NASA DART Mission: नासा के डार्ट मिशन को सफलता मिल गई है। उसका अंतरिक्ष यान एक उल्कापिंड से टकराया था और उसकी कक्षा बदलने में सफल रहा है।
China in Space: चीन अंतरिक्ष में ब्रिटेन और पश्चिमी देशों की सैटेलाइट्स को तबाह करने के लिए नई तरह के हथियारों को विकसित कर रहा है। उसके पास पहले से ही सैटेलाइट-रोधी हथियार भी हैं।
India's space power:अंतरिक्ष और विज्ञान की दुनिया में भारत के कदम अब और भी आगे बढ़ रहे हैं। वर्ष 2025 तक भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था लगभग 13 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत अपने अंतरिक्ष मिशन को लेकर काफी संजीदा है।
NASA DART Mission: ‘डबल एस्टेरॉयड रीडायरेक्शन टेस्ट’ (डार्ट) के अंतरिक्षयान ने इरादतन डाइमॉरफोस नाम के उल्कापिंड को 26 सितंबर को टक्कर मारी थी। डाइमॉरफोस वास्तव में डिडिमोस नाम के उल्कापिंड का पत्थर था।
NASA DART Mission: चिली के एक टेलीस्कोप द्वारा ली गई एक नई तस्वीर से पता चला कि नासा के ‘डार्ट’ अंतरिक्ष यान ने टक्कर मारकर जो उल्कापिंड तोड़ा था, उसका मलबा स्पेस में हजारों किलोमीटर फैला है।
वैज्ञानिकों के एक अंतरराष्ट्रीय दल को मंगल के दक्षिण ध्रुवीय आइस कैप के नीचे तरल रूप में पानी के संभावित अस्तित्व के नए सुबूत मिले हैं। किसी ग्रह का ऊपरी भाग जो बर्फ से ढका हो उसे ‘आइस कैप’ कहते हैं।
Space Debris: जलवायु परिवर्तन की तरह अंतरिक्ष में कचरे की समस्या से केवल अंतरराष्ट्रीय सहयोग से ही निपटा जा सकता है। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के रूपरेखा समझौते पर 1992 में रियो पृथ्वी सम्मेलन में हस्ताक्षर किए गए थे।
Jupiter Picture: यह ग्रह, जो सूर्य के चारों ओर एक पूरा चक्कर लगाने में 11 साल से अधिक का समय लेता है, अपनी कक्षा में सूर्य के बिल्कुल विपरीत था और इसी की वजह से यह पृथ्वी से देखे जाने वाले आकाश में सबसे चमकीली चीजों में से एक बन गया।
NASA DART Mission: उल्कापिंड डाइमॉरफोस धरती के लिए कोई खतरा नहीं था, लेकिन इससे अंतरिक्षयान की टक्कर कराकर ये पता लगाने की कोशिश की गई है कि क्या भविष्य में उल्कापिंड की टक्कर से धरती को बचाने में मदद मिलेगी।
NASA DART Mission to Save Earth: वैज्ञानिकों के अनुसार अब वाकई धरती खत्म होने वाली है। इसकी वजह दो विशाल उल्का पिंड हैं, जो धरती पर गिरने वाले हैं। इससे धरती पूरी तरह चकनाचूर हो जाएगी। इस धरती पर तब कोई भी सुरक्षित नहीं बचेगा।
NASA DART Mission: इस टक्कर से, वैज्ञानिक ये पता लगाएंगे कि अंतरिक्ष में टक्कर के बाद उल्कापिंड पर क्या प्रभाव पड़ेगा। अंतरिक्षयान इस घटना की तस्वीरें भी लेगा, जिन्हें लाइव स्ट्रीम के जरिए नासा की वेबसाइट पर शाम 5:30 बजे जारी किया जाएगा।
Space News: तारा और ग्रह निर्माण के क्षेत्र में साल 2014 के अंत में एक क्रांति हुई, जब सितारों के चारों ओर ग्रह-निर्माण डिस्क की पहली तस्वीरों को चिली के रेगिस्तान में अटाकामा लार्ज मिलिमीटर एरे (अल्मा) टेलीस्कोप से देखा गया। अल्मा की पहली और बाद की तस्वीरें शानदार थीं।
सैटेलाइट इंटरनेट कंपनी ह्यूजेस कम्युनिकेशंस इंडिया ने सोमवार को Elon Musk द्वारा संचालित स्पेसएक्स के रूप में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा संचालित भारत के पहले उच्च-थ्रूपुट उपग्रह (एचटीएस) ब्रॉडबैंड सेवा के वाणिज्यिक लॉन्च की घोषणा की है।
Space Mining: अंतरिक्ष खनन को लेकर एक ओर जहां विज्ञान जगत में उत्साह दिख रहा है, वहीं दूसरी ओर इसमें आने वाली समस्याओं पर बात नहीं की जा रही है।
World News: वैसे तो चीन हर प्रयोग अपना गोपनीय रखता है। वो मसला अंतरिक्ष से जुड़ा हो या डिफेंस अपने काम को काफी ही छिपाकर रखता है। हालांकि इस बार चीनी वैज्ञानिकों ने एक नया किर्तीमान स्थापित कर दिखाया है।
Rocket Launch: तीन सितंबर को फ्लॉरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से स्पेस लॉन्च सिस्टम रॉकेट के उड़ान भरने के ठीक 40 मिनट पहले, एक ईंधन लाइन के लीक होने के कारण इंजीनियरों को आर्टेमिस आई मून मिशन लॉन्च टालना पड़ा।
Area 51: एरिया 51 अमेरिका के नेवादा राज्य के मरुस्थल में है। ये जगह अमेरिकी सरकार से जुड़े रहस्यों और एलियन तकनीक की खोज को लेकर जानी जाती है। यहां की ताजा तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं।
SpaceX Mission:एलन मस्क द्वारा संचालित स्पेसएक्स ने सोमवार को इस साल अब तक अपने 40 वें मिशन को पूरा करते हुए 51 और स्टारलिंक उपग्रहों को अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक तैनात करने का रिकॉर्ड बनाया है।
Nasa: नासा ने इस शनिवार 3 सितंबर को आर्टेमिस 1 चंद्र मिशन शुरू करने की योजना बनाई थी। सप्ताह की शुरुआत में पहले प्रयास में इंजन में समस्या के कारण अंतिम समय में इसे रद्द कर दिया गया था।
India's Moon Mission: इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन (इसरो) ने एक ऐसी तकनीकि ईजाद की है जिससे कि अब हर अंतरिक्ष यानि की सुरक्षित लैंडिंग की जा सकेगी। इसरो के वैज्ञानिकों ने जुलाई 2019 में मिशन मून-2 की चंद्रमा पर लैंडिंग कराते समय लैंडर के भटक जाने के बाद सबक लेते हुए यह तकनीकि विकसित करने में सफलता पाई है।
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