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25 जून 1983: भारत ने 39 साल पहले वर्ल्ड कप जीत रचा था इतिहास, कैसे कपिल देव की टीम ने हारी हुई बाजी को किया था अपने नाम

भारतीय क्रिकेट टीम ने 25 जून 1983 को ही पहली बार वनडे वर्ल्ड कप अपने नाम किया था। कपिल देव की उस टीम ने मजबूत वेस्टइंडीज को 43 रनों से मात दी थी।

Priyam Sinha Written by: Priyam Sinha @PriyamSinha4
Published on: June 25, 2022 11:48 IST
1983 World Cup की कुछ तस्वीरें- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV 1983 World Cup की कुछ तस्वीरें

Highlights

  • 1983 में आज ही के दिन विश्व चैंपियन बनी थी भारतीय क्रिकेट टीम
  • फाइनल मुकाबले में कपिल देव की टीम ने वेस्टइंडीज को 43 रनों से दी थी मात
  • मोहिंदर अमरनाथ और मदन लाल ने पलटी थी भारत की किस्मत

भारतीय टीम ने आज ही दिन यानी 25 जून 1983 को 39 साल पहले वर्ल्ड क्रिकेट पर पहली बार राज किया था। उसी दिन टीम इंडिया ने पहली बार वनडे वर्ल्ड कप का खिताब जीता था। उसी दिन कपिल देव की टीम ने अपना नाम इतिहास के पन्नों पर सुनहरे अक्षर से लिखकर अमर कर दिया था। उसी दिन से भारत में शुरू हुई थी एक खेल के धर्म बनने की कहानी। और आज उसी दिन के कारण क्रिकेट भारत में सिर्फ खेल नहीं बल्कि धर्मा और एक भावना बन चुका है। 

आज क्रिकेट जगत मना रहा है भारत की 1983 की वेस्टइंडीज पर उत ऐतिहासिक जीत की 39वीं सालगिरह। कपिल देव की अगुआई वाली भारतीय टीम ने लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर इतिहास रचते हुए पहली बार विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया था। उस मैच में पहली पारी के बाद लग रहा था कि टीम अब हार गई है। लेकिन भारतीय जांबाजों ने कम स्कोर के बावजूद घुटने नहीं टेके और हारी हुई समझी जाने वाली उस बाजी को जीतकर अपना नाम अमर कर दिया।

कैसे टीम इंडिया ने रचा था इतिहास?

फाइनल मुकाबले में टीम इंडिया का सामना था उस दौर की सबसे खतरनाक टीम और पहले दो वर्ल्ड कप (1975 और 1979) की चैंपियन टीम वेस्टइंडीज से। भारतीय टीम जोश से भरी हुई थी क्योंकि टीम लीग राउंड में विंडीज को एक बार हरा चुकी थी लेकिन एक बार कैरेबियाई टीम ने भी भारत को धूल चटाई थी। ऐसे में उम्मीद कांटे की टक्कर की थी। पूरे सीजन में भी विंडीज को भारत के अलावा किसी भी टीम ने मात नहीं दी थी।फाइनल मुकाबला शुरू हुआ और टॉस जीतकर वेस्टइंडीज के कप्तान क्लाइव लॉयड ने पहले फील्डिंग का फैसला किया।

इसके बाद भारतीय बल्लेबाज सुनील गावस्कर औक कृष्णमचारी श्रीकांत मैदान पर बल्लेबाजी के लिए उतरे। मैल्कम मार्शल और एंडी रॉबर्ट्स अपनी गेंदों से आग उगल रहे थे। इसी बीच रॉबर्ट्स ने 2 रन पर भारत को पहला झटका गावस्कर (2) को आउट कर दे दिया। इसके बाद मोहिंदर अमरनाथ (26) ने श्रीकांत (38) के साथ दूसरे विकेट के लिए 57 रन जोड़े। 59 के कुल स्कोर पर श्रीकांत आउट हुए और 90 के स्कोर पर अमरनाथ। देखते ही देखते 111 पर भारत का स्कोर था 6 विकेट। आखिरी में सैय्यद किरमानी (14), मदन लाल (17) और बलविंदर संधू (11) की बदौलत भारत का स्कोर पहुंचा 183 तक। 

