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China and Russia: क्या चीन और रूस में ‘पक्की दोस्ती’ हो गई है? अमेरिका को UNSC में यूं दी मात

UNSC ने साल 2006 में उत्तर कोरिया के पहले परमाणु परीक्षण के बाद उस पर बहुत ही कड़े प्रतिबंध लगाए थे।

Edited by: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published : May 27, 2022 15:15 IST
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Image Source : AP FILE Vladimir Putin, Joe Biden and Xi Jinping.

Highlights

  • चीन और रूस ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका द्वारा पेश प्रस्ताव के खिलाफ वीटो कर दिया।
  • रूस और चीन की इस जुगलबंदी को अमेरिका के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
  • अमेरिका को आशंका है कि इन मिसाइलों का इस्तेमाल परमाणु हथियार ले जाने में किया जा सकता है।

China and Russia: एक के बाद एक मिसाइलों की टेस्टिंग किए जा रहे उत्तर कोरिया के लिए चीन और रूस एक बार फिर ढाल बनकर सामने आए हैं। चीन और रूस ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका द्वारा पेश उस प्रस्ताव के खिलाफ वीटो कर दिया, जिसमें उत्तर कोरिया पर उसके अंतरमहाद्विपीय बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण के लिए नए कठोर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान था। रूस और चीन की इस जुगलबंदी को अमेरिका के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। अमेरिका सहित कई अन्य देशों को आशंका है कि इन मिसाइलों का इस्तेमाल परमाणु हथियार ले जाने में किया जा सकता है।

UNSC के स्थायी सदस्यों में दिखा गहरा मतभेद

15 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में 13 वोट प्रस्ताव के पक्ष में तो 2 वोट इसके खिलाफ पड़े। उत्तर कोरिया के खिलाफ प्रतिबंध संबंधी किसी प्रस्ताव को लेकर UNSC के वीटो अधिकार वाले 5 स्थायी सदस्यों में इतने बड़े पैमाने पर मतभेद पहली बार दिखा। दरअसल, UNSC ने साल 2006 में उत्तर कोरिया के पहले परमाणु परीक्षण के बाद उस पर बहुत ही कड़े प्रतिबंध लगाए थे। सुरक्षा परिषद ने वक्त बीतने के साथ इन प्रतिबंधों को और सख्त कर दिया था। हालांकि इस बार रूस और चीन ने अमेरिका का साथ नहीं दिया और दोनों देश उत्तर कोरिया के खिलाफ प्रतिबंधो पर पूरी तरह अड़ गए। 

अमेरिका ने कहा, उत्तर कोरिया का कदम ‘खतरनाक’
अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने गुरुवार को प्रस्ताव पर मतदान से पहले UNSC के सदस्यों से एकजुटता की अपील की। उन्होंने इस साल उत्तर कोरिया द्वारा किए गए 6 ICBM की टेस्टिंग को ‘पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए खतरा’ करार दिया। ग्रीनफील्ड ने जोर देकर कहा कि दिसंबर 2017 में सुरक्षा परिषद द्वारा स्वीकार किए गए प्रतिबंध संबंधी पिछले प्रस्ताव में सदस्य देशों ने ICBM का परीक्षण जारी रखने पर उत्तर कोरिया को पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात और सीमित करने की प्रतिबद्धता जताई थी। हालांकि गुरुवार को UNSC में जो हुआ उसे देखकर साफ हो जाता है कि चीन और रूस ने तय कर लिया है कि वे अमेरिका के कदम को किसी भी कीमत पर सफल नहीं होने देंगे। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से दोनों देश ‘पक्के दोस्तों’ की तरह व्यवहार कर रहे हैं।

चीन ने नए प्रतिबंधों को लेकर जताया विरोध
उत्तर कोरिया ने अपना अंतरमहाद्विपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) कार्यक्रम 5 सालों के लिए निलंबित कर दिया था। हालांकि, ग्रीनफील्ड ने पिछले 5 महीनों में प्योंगयांग द्वारा किए गए मिसाइल प्रक्षेपण को ‘खतरा और चेतावनी’ करार देते हुए सुरक्षा परिषद से उसके खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया। वहीं, संयुक्त राष्ट्र में चीन के राजदूत झांग जून ने गुरुवार को प्रस्ताव पर मतदान से पहले उत्तर कोरिया के खिलाफ नए प्रतिबंधों को लेकर बीजिंग का विरोध दोहराया। झांग ने अमेरिका से प्रतिबंधों का सहारा लेने के बजाय उत्तर कोरिया के साथ बातचीत दोबारा शुरू करने को कहा।

यदि UNSC में प्रस्ताव पास हो जाता तो...
गुरुवार को यदि प्रस्ताव पेश हो जाता तो उत्तर कोरिया को कच्चे तेल का निर्यात 40 लाख बैरल प्रति वर्ष से घटाकर 30 लाख बैरल और परिष्कृत पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात 5,00,000 बैरल प्रति वर्ष से घटाकर 3,75,000 बैरल कर दिया जाता। इसके अलावा उत्तर कोरिया पर खनिज ईंधन, खनिज तेल और खनिज मोम का निर्यात करने पर प्रतिबंध लग जाता। इसके अलावा उत्तर कोरिया तंबाकू, घड़ियों और कई अन्य चीजों का निर्यात नहीं कर पाता। प्रस्ताव में उत्तर कोरिया द्वारा स्थापित लजारस समूह की वैश्विक संपत्ति जब्त करने की भी व्यवस्था की गई थी।

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