Thursday, December 11, 2025
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कैंसर जीन वाले स्पर्म का कोहराम! 197 बच्चे चपेट में, कुछ की हुई मौत; जानें क्या है डोनर का हाल

यूरोप में एक स्पर्म डोनर के TP53 जीन में दुर्लभ म्यूटेशन के कारण 197 बच्चों को कैंसर का खतरा हुआ, जिनमें से कुछ की मौत हो चुकी है। यह म्यूटेशन Li-Fraumeni सिंड्रोम का कारण बन सकता है, जिससे जीवनभर कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है।

Edited By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published : Dec 11, 2025 08:05 pm IST, Updated : Dec 11, 2025 08:05 pm IST
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Image Source : PIXABAY REPRESENTATIONAL डोनर का स्पर्म 14 अलग-अलग देशों में इस्तेमाल हुआ था।

कोपेनहेगन/लंदन: 197 बच्चों को जन्म देने में मदद करने वाले एक स्पर्म डोनर के शरीर में कैंसर का खतरा बढ़ाने वाला एक जेनेटिक म्यूटेशन था। ये सभी बच्चे यूरोप के अलग-अलग देशों में पैदा हुए थे और इनमें से कुछ बच्चे इस बीमारी से मर चुके हैं। हाल ही में हुई एक जांच में यह चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिससे यूरोप में स्पर्म डोनेशन के नियमों की बड़ी कमियां दिख रही हैं। डोनर खुद स्वस्थ है, लेकिन उसके TP53 नाम के जीन में एक रेयर म्यूटेशन है, जो Li-Fraumeni syndrome नाम की एक दुर्लभ बीमारी का कारण बन सकता है। यह सिंड्रोम व्यक्ति में कैंसर का खतरा बहुत बढ़ा देता है।

14 अलग-अलग देशों में इस्तेमाल हुआ स्पर्म

रिपोर्ट्स के मुताबिक, डोनर को स्पर्म डोनेट करते समय इस म्यूटेशन के बारे में पता नहीं था। मई में CNN ने रिपोर्ट की थी कि इस आदमी ने 8 यूरोपीय देशों में कम से कम 67 बच्चों को जन्म दिया है, लेकिन बुधवार को सामने आई एक बड़ी जांच से पता चला कि प्रभावित बच्चों की संख्या पहले से कहीं ज्यादा है। BBC के मुताबिक, यह नई संख्या फ्रीडम ऑफ इन्फॉर्मेशन रिक्वेस्ट और डॉक्टरों व मरीजों से इंटरव्यू के जरिए निकाली गई है। इस आदमी ने डेनमार्क के एक प्राइवेट स्पर्म बैंक, यूरोपियन स्पर्म बैंक (ESB) में स्पर्म डोनेट किया था। लेकिन उसका स्पर्म बाद में 14 अलग-अलग देशों की 67 क्लिनिक्स में इस्तेमाल हुआ।

ज्यादा हो सकती है प्रभावितों की संख्या

BBC ने कहा कि अंतिम संख्या इससे भी ज्यादा हो सकती है, क्योंकि सभी देशों से डेटा नहीं मिला है। यह पता नहीं है कि इन बच्चों में से कितनों में यह जेनेटिक म्यूटेशन गया है। लेकिन जितने बच्चों में यह गया है, उनमें से बहुत कम लोगों के कैंसर से बचने की संभावना रहेगी। क्लीवलैंड क्लिनिक के मुताबिक, इस कंडीशन वाले लोगों में 60 साल की उम्र तक एक या ज्यादा कैंसर होने का 90% खतरा होता है, और लगभग 50 फीसदी लोगों को 40 साल से पहले ही यह बीमारी हो जाती है। फ्रांस की Rouen University Hospital में बायोलॉजिस्ट एडविज कैस्पर ने मई में 'यूरोपियन सोसाइटी ऑफ ह्यूमन जेनेटिक्स' की सालाना कॉन्फ्रेंस में एक प्रेजेंटेशन दी थी। उसमें उन्होंने शुरू में 67 बच्चों की पहचान की थी।

अगली पीढ़ी में भी जा सकता है जीन

एडविज कैस्पर ने तब बताया कि 10 बच्चों में ब्रेन ट्यूमर और 'हॉजकिन लिम्फोमा' जैसे कैंसर डायग्नोज हुए थे, और 13 बच्चों में जीन मौजूद था लेकिन उन्हें अभी कैंसर नहीं हुआ था। ये बच्चे बढ़े खतरे की वजह से रेगुलर मेडिकल चेकअप की जरूरत रखते हैं, और उनके अपने बच्चों में यह जीन ट्रांसमिट होने का 50% चांस है। लंदन के इंस्टिट्यूट ऑफ कैंसर रिसर्च में कैंसर जेनेटिक्स की प्रोफेसर क्लेयर टर्नबुल ने बुधवार को CNN से कहा, 'Li-Fraumeni syndrome का डायग्नोसिस परिवार को अंदर से तोड़ने वाला है। इसकी वजह से पूरे जीवन में कैंसर का बहुत ज्यादा खतरा रहता है, जिसमें बचपन में कैंसर होने का बड़ा रिस्क शामिल है।'

यूरोपियन स्पर्म बैंक ने क्या कहा?

यूरोपियन स्पर्म बैंक की प्रवक्ता जूली पाउली बुत्ज ने इस मुद्दे पर बात करते हुए कहा, 'कंपनी इस केस के असर को जानती है और इस रेयर TP53 म्यूटेशन के कई परिवारों, बच्चों और डोनर पर असर से दुखी है। हमारी गहरी हमदर्दी उनके साथ है। ESB सभी डोनर्स की टेस्टिंग और इंडिविजुअल मेडिकल असेसमेंट करता है, जो मान्यता प्राप्त और वैज्ञानिक प्रैक्टिस और कानून के मुताबिक है।' बुत्ज ने कहा कि ESB एक सिंगल डोनर से पैदा होने वाले बच्चों की संख्या पर लिमिट लगाने की मांग का समर्थन करता है। इस मामले को देखते हुए स्पर्म डोनेशन की प्रक्रिया में ज्यादा सतर्कता और इंटरनेशनल रेगुलेशंस की मांग हो रही है, ताकि ऐसी मुश्किलें भविष्य में न हों।

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