वेस्टइंडीज को लगातार तीसरी बार विश्व चैंपियन बनने के लिए 184 रनों की जरूरत थी। भारतीय फैंस खामोश थे। वेस्टइंडीज का खेमा ओवरकॉन्फिडेंट था कि उनकी जीत तय है। लेकिन अंत में कुछ ऐसा हुआ कि वेस्टइंडीज उस वर्ल्ड कप से तो चूकी साथ ही आज तक उसके बाद वनडे विश्व कप अपने नाम नहीं कर पाई। भारतीय गेंदबाजों ने वो कमाल किया जिसकी शायद किसी को उम्मीद नहीं थी। कपिल देव की उस टीम कुछ ही घंटों के अंदर विश्व प्रख्यात हो गई थी। 

कपिल की टीम ने जीता हारी हुई बाजी

बल्लेबाजी में फ्लॉप होने के बाद अक्सर जब स्कोर कम होता है तो गेंदबाजों के कंधे झुक जाते हैं। लेकिन कपिल देव की उस टीम ने हार नहीं मानी थी। उसे फर्क नहीं पड़ रहा था कि उनके सामने सबसे मजबूत टीम वेस्टइंडीज खड़ी है। फिर भी उस टीम ने दिखा दिया कि हारी हुई बाजी को कैसे अपने नाम किया जाता है। 184 रनों का लक्ष्य चेज करने उतरी वेस्टइंडीज की शुरुआत भी डगमगाई। 5 रन पर गोर्डन ग्रीनिज आउट हुए। इसके बाद विवियन रिचर्ड्स अच्छी लय में दिख रहे थे और उनके साथ डेसमन्ड हेन्स भी ऐसा लग रहा था कि जल्दी मैच खत्म करना चाहते हैं।

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फिर मदन लाल ने खेल को पलटा और पहले हेन्स और फिर रिचर्ड्स को आउट कर भारतीय फैंस के चेहरे पर खुशियां लौटाईं। देखते ही देखते 66 रन पर आधी कैरेबियाई टीम पवेलियन लौट गई थी। भारतीय गेंदबाज हावी थे और एक-एक करके विंडीज के बल्लेबाजों को वापस पवेलियन का रास्ता दिखा रहे थे। 76 पर 6 विकेट के बाद मैल्कम मार्शल और जेफ डुजोन क्रीज पर टिक गए। भारतीय खिलाड़ी फिर परेशान हुए। इस बार काम किया मोहिंदर अमरनाथ ने जिन्होंने 5 रन के अंदर मार्शल और डुजोन दोनों को आउट कर दिया। भारतीय टीम और फैंस को जीत की खुशबू आने लगी थी। 

फिर आया ऐतिहासिक लम्हा

कपिल देव ने एंडी रॉबर्ट्स को आउट कर भारत को 9वीं सफलता दिलाई थी। वेस्टइंडीज की आखिरी जोड़ी मैदान पर थी और जीत के लिए चाहिए थे करीब 58 रन। जोएल गार्नर और माइकल होल्डिंग क्रीज पर थे। देखते स्कोर 140 तक पहुंच गया और रन बचे सिर्फ 44। इतने में आए मोहिंदर अमरनाथ जिन्होंने एक शानदार गेंद पर माइकल होल्डिंग को एलबीडबल्यू आउट किया और भारत की इस टीम का नाम इतिहास के पन्नों पर अमर कर दिया। इस विकेट के बाद भारत चैंपियन बन गया था। मदन लाल और मोहिंदर अमरनाथ ने 3-3 विकेट झटके थे।

यह उस ऐतिहासिक जीत का असर और उसका महत्व बताता है कि आज 39 साल बाद भी हम उस जीत को याद कर रहे हैं। आज भी देश के लिए उस जीत का खास महत्व है और हम उसका आनंद उठा रहे हैं। उस जीत पर और उस टीम के सभी नायकों के योगदान को दर्शाने के लिए हाल ही में रणवीर सिंह स्टारर फिल्म 83 को भी बड़े पर्दे पर रिलीज किया गया था। इस फिल्म में कपिल देव की वो ऐतिहासिक 175 रनों की पारी भी दिखी थी जिसे दुनिया उस वक्त बीबीसी की स्ट्राइक के कारण नहीं देख पाई थी।

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