसीसीआई की बढ़ती दबंगई की वजह से अब उसे चार फीसदी की बजाए 21 फीसदी हिस्सा आईसीसी के कुल राजस्व से मिला करेगा। ऐसे में 2015-2022 के दौरान बीसीसीआई का आईसीसी से कुल राजस्व 55-77 करोड़ डॉलर तक मिलने का अनुमान है। यानी कोई शोएब अख़्तर से इत्तेफ़ाक रखे या ना रखे लेकिन ये सच है कि भारत वाकई दुनिया में क्रिकेट का दबंग है और क्रिकेट के इस कुबेर की वजह से ही पाकिस्तान या फिर दुनिया के दूसरे कोनों में क्रिकेट ज़िंदा है।

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