Friday, March 29, 2024
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नेपाल का होगा श्रीलंका जैसा हाल? दिखने लगे आर्थिक तंगी के संकेत, संकट से बचने के लिए कौन से कदम उठा रही सरकार?

नेपाल राष्ट्र बैंक के अनुसार, देश का विदेशी मुद्रा भंडार वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 11 महीने में 19.6 फीसदी घटकर 9.45 बिलियन अमेरिकी डॉलर पहुंच गया है। वहीं 2021 के जुलाई मध्य में ये 11.75 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

Shilpa Written By: Shilpa
Updated on: July 18, 2022 11:54 IST
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Image Source : PEXELS forex reserves

Highlights

  • नेपाल में विदेशी मुद्रा भंडार की कमी
  • सरकार ने डॉलर बचाने के लिए उठाए कदम
  • कार सहित कई सामान का आयात बैन

Nepal Economic Crisis: नेपाल लगातार विदेशी मुद्रा भंडार में भारी कमी का सामना कर रहा है। जिससे बचने के लिए सरकार ने कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। अगर सरकार के ये फैसले कारगर साबित नहीं हुए, तो ऐसी संभावना है कि नेपाल का भी श्रीलंका जैसा हाल हो सकता है। सरकार ने डॉलर बचाने के लिए अगस्त महीने तक 10 चीजों के आयात पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है। चीन की समाचार एजेंसी शिन्हआ की रिपोर्ट के अनुसार, ये प्रतिबंध वैसे तो अप्रैल के आखिर में लगाए गए थे। तब ऐसा माना जा रहा था कि इसका प्रभाव जुलाई मध्य तक रहेगा। यानी जब वर्तमान वित्त वर्ष खत्म होगा। हालांकि इसे एक महीने के लिए बढ़ा दिया गया है। 

समाचार एजेंसी आईएएनएस के आधिकारिक नोटिस के मुताबिक, अर्थव्यवस्था को आने वाले किसी भी खतरे से बचने के लिए भुगतान संतुलन और बाहरी वित्तीय स्थिति की रक्षा के लिए प्रतिबंध लगाया गया है। नेपाल गजट में रविवार को प्रकाशित नोटिस के मुताबिक, अगस्त तक 300 अमेरिकी डॉलर से अधिक कीमत वाले मोबाइल फोन और 150सीसी से बड़े इंजन वाली मोटरसाइकिल की एंट्री पर 30 बार रोक लगाई गई है। इस सामान में शराब, तंबाखू से जुड़े प्रोडक्ट, हीरा, 32 इंच से बड़े रंगीन टीवी सेट, जीप, कार और वैन, गुड़िया, खेलने वाले कार्ड और स्नैक्स भी शामिल हैं।

सरकार के पास नहीं हैं अधिक विकल्प

शिन्हुआ से बात करते हुए वरिष्ठ अर्थशास्त्री केशव आचार्या ने कहा, 'चूंकी विदेशी मुद्रा भंडार में कोई सुधार नहीं हो रहा है, सरकार के पास और अधिक विकल्प नहीं बचे हैं। सरकार के पास केवल गैर जरूरी सामान के आयात पर प्रतिबंध लगाने का विकल्प ही बचा है। जिससे विदेशी मुद्रा देश से बाहर जाने से बचेगी। इससे विदेशी मुद्रा भंडार की कमी की समस्या से निपटा जा सकेगा।' उन्होंने कहा कि राजस्व पर इस प्रतिबंध के प्रभाव के बावजूद, "हम सामान के अप्रतिबंधित आयात की अनुमति देकर देश को श्रीलंका जैसी हालत में खिसकने नहीं दे सकते।"

नेपाल राष्ट्र बैंक के अनुसार, देश का विदेशी मुद्रा भंडार वित्त वर्ष 2021-22 के पहले 11 महीने में 19.6 फीसदी घटकर 9.45 बिलियन अमेरिकी डॉलर पहुंच गया है। वहीं 2021 के जुलाई मध्य में ये 11.75 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। वहीं श्रीलंका की बात करें, तो ये देश भी विदेशी मुद्रा भंडार में आई कमी की वजह से अपने अब तक के सबसे बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। शुरुआत में सरकार ने गैर जरूरी सामान पर प्रतिबंध लगाया था, लेकिन ऐसा करने में काफी देरी की गई। जिसके चलते विदेशी मुद्रा इतनी ज्यादा कम पड़ गई कि ईंधन और दवा जैसा जरूरी सामान आयात करने तक के पैसे नहीं बचे। जिसके चलते लोगों का गुस्सा बढ़ता गया और वो सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए।

हालात बिगड़ने पर शुरुआत में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को छोड़ पूरी कैबिनेट ने इस्तीफा दे दिया था। फिर जिन्हें नया वित्त मंत्री बनाया गया, उन्होंने भी अगले दिन ही अपना पद छोड़ दिया। कुछ समय बाद प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने इस्तीफा के दबाव के चलते अपना पद छोड़ दिया। लेकिन राष्ट्रपति के पद से गोटबाया राजपक्षे इस्तीफा देने को तैयार नहीं थे। स्थिति तब और विकट हो गई, जब प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया। जिसके चलते गोटबाया राजपक्षे को देश छोड़कर भागना पड़ा। वह पहले मलेशिया गए और सिंगापुर। उन्होंने वहीं से स्पीकर को अपना इस्तीफा दिया। जिसके बाद प्रधानमंत्री रानिल विक्रमासिंघे को कार्यकारी राष्ट्रपति बनाया गया है। 

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