Thursday, May 02, 2024
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ग्रेनेड, खंजर, विस्फोट, पिस्तौल... बापू को 6 बार मारने की हुई कोशिश, आखिर अंजाम तक कैसे पहुंची हत्या की साजिश?

महात्मा गांधी पर 1946 में हुए जानलेवा हमले के बाद उन्होंने एक सार्वजनिक प्रार्थना सभा में कहा था, मैंने कभी किसी को ठेस नहीं पहुंचाई। मैं किसी को भी दुश्मन नहीं मानता, इसलिए मुझे समझ नहीं आ रहा कि मेरी जान लेने की इतनी कोशिशें क्यों हुई हैं। मैं अभी मरने के लिए तैयार नहीं हूं।

Malaika Imam Written By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Updated on: January 30, 2024 21:37 IST
अंजाम तक कैसे पहुंची गांधी जी की हत्या की साजिश? - India TV Hindi
अंजाम तक कैसे पहुंची गांधी जी की हत्या की साजिश?

76 साल पहले आज ही के दिन भारत के राष्ट्रपिता और देश को आजाद कराने में अहम किरदार निभाने वाले मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या की साजिश आखिरकार कामयाब हो गई। उनकी शख्सियत से प्रभावित होकर लोग उन्हें 'महात्मा' कहते थे, तो वहीं कई लोग प्यार से उन्हें 'बापू' कहा करते थे। 1946 में हुए जानलेवा हमले के बाद महात्मा गांधी ने एक सार्वजनिक प्रार्थना सभा में कहा था, "मैंने कभी किसी को ठेस नहीं पहुंचाई। मैं किसी को भी दुश्मन नहीं मानता, इसलिए मुझे समझ नहीं आ रहा कि मेरी जान लेने की इतनी कोशिशें क्यों हुई हैं। मैं अभी मरने के लिए तैयार नहीं हूं।"

दरअसल, अहिंसा के पैरोकार रहे महात्मा गांधी के विचारों से उस दौरान कई लोग असहमत थे। आज भी उनके विचारों को लेकर एक तबका उनसे नफरत करता है। ऐसे ही कुछ लोगों ने 30 जनवरी, 1948 को महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी। इस दिन को भारत में 'शहीद दिवस' के रूप में मनाया जाता है। महात्मा गांधी पहले सत्याग्रह के बाद से ही लोगों के निशानों पर आ गए थे। 1917 के चंपारण सत्याग्रह के दौरान उन्हें मारने का पहला षडयंत्र एक अंग्रेज अफसर ने रचा था। बापू के चंपारण सत्याग्रह ने अंग्रेजों की नींद उड़ा दी थी। 

पहली बार मारने की कोशिश 

1917 के चंपारण सत्याग्रह से ब्रिटिश हुकूमत की परेशानियां बढ़ गई थी। वे लोगों के विरोध को दबा देना चाहते थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसी मंशा से ब्रिटिश मैनेजर इरविन ने एक दिन महात्मा गांधी और राजेंद्र प्रसाद को खाने पर बुलाया। उस दिन इरविन ने गांधी के लिए बतख मियां को दूध का गिलास देने का आदेश दिया। बतख मियां इरविन के यहां काम करता था। इरविन ने उससे दूध में जहर मिलाने को कहा था, लेकिन देशभक्त बतख मियां बापू का सम्मान करते थे, इसलिए उन्होंने महात्मा गांधी को दूध का गिलास देते हुए उसे नीचे गिरा दिया। साजिश का खुलासा तब हुआ जब एक बिल्ली गिरे हुए दूध को चाटकर मर गई। हालांकि, महात्मा गांधी ने हत्या के इस प्रयास को नजरअंदाज कर दिया और इरविन के खिलाफ शिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया।

पीएम मोदी ने शहीद दिवस पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी

Image Source : PTI
पीएम मोदी ने शहीद दिवस पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी

1934 में बाल-बाल बचे बापू 

इसके बाद 25 जून 1934 को महात्मा गांधी पुणे में ऐतिहासिक हरिजन यात्रा पर थे। ये अछूतों की मुक्ति, समानता और सम्मान के लिए आंदोलन था। उस दिन जब वो शहर के ऑडिटोरियम में भाषण देने के लिए पहुंचे, तो उन पर किसी ने ग्रेनेड फेंक दिया, लेकिन ये बम बापू से दूर फटा और उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचा। कहा जाता है कि ये ग्रेनेड गांधी विरोधियों ने फेंका था।

