Wednesday, April 24, 2024
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पूरब में चमक बिखेरने के बाद अब "पश्चिमी देशों में भी दमकेगा नए भारत का सूर्य", अमेरिका ने की ‘नाटो प्लस’ में शामिल करने की सिफारिश

Dharmendra Kumar Mishra Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: May 27, 2023 10:03 IST
नरेंद्र मोदी, पीएम भारत- India TV Hindi
Image Source : PTI (FILE). नरेंद्र मोदी, पीएम भारत

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले अमेरिकी कांग्रेस की एक शक्तिशाली समिति ने भारत को ‘नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) प्लस’ में शामिल करने की सिफारिश करके दुनिया को चौंका दिया है। पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत साउथ-ईस्ट एशिया से लेकर यूरोप, अफ्रीका और आस्ट्रेलियाई देशों व गल्फ कंट्री में अपनी छवि की ब्रांडिंग कर चुका है। इस प्रकार पूरब के साथ ही साथ अब पश्चिमी देशों में भी नए भारत का सूर्य उम्मीदों की किरण बनकर दमक रहा है। शायद यही वजह है कि अमेरिका भी भारत को नाटो का हिस्सा बनाना चाहता है।

क्या है नाटो प्लस

नाटो प्लस (अभी नाटो प्लस 5) एक सुरक्षा व्यवस्था है जो नाटो और पांच गठबंधन राष्ट्रों ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान, इजराइल और दक्षिण कोरिया को वैश्विक रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए साथ लाती है। भारत को इसमें शामिल करने से इन देशों के बीच खुफिया जानकारी निर्बाध तरीके से साझा हो पाएगी और भारत की बिना किसी समय अंतराल के आधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकी तक पहुंच बन सकेगी। अमेरिका और चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के बीच सामरिक प्रतिस्पर्धा संबंधी सदन की चयन समिति ने भारत को शामिल कर नाटो प्लस को मजबूत बनाने समेत ताइवान की प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने के लिए एक नीति प्रस्ताव पारित कर दिया। इस समिति की अगुवाई अध्यक्ष माइक गालाघर और रैंकिंग सदस्य राजा कृष्णमूर्ति ने की।

अमेरिकी समिति ने कहा कि चीन को रोकने के लिए भारत का साथ जरूरी

अमेरिकी चयन समिति ने कहा, ‘‘चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ सामरिक प्रतिस्पर्धा जीतने और ताइवान की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका को हमारे सहयोगियों और भारत समेत सुरक्षा साझेदारों के साथ संबंध मजबूत करने की आवश्यकता है। नाटो प्लस में भारत को शामिल करने से हिंद प्रशात क्षेत्र में सीसीपी की आक्रामकता को रोकने और वैश्विक सुरक्षा मजबूत करने में अमेरिका तथा भारत की करीबी साझेदारी बढ़ेगी।’’ पिछले छह साल से इस प्रस्ताव पर काम कर रहे भारतीय-अमेरिकी रमेश कपूर ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि इस सिफारिश को राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकार कानून 2024 में जगह मिलेगी और अंतत: यह कानून बन जाएगा। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी अगले महीने अमेरिकी की राजकीय यात्रा पर आएंगे।

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