Friday, May 03, 2024
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रूस-यूक्रेन युद्ध के 180 दिन पूरे, 15000 सैनिकों और 5587 आम नागरिकों की मौत तो 70 लाख लोग बेघर, भीषण तबाही के मंजर के आगे क्या?

Russia Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध के जल्दी खत्म होने के कोई आसार दिखाई नहीं दे रहे। रेड क्रॉस ने मंगलवार को चेतावनी जारी करते हुए बताया कि यूक्रेन संकट ने पूरी दुनिया की मानवीय व्यवसथा को झटका दिया है।

Shilpa Written By: Shilpa
Updated on: August 24, 2022 18:14 IST
Russia Ukraine War- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Russia Ukraine War

Highlights

  • रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी
  • लड़ाई को पूरे हुए हैं छह महीने
  • आज के दिन यूक्रेन पर हुआ था हमला

Russia Ukraine War: रूस की यूक्रेन के खिलाफ शुरू की गई जंग को आज छह महीने का वक्त पूरा हो गया है। इस जंग में न केवल यूक्रेन और रूस ने अपना काफी कुछ खोया है बल्कि पूरी दुनिया को भी अच्छा खासा नुकसान उठाना पड़ा है। यूक्रेन इस वक्त लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर है, रूसी सैनिकों को भारी नुकसान हो रहा है और बाकी दुनिया खाने की कमी, बढ़ती महंगाई, परामणु युद्ध के खतरे की आशंका और इस युद्ध से उत्पन्न अन्य चुनौतियों से जूझ रही है। जिसके जल्दी खत्म होने के कोई आसार दिखाई नहीं दे रहे। रेड क्रॉस ने मंगलवार को चेतावनी जारी करते हुए बताया कि यूक्रेन संकट ने पूरी दुनिया की मानवीय व्यवसथा को झटका दिया है और दुनियाभर में आपात स्थितियों पर प्रतिक्रिया देने के लिए संगठन की क्षमता पर इसका दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है।

इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ द रेड क्रॉस एंड रेड क्रिसेंट सोसाइटीज के अध्यक्ष फ्रांसेस्को रोक्का ने कहा कि इस युद्ध को छह महीने होने को हैं, इसने लोगों को मुश्किल वक्त में लाकर खड़ा कर दिया है। एक बयान में उन्होंने कहा कि जिस तरह से लड़ाई जारी है, "भोजन और ईंधन की बढ़ती कीमत और गहराते खाद्य संकट का प्रभाव केवल बढ़ रहा है।" तो चलिए अब जान लेते हैं कि इस युद्ध के क्या परिणाम रहे हैं।

सैनिकों और आम लोगों की मौत

मौत का असल आंकड़ा वास्तव में काफी अधिक होने की संभावना है, लेकिन जो आंकड़े उपलब्ध हैं, उनके अनुसार 24 फरवरी को जंग शुरू होने के बाद से 5587 आम नागरिकों की मौत हो गई है। जबकि 7890 लोग घायल हुए हैं। ओएचसीएचआर के अनुसार, अधिकतर नागरिकों की मौत रूस के हवाई, तोप और मिसाइल हमलों में हुई है। इसके अलावा 22 अगस्त को यूक्रेनी सशस्त्र बलों के कमांडर जनरल वैलेरी जालुज्नी ने बताया कि लड़ाई में करीब 9000 यूक्रेन के सैनिक मारे गए हैं। युद्ध शुरू होने के बाद ऐसा पहली बार है, जब सेना के किसी बड़े अधकारी ने मौत का आंकड़ा जारी किया है। हालांकि रूस के सैनिकों की मौत का आंकड़ा जारी नहीं हुआ है।

लेकिन अमेरिकी खुफिया जानकारी में बताया गया है कि यूक्रेन में रूस के 15000 सैनिकों की मौत हो गई है और तीन गुना ज्यादा घायल हो गए हैं। 1979 से 1989 तक अफगानिस्तान पर कब्जे के दौरान सोवियत संघ के जितने लोगों की मौत हुई, ये आंकड़ा उसी के बराबर है।  

यूक्रेनी लोगों को मजबूरन विस्थापित होना पड़ा

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संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी का कहना है कि 24 फरवरी के बाद एक तिहाई यूक्रेनियन, जिनकी संख्या 4.1 करोड़ से अधिक है, को अपने घरों को छोड़ना पड़ा है। जिसकी वजह से इस समय दुनिया की सबसे खराब मानव विस्थापन आपदा आ गई है। एजेंसी के आंकड़ों के मुताबिक, 66 लाख से अधिक यूक्रेनी शरणार्थी यूरोप के अलग-अलग देशों में चले गए हैं। सबसे अधिक आबादी पोलैंड गई है, इसके बाद रूस और जर्मनी का नंबर है, जहां बड़ी संख्या में यूक्रेनी लोग रहने के लिए गए हैं। 