1944 में हाथ में खंजर लिए दौड़ा गोडसे

आगा खान पैलेस जेल में कैद के दौरान महात्मा गांधी को मलेरिया हो गया था। मई 1944 में उनकी रिहाई पर डॉक्टर ने उन्हें आराम करने की सलाह दी, तब बापू पुणे के पास एक पहाड़ी रिसॉर्ट में रुके। इस बीच, दर्जभर लोगों का एक समूह बापू के पास पहुंच गया और उनके खिलाफ एक हफ्ते तक विरोध प्रदर्शन किया। इस समूह में नाथूराम गोडसे भी था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक दिन शाम प्रार्थना सभा के दौरान नाथूराम गोडसे बापू की ओर हाथ में खंजर लिए दौड़े चला आया, लेकिन इससे पहले कुछ दुर्घटना होती, वहां मौजूद लोगों ने गोडसे को पकड़ लिया और उसके हाथ से चाकू फेंक दिया। महात्मा गांधी ने गोडसे को समझाने की कोशिश की और फिर उसे जाने दिया।

जिस ट्रेन में थे बापू, वो पत्थरों से टकराया

29 जून, 1946 की रात को पुणे के रास्ते में महात्मा गांधी को ले जा रही ट्रेन नेरुल और कर्जत स्टेशनों के बीच दुर्घटनाग्रस्त होने से बची। इंजन ड्राइवर ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि ट्रेन को पटरी पर पत्थर रखे हुए थे। इंजन पत्थरों से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हालांकि, ड्राइवर ने समय रहते इमरजेंसी ब्रेक लगा दिए, जिससे बड़ा हादसा टल गया। अगले दिन पुणे में एक सार्वजनिक प्रार्थना सभा में बोलते हुए बापू ने कहा, "भगवान की कृपा से मैं सात बार मौत के मुंह से बचा हूं। मैंने कभी किसी को ठेस नहीं पहुंचाई है। मैं किसी को भी दुश्मन नहीं मानता, इसलिए मुझे समझ नहीं आ रहा कि मेरी जान लेने की इतनी कोशिशें क्यों हुई हैं। कल मेरी हत्या करने का प्रयास असफल रहा। मैं अभी मरने के लिए तैयार नहीं हूं। मैं 125 साल की आयु तक जीवित रहना चाहता हूं।"

महात्मा गांधी की पुण्य तिथि

Image Source : PTI
महात्मा गांधी की पुण्य तिथि

बापू के प्रार्थना सभा में बम विस्फोट

नाथूराम गोडसे के आखिरी हमले से कुछ दिन पहले ही महात्मा गांधी पर जानलेवा हमला हुआ था। ये वाक्या 20 जनवरी, 1948 का है। उस शाम बिरला हाउस में शाम की प्रार्थना सभा के दौरान गांधी जहां बैठे थे, उससे कुछ मीटर दूर एक बम विस्फोट हुआ था। बम विस्फोट करने के तुरंत बाद मदनलाल पाहवा को अपराध स्थल से गिरफ्तार कर लिया गया। उसके कबूलनामे के अनुसार, बम विस्फोट गांधी की हत्या के प्रयास का हिस्सा था।

1948 का वो दिन जब नहीं रहे बापू 

वो दिन आया जब गांधी जी की हत्या के प्रयास आखिरकार सफल हुए। वो दिन 30 जनवरी 1948 था। बापू रोजाना की तरह दिल्ली के बिड़ला हाउस में शाम की प्रार्थना के लिए जा रहे थे। इसी नाथूराम दौरान गोडसे भीड़ में घुस गया। उसने गांधी जी के पैर छूने के बहाने करीब पहुंचा और फिर पिस्तौल निकाल कर तीन गोलियां छाती में दाग दी। मौके पर ही बापू की मौत हो गई। भीड़ ने गोडसे को पकड़ लिया। उसके पास से जो बंदूक बरामद हुई वो कोई आम पिस्तौल नहीं थी। ये एक दुर्लभ पिस्तौल थी, जिसका इस्तेमाल द्वितीय विश्वयुद्ध में ज्यादातर इटली और अन्य देशों द्वारा किया गया था। मई में गोडसे पर हत्या का मुकदमा चला और अगले साल नवंबर में उसे फांसी दे दी गई। महात्मा गांधी की हत्या वाले दिन जो हुआ उसे सुनकर आज भी लोगों का दिल दहल जाता है। 

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