Saturday, April 27, 2024
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Delhi News: JNU में फिर हंगामा, प्रेगनेंट असिस्टेंट प्रोफेसर ने लगाया उत्पीड़न का आरोप, कहा- कैंपस में हुई बेहोश, पति को भी धमकाया गया

Delhi News: दीक्षित ने आरोप लगाया कि छुट्टी लेने के बाद उन्हें और उनके पति को धमकी दी जा रही है। उन्होंने कहा कि अगर उनके होने वाले बच्चे को कोई नुकसान होता है, तो इसके लिए प्रशासन जिम्मेदार होगा।

Rituraj Tripathi Edited By: Rituraj Tripathi @rocksiddhartha7
Updated on: August 27, 2022 9:19 IST
JNU - India TV Hindi
Image Source : INDIA TV GFX JNU

Highlights

  • JNU प्रशासन पर प्रेगनेंट असिस्टेंट प्रोफेसर ने लगाया उत्पीड़न का आरोप
  • कहा- शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से प्रताड़ित और दंडित किया जा रहा
  • 'प्रशासन के अत्याचारों के कारण, मैं अपने विश्वविद्यालय परिसर में स्थित आवास पर बेहोश हुई'

Delhi News: दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की एक सहायक प्रोफेसर ने शुक्रवार को विश्वविद्यालय प्रशासन पर उनका अपमान करने, परेशान करने और धमकी देने का आरोप लगाया है। सहायक प्रोफेसर गायत्री दीक्षित 8 महीने की प्रेगनेंट हैं। ‘सेंटर फॉर अफ्रीकन स्टडीज’ में सहायक प्रोफेसर दीक्षित ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘मुझे लगातार शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से प्रताड़ित और दंडित किया जा रहा है। प्रशासन के अत्याचारों के कारण, मैं अपने विश्वविद्यालय परिसर में स्थित आवास पर बेहोश हो गई थी और 26 जुलाई को मुझे एंबुलेंस में अस्पताल ले जाया गया।’’

 दीक्षित ने आरोप लगाया कि छुट्टी लेने के बाद उन्हें और उनके पति को धमकी दी जा रही है। उन्होंने कहा कि अगर उनके होने वाले बच्चे को कोई नुकसान होता है, तो इसके लिए प्रशासन जिम्मेदार होगा। इस संबंध में प्रतिक्रिया लेने के लिए जब जेएनयू प्रशासन से बात करने की कोशिश की गई तो कोई जवाब नहीं मिला। 

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से न्याय की मांग

जेएनयू शिक्षक संघ (जेएनयूटीएफ) ने एक बयान में कहा कि प्रशासन को शिक्षकों की गरिमा को ठेस पहुंचाने के प्रयास से बचना चाहिए। बयान में कहा गया है कि उसने शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से सहायक प्रोफेसर को न्याय दिलाने का भी आग्रह किया है। जेएनयूटीएफ ने एक बयान में कहा, ‘‘इन कामों से न केवल पीड़िता को सदमा पहुंचा, बल्कि अजन्मे बच्चे की जान भी खतरे में पड़ गई। पीड़िता ने यह भी खुलासा किया है कि उसने थाने में शिकायत दर्ज कराई है।’’

जेएनयूटीएफ ने ये भी कहा, ‘‘हम महिला संकाय सदस्य और उनके परिवार के लिए सुरक्षा की मांग करते हैं।’’

जेएनयू वीसी के बयान पर भी हुआ था हंगामा

इससे पहले जेएनयू वीसी के बयान पर भी हंगामा हुआ था। जेएनयू की कुलपति शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित ने कहा था कि 'मानव-विज्ञान की दृष्टि से देवता उच्च जाति से नहीं हैं और भगवान शिव भी अनुसूचित जाति या जनजाति से हो सकते हैं।' दरअसल शांतिश्री 'डॉ. बीआर आंबेडकर्स थॉट्स आन जेंडर जस्टिस: डिकोडिंग द यूनिफॉर्म सिविल कोड’ टाइटल वाली व्याख्यान श्रृंखला में बोल रही थीं। इस दौरान उन्होंने ये भी कहा कि मनुस्मृति में महिलाओं को शूद्रों का दर्जा दिया गया, जो इसे काफी पीछे ले जाना वाला बनाता है। 

मनुस्मृति पर शांतिश्री ने कही ये बात

शांतिश्री ने मनुस्मृति को लेकर कहा कि मैं सभी महिलाओं को बताना चाहती हूं कि मनुस्मृति के अनुसार सभी महिलाएं शूद्र हैं। इसलिए कोई भी महिला ये दावा नहीं कर सकती कि वह ब्राह्मण या कुछ और है। जबकि महिला को जाति केवल पिता से या विवाह के जरिए पति की मिलती है। ऐसे में मुझे लगता है कि यहां कुछ ऐसा है जो असाधारण रूप से पीछे ले जाने वाला है। इस दौरान शांतिश्री ने एक 9 साल के दलित लड़के साथ हुई जातीय हिंसा का भी जिक्र किया और कहा कि कोई भी भगवान ऊंची जाति का नहीं है।

ब्राह्मण श्मशान में नहीं बैठते: शांतिश्री

शांतिश्री ने कहा कि हमारे देवताओं की उत्पत्ति को मानव विज्ञान की दृष्टि से जानना चाहिए। कोई देवता ब्राह्मण नहीं है और सबसे ऊंचा क्षत्रिय है। भगवान शिव भी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से होने चाहिए क्योंकि वह श्मशान में बैठते हैं और उनके पास कपड़े कम ही रहते हैं। इसके अलावा वह सांप भी रखते हैं। जबकि मुझे लगता है कि ब्राह्मण श्मशान में नहीं बैठ सकते हैं।

इसके अलावा शांतिश्री ने भगवान जगन्नाथ का मूल आदिवासी बताया। उन्होंने कहा कि हम भेदभाव को रखे हुए हैं, जोकि बहुत अमानवीय है। हिंदू कोई धर्म नहीं बल्कि जीवन जीने की एक पद्धति है और अगर ऐसा है तो आलोचना से क्यों डरें? उन्होंने ये भी कहा कि गौतम बुद्ध भेदभाव के मामले में हमें जगाने वाले पहले लोगों में से एक थे।

 

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