Wednesday, July 09, 2025
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ईरान के न्यूक्लियर साइट्स पर हमले के बाद ब्रिटेन, चीन, जापान और सऊदी समेत कई देशों का आया रिएक्शन, जानें किसने क्या कहा

ईरान के न्यूक्लियर साइट्स पर अमेरिकी हमले के बाद दुनिया के ज्यादातर देशों ने कूटनीतिक रूप से समाधान खोजने की वकालत की है। ज्यादातर देशों ने ईरान के न्यूक्लियर साइट्स पर अमेरिकी हमले को सही ठहराया है। वहीं चीन ने अमेरिका को कठघरे में खड़ा किया है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Jun 22, 2025 13:07 IST, Updated : Jun 22, 2025 13:17 IST
ईरान के न्यूक्लियर साइट्स पर अमेरिकी हमले का दृश्य।
Image Source : X ईरान के न्यूक्लियर साइट्स पर अमेरिकी हमले का दृश्य।

वाशिंगटन: ईरान की न्यूक्लियर साइट्स पर अमेरिका के हमले के बाद दुनिया के विभिन्न देशों का रिएक्शन आना शुरू हो चुका है। ब्रिटेन ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमलों को सही ठहराया है और कहा है कि अब ईरान को बातचीत की मेज पर आगे आना चाहिए। वहीं सऊदी अरब ने कहा है कि अमेरिकी स्ट्राइक के बाद ईरान में रेडिएशन का कोई खतरा नहीं है। सऊदी अरब ने कूटनीतिक वार्ता के जरिये समाधान की वकालत की है। 

न्यूजीलैंड ने किया वार्ता की ओर लौटने का आग्रह

वहीं न्यूजीलैंड के विदेश मंत्री विंस्टन पीटर्स ने रविवार को“सभी पक्षों से वार्ता की ओर लौटने" का आग्रह किया। उन्होंने संवाददाताओं को यह नहीं बताया कि न्यूजीलैंड राष्ट्रपति ट्रंप की कार्रवाई का समर्थन करता है या नहीं। उन्होंने कहा कि यह संकट, ‘‘ अब तक का सबसे गंभीर संकट है और इसे आगे बढ़ने से रोका जा सकता है।’’ उन्होंने कहा, “कूटनीति सैन्य कार्रवाई की तुलना में अधिक स्थायी समाधान प्रदान करेगी।”

ओमान ने की अमेरिकी हमले की निंदा

ओमान ने खुले तौर पर ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमले की निंदा की है। बता दें कि ओमान ईरान और अमेरिका के बीच चल रही परमाणु वार्ता में मध्यस्थता की भूमिका भी निभा रहा था। ओमान ने इस हमले को गलत ठहराते हुए तनाव कम करने का आह्वान किया है। 

चीन ने भी दिया रिएक्शन

ईरान पर अमेरिकी हमले का चीन ने भी रिएक्शन दिया है। चीन के सरकारी मीडिया ने सवाल किया कि क्या अमेरिका ईरान में वही गलती दोहरा रहा है, जो उसने इराक में की थी। चीन के सरकारी प्रसारक की विदेशी भाषा शाखा ‘सीजीटीएन’ के ऑनलाइन लेख में कहा गया है कि अमेरिकी हमले एक खतरनाक मोड़ को दर्शाते हैं। लेख में 2003 में इराक पर अमेरिकी आक्रमण का हवाला देते हुए कहा गया है, “इतिहास ने बार-बार दिखाया है कि पश्चिम एशिया में सैन्य हस्तक्षेप के अक्सर अनपेक्षित परिणाम होते हैं, जिसमें लंबे समय तक संघर्ष और क्षेत्रीय अस्थिरता जारी रहना शामिल है।” 

जापान और दक्षिण कोरिया करेंगे प्रभावों पर बैठक

जापान के एनएचके टेलीविजन के अनुसार, जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा रविवार दोपहर को ईरानी परमाणु केन्द्रों पर अमेरिकी हमले के प्रभाव पर चर्चा करने के लिए प्रमुख मंत्रियों के साथ बैठक करेंगे। वहीं दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा कि वह रविवार को एक आपातकालीन बैठक आयोजित करेगा, जिसमें अमेरिकी हमलों के सुरक्षा व आर्थिक परिणामों और दक्षिण कोरिया की संभावित प्रतिक्रिया पर चर्चा की जाएगी।

ऑस्ट्रेलिया ने की कूटनीतिक समाधान की वकालत

इस पूरे मामले पर ऑस्ट्रेलिया ने एक बार फिर इजरायल-ईरान संघर्ष को कूटनीतिक रूप से समाधान खोजने की वकालत की है। एक सरकारी अधिकारी ने लिखित बयान में कहा, “हम स्पष्ट रूप से कह चुके हैं कि ईरान का परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा के लिए खतरा रहा है। हम अमेरिकी राष्ट्रपति का समर्थन करते हैं कि अब शांति का समय आ गया है।” बयान में कहा गया है, “क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति अत्यधिक अस्थिर है। हम एक बार फिर तनाव कम करने, संवाद व कूटनीति का आह्वान करते हैं।” 

अमेरिका ने अचानक कर दिया ईरान पर हमला

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बृहस्पतिवार को कहा था कि वह ईरान के खिलाफ युद्ध में इजरायल का साथ देने के बारे में दो सप्ताह में फैसला लेंगे। हालांकि उन्होंने महज दो दिन में फैसला कर लिया और इजराइल के अभियान में शामिल होते हुए रविवार तड़के ईरान के 3 अहम परमाणु ठिकानों पर हमला कर दिया। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि अमेरिकी हमलों से ईरान को कितना नुकसान पहुंचा है। इससे पहले ईरान ने कहा था कि अगर अमेरिका ने इजराइल का साथ दिया तो वह जोरदार पलटवार करेगा। अमेरिका के हमलों के बाद विभिन्न देशों और संगठनों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।

संयुक्त राष्ट्र ने जताई चिंता

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा है कि वह ईरान के परमाणु केंद्रों पर अमेरिका के बम हमलों से बेहद चिंतित हैं। गुतारेस ने एक बयान में कहा, ‘‘इस बात का जोखिम है कि यह संघर्ष तेजी से नियंत्रण से बाहर हो सकता है जिसके नागरिकों, क्षेत्र और दुनिया के लिए विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।’’ उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा,‘‘मैं सदस्य देशों से तनाव कम कराने की अपील करता हूं। इसका कोई सैन्य समाधान नहीं है। कूटनीति ही कोई हल निकाल सकती है।’’ (एपी)

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