Wednesday, April 17, 2024
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Karwa Chauth 2020: महिलाएं आज सर्वार्थसिद्ध योग में रख रही हैं करवा चौथ का व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

करवा चौथ के दिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखकर शाम को चांद के दर्शन करके अर्ध्य देती हैं। जानिए करवा चौथ का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: November 04, 2020 13:11 IST
Karwa Chauth 2020: जानिए किस दिन पड़ रहा है करवा चौथ, साथ ही जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि- India TV Hindi
Image Source : INSTAGRAM/WOMENSBEAUTYOFFERS Karwa Chauth 2020: जानिए किस दिन पड़ रहा है करवा चौथ, साथ ही जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का त्योहार मनाया जा रहा है। आज महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखकर शाम को चांद के दर्शन करके अर्ध्य देती हैं। जिसके बाद ही वह अपना उपवास तोड़ती हैं। पूरे देश में यह त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। जानिए करवा चौथ का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि। 

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करवा चौथ का शुभ मुहूर्त

कार्तिक मास की कृष्ण पत्र की चतुर्थी तिथि 4 नवंबर को सुबह 3 बजकर 24 मिनट से शुरू होकर 5 नवंबर सुबह 5 बजकर 14 मिनट में समाप्त होगी। 

करवा चौथ का शुभ मुहूर्त- शाम 5 बजकर 34 मिनट से 6 बजकर 52 मिनट तक। 
चंद्रोदय- शाम 8 बजकर 12 मिनट पर। 

सर्वार्थसिद्धि योग: सूर्योदय से गुरुवार की भोर 4 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। 

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करवा चौथ की पूजा विधि

करवाचौथ पर महिलाएं चंद्रमा की पूजा करती हैं। इस दिन महिलाएं  चंद्रोदय पर चंद्रमा की पूजा संपन्न कर अपने पति के हाथ से पानी पीकर अपना व्रत खोलती हैं। कहा जाता है कि चांद देखे बिना व्रत अधूरा रहता है। चांद की पूजा से पहले कोई महिला न कुछ भी खा सकती हैं और न पानी पी सकती है। इस दिन महिलाएं ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान करती है। इसके बाद इस मंत्र का उच्चारण करके संकल्प लें-''मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये''।

इस दिन भगवान शिव, माता गौरी और गणेश जी की पूजा का विधान है। पूजा के लिए घर के उत्तर-पूर्व दिशा के कोने को अच्छे से साफ करके चौकी रखकर भगवान शिव, मां गौरी और  बगवान गणेश की प्रतिमा, तस्वीर स्थापित करे। मार्केट में करवाचौथ की पूजा के लिए कैलेंडर भी मिलते हैं, जिस पर सभी देवी-देवताओं के चित्र बने होते हैं। इस प्रकार देवी-देवताओं की स्थापना करके पाटे की उत्तर दिशा में एक जल से भरा लोटा या कलश स्थापित करना चाहिए और उसमें थोड़े-से चावल डालने चाहिए। अब उस पर रोली, चावल का टीका लगाना चाहिए और लोटे की गर्दन पर मौली बांधनी चाहिए। कुछ लोग कलश के आगे मिट्टी से बनी गौरी जी या सुपारी पर मौली लपेटकर भी रखते हैं। इस प्रकार कलश की स्थापना के बाद मां गौरी की पूजा करनी चाहिए और उन्हें सिंदूर चढ़ाना चाहिए।

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इस दिन चीनी से बने करवे का भी पूजा में बहुत महत्व होता है। कुछ लोग मिट्टी से बना करवा भी रख लेते हैं। आज के दिन चार पूड़ी और चार लड्डू तीन अलग-अलग जगह लेकर, एक हिस्से को पानी वाले कलश के ऊपर रख दें, दूसरे हिस्से को मिट्टी या चीनी के करवे पर रखें और तीसरे हिस्से को पूजा के समय महिलाएं अपने साड़ी या चुनरी के पल्ले में बांध लें। कुछ जगहों पर पूड़ी और लड्डू के स्थान पर मीठे पुड़े भी चढ़ाये जाते हैं। आप अपनी परंपरा के अनुसार चुनाव कर सकते हैं। अब देवी मां के सामने घी का दीपक जलाएं और उनकी कथा पढ़ें। इस प्रकार पूजा के बाद अपनी साड़ी के पल्ले में रखे प्रसाद और करवे पर रखे प्रसाद को अपने बेटे या अपने पति को खिला दें और कलश पर रखे प्रसाद को गाय को खिला दें। बाकी पानी से भरे कलश को पूजा स्थल पर ही रखा रहने दें। रात को चन्द्रोदय होने पर इसी लोटे के जल से चन्द्रमा को अर्घ्य दें और घर में जो कुछ भी बना हो, उसका भोग लगाएं। इसके बाद व्रत का पारण करें। 

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