यूक्रेन को अपनी जमीन से धोना पड़ा हाथ

रॉयटर्स के मुताबिक 2014 में क्रीमिया पर रूसी कब्जे के बाद यूक्रेन ने अपनी जमीन के 22 फीसदी हिस्से पर से नियंत्रण खो दिया है। उसने अपनी तटरेखा का एक बड़ा हिस्सा खो दिया है, उसकी अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गई है और रूसी बमबारी ने कुछ शहरों को वीरान कर दिया है। विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुमानों के अनुसार, 2022 में यूक्रेन की जीडीपी 45 फीसदी तक गिर जाएगी। प्रधानमंत्री डेनिस श्यामल के अनुसार, युद्ध के बाद के पुनर्निर्माण की पूरी लागत लगभग 750 अरब डॉलर होगी। यह बहुत अधिक भी हो सकती है।

रूस का काफी ज्यादा खर्च बढ़ा

यूक्रेन में युद्ध शुरू करने की वजह से रूस का काफी पैसा खर्च हुआ है, लेकिन कितना ये रूस ने नहीं बताया है। सेना और हथियारों पर आने वाले खर्च के अलावा रूस को पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का भी सामना करना पड़ रहा है। 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस ने वर्तमान में अपनी अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ी गिरावट देखी है। रूस की 1.8 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था के 2022 में 4-6 फीसदी तक गिरने की आशंका है, जो अप्रैल में सेंट्रल बैंक द्वारा बताई 8-10 फीसदी गिरावट की संभावना से कम है। 

रूस पर आर्थिक प्रभाव अब भी पड़ रहा है और पूरी तरह उसे समझ पाना मुश्किल है। वह पश्चिमी वित्तीय बाजारों तक पहुंचने में असमर्थ है, उसके अधिकतर अमीर लोगों पर प्रतिबंध लग गए हैं और उसे माइक्रोचिप्स जैसे कुछ सामान को प्राप्त करने में परेशानी हो रही है। 

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दुनियाभर में तेजी से बढ़ रही महंगाई

यूक्रेन पर हमले और रूस के खिलाफ पश्चिमी देशों के प्रतिबंध लगने की वजह से ऊर्जा, धातु, गेहूं, उर्वरक और अन्य वस्तुएं महंगी हो गई हैं। इससे खाद्य संकट खड़ा हुआ, जो मंहगाई का कारण बन रहा है। इससे पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है। सऊदी अरब के बाद रूस ही सबसे बड़ा तेल निर्यात करने वाला देश है। वह दुनिया का बड़ा प्राकृतिक गैस, गेहूं, नाइट्रोजन फर्टिलाइजर और पैलेडियम का निर्यातक देश भी है। यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद वैश्विक तेल की कीमतें 2008 के बाद सबसे अधिक हो गई हैं।   

रूस ने अपने तेल और गैस की कीमतों को कम कर दिया लेकिन पश्चिमी देशों ने उसके साथ व्यापार को सीमित कर लिया है, इस वजह से इन देशों में रहने वाले आम लोगों को तेल, गैस, और पेट्रोलियम उत्पादों की कमी और बढ़ते दामों की वजह से परेशानी हुई है। रूस ने खुद भी नॉर्ड स्ट्रीम 1 पाइपलाइन के माध्यम से जर्मनी को गैस भेजना बंद कर दिया था, जिसके बाद यूरोप में थोक पर मिलने वाली गैस की कीमतें बढ़ गईं। 

दुनियाभर की अर्थव्यवस्था को लगा झटका

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने वर्तमान में अनुमान जताया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में इस साल 3.2 फीसदी की बढ़त होगी, जो पिछले साल 6.1 फीसदी से नीचे और अप्रैल के 3.6 फीसदी, जनवरी के 4.4 फीसदी और अक्टूबर के 4.9 फीसदी के इसके पिछले अनुमानों से काफी कम है। आईएमएफ का अनुमान है कि वैश्विक विकास दर 2022 में 2.6 फीसदी रहेगी। यूरोप को रूसी गैस आपूर्ति की पूर्ण कटौती और रूसी तेल निर्यात में 30 फीसदी की गिरावट अगर रहती है, तो 2023 में 2 फीसदी के साथ विकास धीमा हो जाएगा। अगले साल यूरोप और अमेरिका में वृद्धि शून्य के करीब पहुंच सकती है।

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