Tuesday, March 25, 2025
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इन प्लेयर्स को अब सरकार की ओर से नहीं मिलेगी प्राइस मनी, जानें क्यों लिया गया ये फैसला

भारत में सरकार द्वारा दिए जाने वाले नकद पुरस्कारों की नीति में बदलाव हुआ है। अब जूनियर प्रतियोगिताओं को केवल पदक पर नहीं, बल्कि विकासात्मक मंच के रूप में बढ़ावा दिया जाएगा। इसके अलावा, सीनियर एथलीटों के पुरस्कार भी बदले हैं।

Written By: Rishikesh Singh
Published : Feb 11, 2025 13:34 IST, Updated : Feb 11, 2025 13:34 IST
Sports
Image Source : X भारतीय रुपए

भारत में कई बार एथलीटों को उनके अच्छे खेल और मेडल जीतने के कारण सरकार की ओर से प्राइज मनी दिए जाते हैं। पहले के सिस्टम के तहत, जूनियर विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने पर एथलीट को लगभग 13 लाख रुपए मिलते थे, जबकि एशियाई या कॉमनवेल्थ गेम्स में पहला स्थान पाने पर 5 लाख रुपए का पुरस्कार मिलता था। लेकिन अब, मंत्रालय ने जूनियर प्रतियोगिताओं को केवल पोडियम फिनिश पर केंद्रित न रखने का निर्णय लिया है, बल्कि इसे विकासात्मक मंच के रूप में बढ़ावा देने की कोशिश की है।

अधिकारी ने दी जानकारी

एक मंत्रालय अधिकारी ने कहा कि भारत ही एकमात्र देश था, जहां जूनियर चैंपियनशिप को अत्यधिक महत्व दिया जाता था, जिसके कारण एथलीट इस स्तर पर इतनी मेहनत करते थे कि जब वे उच्च स्तर तक पहुंचते हैं, तो वे थक जाते हैं या उनकी प्रतिस्पर्धा की इच्छा खत्म हो जाती है। साथ ही, सीनियर एथलीटों के लिए पुरस्कार नीति में भी बदलाव किए गए हैं। मंत्रालय ने राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप और साउथ एशियाई खेलों को पुरस्कार सूची से हटा दिया है। शतरंज में इंटरनेशनल मास्टर या ग्रैंडमास्टर मानक हासिल करने पर अब कोई पुरस्कार नहीं मिलेगा।

इसके अलावा, शूटिंग खिलाड़ी मनु भाकर के पिछले साल पेरिस खेलों में दो कांस्य पदक जीतने के बाद, ओलंपिक और विश्व चैंपियनशिप में हर पदक के लिए अब खिलाड़ी और उनके कोचों को पुरस्कार मिलेगा। वह अकादमी या अखाड़ा जहां पदक विजेता ने प्रशिक्षण लिया होगा, उसे भी पुरस्कार मिलेगा। पहले की नीति में यह शर्त थी कि एथलीट के परिवार (पति, पत्नी, माता-पिता, भाई-बहन) को पुरस्कार नहीं मिलेगा, जिसे अब हटा दिया गया है।

इस कारण से लिया गया ये फैसला

सालों से, नकद पुरस्कारों को डोपिंग और आयु धोखाधड़ी जैसे अपराधों के लिए एक प्रमुख प्रेरणा माना गया है। राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग एजेंसी के आंकड़ों के अनुसार, 2022 से अब तक भारत में 10% से अधिक डोपिंग अपराधी बच्चे हैं, जिनमें से 204 में से 22 बच्चे हैं। हालांकि कोई केंद्रीय प्रणाली नहीं है जो यह ट्रैक करती हो कि कितने एथलीट अपनी उम्र में हेरफेर करते हैं, फिर भी पिछले कुछ सालों में कई एथलीट विभिन्न खेलों में निलंबित किए गए हैं। कई अन्य इससे बच गए हैं।

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