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20 साल की श्रद्धा ने किकबॉक्सिंग में किया कमाल, WAKO वर्ल्ड कप में जीत लिया गोल्ड

20 साल की श्रद्धा रांगड़ ने उज्बेकिस्तान में वाको विश्व कप में गोल्ड मेडल अपने नाम किया है। वह रोज कठिन ट्रेनिंग करती हैं, जिसके तीन सेशन होते हैं।

Reported By : Nirnay Kapoor Edited By : Govind Singh Published : Sep 27, 2024 19:14 IST, Updated : Sep 27, 2024 19:27 IST
Shraddha Rangarh- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Shraddha Rangarh

फरीदाबाद की 20 साल की श्रद्धा रांगड़ ने उज्बेकिस्तान में सीनियर महिला म्यूजिकल फॉर्म हार्ड स्टाइल श्रेणी में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने दमदार प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल अपने नाम किया। वह खेल के प्रति अपने समर्पण और प्रतिभा के लिए जानी जाती हैं। बचपन से श्रद्धा को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। वह एक  पारंपरिक पहाड़ी परिवार में पली-बढ़ीं। उन्होंने अपने जज्बे और साहस से 20 साल की उम्र में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं, जिसमें जी-1 इंटरनेशनल ताइक्वांडो पदक विजेता और स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के साथ राष्ट्रीय स्वर्ण पदक विजेता होना शामिल है।

चैंपियन बनने का हर एथलीट का होता है सपना: श्रद्धा

श्रद्धा रांगड़ ने कहा कि यह कुछ ऐसा है जिसे मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकती। यह जानना हर एथलीट का सपना होता है कि एक चैंपियन बनना और वैश्विक मंच पर अपना राष्ट्रगान सुनना कैसा लगता है। मेरे जीवन का एकमात्र उद्देश्य अपने राष्ट्र को गौरवान्वित करना है, और मैं इस पर कायम हूं।

कठिन ट्रेनिंग श्रद्धा के जीवन का है अहम हिस्सा

श्रद्धा की ट्रेनिंग कठिन है, जिसमें दिन के तीन सेशन शामिल हैं। जो सुबह 4:30 बजे शुरू होते हैं और रात 9 बजे समाप्त होते हैं। उन्होंने कहा कि मेरा सुबह का सत्र तीन घंटे तक ताकत, चपलता और सहनशक्ति पर फोकस है। दोपहर के सत्र में, मैं नए कौशल सीखने पर काम करती हूं। अभी मैं इल्यूजन ट्विस्ट, टच डाउन रेज, चीट गेनर और कॉर्कस्क्रू जैसी तकनीकों पर ध्यान फोकस कर रही हूं। केवल कुछ स्किल पर ही फोकस करना गलत होगा। मैंने सालों तक विभिन्न तकनीकों का अभ्यास किया है। मुझे 720 किक, बी-ट्विस्ट और अपनी सांस को नियंत्रित करने में संघर्ष करना पड़ता था, लेकिन अब मैं उन क्षेत्रों में आत्मविश्वास महसूस करती हूं। 

विश्व कप के बाद एशियाई चैंपियनशिप को देखते हुए उनके लिए ये साल चुनौतियां लेकर आया है। उन्होंने कहा कि मानसिक तैयारी पूरी तरह निरंतरता पर निर्भर है। यदि आप सुसंगत हैं, तो आप जीतने के लिए पर्याप्त आश्वस्त हैं। मेरे माता-पिता चाहते थे कि मैं अपने परिवार के अन्य टॉपर्स की तरह कड़ी मेहनत से पढ़ाई करूं, लेकिन मैं एक फाइटर बनना चाहती थी। फिर रिजल्ट देखने के बाद अब वो मुझे सपोर्ट करते हैं। 

ताइक्वांडो मास्टर को दिया धन्यवाद

श्रद्धा ने कहा कि धन्यवाद देने के लिए बहुत सारे लोग हैं, लेकिन मैं विशेष रूप से अपने ताइक्वांडो मास्टर, सैयद फिरोज की आभारी हूं। उन्होंने मेरी बुनियादी बातों को संरचित किया और मेरे अंदर चिंगारी प्रज्वलित की। उनका शुक्रिया। जब आप रिंग में उतरते हैं, तो दिमाग अहम भूमिका निभाता है। श्रद्धा भारतीय खेलों में एक प्रेरणादायक शख्सियत के रूप में खड़ी हैं, जो विश्व मंच पर छा जाने के लिए तैयार हैं।

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