Friday, May 03, 2024
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भारत की डिजिटल यूनिवर्सिटी पर दुनियाभर की निगाहें, अगले साल जुलाई से हो सकती है शुरुआत

डिजिटल यूनिवर्सिटी न सिर्फ भारत के दूरदराज के इलाकों में सुलभ और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की अच्छी पहल है, बल्कि दुनिया के कई देशों की भी डिजिटल विश्वविद्यालय पर नजर है। कई अफ्रीकी देश चाहते हैं कि उनके देश को भी इस डिजिटल विवि की शिक्षा का सस्ते में लाभ प्राप्त हो जाए। पढ़ें डिटेल।

Deepak Vyas Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Updated on: December 26, 2022 16:58 IST
Digital University- India TV Hindi
Image Source : FILE Digital University

डिजिटल इंडिया को भविष्य के लिए उपयोगी मानते हुए इस दिशा में कई 'बड़े' काम किए जा रहे हैं। सरकारी दफ्तर, पंचायत, मंडियों तक का डिजिटलीकरण किया गया है। ऐसे में अब डिजिटल विश्वविद्यालय के जरिए अच्छी, सस्ती और सुलभ शिक्षा देने की पहल की जा रही है। 

डिजिटल विश्वविद्यालय के जरिए न सिर्फ शहरी और ग्रामीण इलाकों, बल्कि देश के दूरदराज के दुर्गम इलाकों में रहने वाले लोगों तक डिजिटल यूनिवर्सिटी के जरिए अच्छी शिक्षा मुहैया कराने की पहल भारत में की जा रही है। इस पहल को दुनिया के दूसरे देश भी अचंभे के साथ देख रहे हैं। 

फिलहाल इस अनूठी डिजिटल यूनिवर्सिटी की तैयारियां जिस गति से की जा रही हैं, उसे देखते हुए लग रहा है कि यह यूनिवर्सिटी जुलाई 2023 से शुरू हो सकती है। 

इस बीच दुनिया के दर्जनभर से ज्यादा देशों ने प्रस्तावित डिजिटल विश्वविद्यालय और डिजिटल माध्यम से शिक्षा देने की पहल को लेकर भारत से संपर्क साधा है।  इनमें बड़ी संख्या में अफ्रीकी देश भी शामिल है। इस बीच डिजिटल विश्वविद्यालय पर काम कर रहे शिक्षा मंत्रालय और यूजीसी से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक इस पूरा खाका तैयार कर लिया गया है।

इसके तहत इसके प्रमुख केंद्र आईआईटी मद्रास, दिल्ली यूनिवर्सिटी और इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू) होंगे। इसके अलावा इस विश्वविद्यालय का फोकस सिर्फ देश के बच्चों की अच्छी और सस्ती उच्च शिक्षा देने को लेकर नहीं होगा, बल्कि इसके दायरे में दुनियाभर के देशों को भी शामिल किया जाएगा। वैसे भी दुनिया के कई देशों ने इसे लेकर जिस तरह से  इंटरेस्ट लिया है, उसे देखते हुए शिक्षा मंत्रालय ने अपनी तैयारी तेज की है।

शिक्षा मंत्रालय के साथ दुनिया के कई देशों की उच्च स्तर पर बातचीत हो चुकी है। इनमें तंजानिया, मॉरिशस, घाना, जिम्बॉब्वे, मलावी और लाओस जैसे देश शामिल हैं। इन देशों ने बातचीत के दौरान अपनी जरूरतें भी साझा की हैं। इसके तहत वह उच्च शिक्षा से वंचित अपने दूर-दराज क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को डिजिटल तकनीक के जरिए पढ़ाना चाहती है। इन सभी देशों की भारत को लेकर रुचि इसलिए भी है, क्योंकि भारत में उन्हें कम खर्च में ही गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा मिलने का विश्वास है। जबकि दूसरे देशों की ओर यदि वे रूख करते हैं, तो उन्हें शिक्षा के लिए ज्यादा धनराशि खर्च करना पड़ेगी। 

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