Wednesday, April 24, 2024
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खूनी जंग: यूक्रेन ने कई रूसी सैनिकों को उतारा मौत के घाट, वजह बना स्मार्टफोन, जानें तबाही का पूरा सच

रूस और यूक्रेन की जंग को अगले माह एक साल पूरा हो जाएगा, लेकिन यह जंग नए साल में भी जारी है। साल के पहले ही दिन यूक्रेन ने स्मार्टफोन की लोकेशन के आधार पर रॉकेट से रूसी बैरक पर अटैक कर कई रूसी सैनिकों की जिंदगी छीन ली। जानिए क्या है पूरा कारण?

Deepak Vyas Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Published on: January 06, 2023 16:45 IST
Russia Ukraine War - India TV Hindi
Image Source : FILE Russia Ukraine War

पिछले साल फरवरी में शुरू हुई रूस और यूक्रेन की जंग नए साल में भी खत्म नहीं हुई है। इसी बीच यूक्रेन ने दावा किया उसने नए साल के दिन यानी 1 जनवरी 2023 को मकीव में एक बैरक को रॉकेट से उड़ाकर कई रूसी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया। इसका जवाब रूसी रक्षा मंत्रालय ने दिया, जो हैरान करने वाला है। रूसी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि स्मार्टफोन की वजह से यूक्रेन को रूसी सैनिकों की लोकेशन पता चल गई थी। जबकि रूसी सैनिकों को मोबाइल का इस्तेमाल करने की आधिकारिक रूप से पाबंदी है। 

वैसे तो स्मार्टफोन के कई खतरे बताए जाते हैं। अकेलेपन, रोड एक्सीडेंट, कई तरह की बीमारियों की वजह स्मार्टफोन को माना जाता है। लेकिन जंग के दौरान रूसी सैनिकों द्वारा स्मार्टफोन के इस्तेमाल का एक खतरनाक खतरा सामने आया है। दरअसल, सैनिकों की हर फोन कॉल, टेक्‍स्‍ट मैसेज या सोशल मीडिया पर रहने से दुश्‍मन सेना को उन्‍हें निशाना बनाने में मदद मिल सकती है। इसी का उदाहरण रूस यूक्रेन जंग में हाल ही में देखने को मिला। 

यूक्रेन ने हाल में दावा किया कि उसने 1 जनवरी 2023 को मकीव में एक बैरक को सिर्फ एक रॉकेट से टारगेट किया और सैकड़ों रूसी सैनिकों को मार गिराया। वहीं, रूस के अधिकारियों और सरकारी मीडिया से इस बारे में कई सवाल पूछे गए। इस पर रूस के रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को इसका जवाब दिया कि उनके सैनिक आधिकारिक पाबंदी का उल्‍लंघन करते हुए मोबाइल फोन का इस्‍तेमाल कर रहे थे। इससे यूक्रेन को उनकी लोकेशन पता कर उन्‍हें टारगेट करने में मदद मिली।

रूसी सैनिक यूक्रेन में भी कर रहे थे निजी फोन का इस्‍तेमाल

रूस के सैनिक पिछले साल यूक्रेन में घुसने के बाद से ना केवल मोबाइल फोन का इस्‍तेमाल कॉल के लिए कर रहे थे, बल्कि लगातार इंटरनेट का इस्‍तेमाल और सोशल मीडिया पर भी एक्टिव थे। इसका खामियाजा रूसी सैनिकों को भुगतना पड़ा हालांकि ये सिर्फ रूस की ही समस्‍या नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया की सेनाएं इस परेशानी से जूझ रही हैं। युद्ध के शुरुआती दौर में कुछ ऐसी जानकारियां सामने आई थीं कि रूसी सेनाएं अनसिक्‍योर्ड कम्‍युनिकेशंस पर ज्‍यादा भरोसा कर रही हैं। हालांकि, ज्‍यादातर रूसी यूनिट्स के पास सिक्‍योर रेडियो एक्विपमेंट थे। फिर भी वे ज्‍यादातर बार एक दूसरे से बातचीत के लिए निजी फोन का ही इस्‍तेमाल कर रहे थे। 

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