Saturday, April 27, 2024
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लोकसभा चुनाव 2024: कांग्रेस चल रही चाल या RJD ने बिछाई बिसात? जानें, बिहार में कहां अटका महागठबंधन

बिहार में जहां एक तरफ NDA ने सीटों के बंटवारे के मुद्दे को सुलझा लिया है वहीं दूसरी तरफ महागठबंधन में अभी तक सीटों का बंटवारा ही नहीं हो पाया है और माथापच्ची अभी भी जारी है।

Vineet Kumar Singh Edited By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Updated on: March 26, 2024 14:52 IST
Lok Sabha Election, Bihar Lok Sabha Election, PM Election 2024- India TV Hindi
Image Source : PTI FILE बिहार में सीटों को लेकर आरजेडी और कांग्रेस में खींचतान जारी है।

पटना/नई दिल्ली: लोकसभा की 40 सीटें रखने वाले राज्य बिहार में इन दिनों सियासी पारा उफान पर है। एक तरफ जहां NDA ने इस राज्य में सीटों के बंटवारे से जुड़े मुद्दों को सुलझा लिया है, वहीं दूसरी तरफ महागठबंधन में बात पटरी पर बैठती नहीं दिख रही। बिहार में महागठबंधन में सीटों के बंटवारे का मामला अटका हुआ है। RJD कांग्रेस को ज्यादा सीटें देने को राजी नहीं है, इसलिए बात नहीं बन पा रही हैंष पूर्णिया, किशनगंज, औरंगाबाद, काराकाट, बक्सर और और कटिहार जैसी कुछ सीटों पर कांग्रेस दावेदारी कर रही है लेकिन RJD ने इन सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम तय कर लिए हैं।

कांग्रेस को 7 से ज्यादा सीटें देने को तैयार नहीं RJD

कांग्रेस में शामिल हो चुके पप्पू यादव ने तो यहां तक कहा है कि उन्होंने लालू यादव और कांग्रेस हाईकमान, दोनों को बता दिया है कि धरती छोड़ देंगे लेकिन पूर्णिया नहीं छोड़ेंगे। इसके बाद गठबंधन में टेंशन है। तेजस्वी यादव इसी मामले में कांग्रेस हाईकमान से फाइनल बात करने दिल्ली आए हैं। कांग्रेस, बिहार की 40 सीटों में से 15 पर चुनाव लड़ना चाहती थी, और बाद में कांग्रेस 9 सीटों पर आ गई। लेकिन RJD कांग्रेस को 7 से ज्यादा सीटें देने के लिए तैयार नहीं है। कई राउंड की बातचीत हो चुकी है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। कांग्रेस की नाराजगी इस बात को लेकर भी है कि सीट शेयरिंग फाइनल नहीं हुई है और RJD अपने नेताओं को सिंबल बांट रही है।

सुधाकर सिंह को बक्सर से टिकट मिलना तय

बता दें कि गया, नवादा, औरंगाबाद, जमुई, बांका, जहानाबाद और बक्सर की सीटों पर RJD अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर चुकी हैं। RJD ने गया से कुमार सर्वजीत, नवादा से श्रवण कुशवाहा, औरंगाबाद से अभय कुशवाहा और जमुई से अर्चना रविदास को सिंबल दे दिया है। इसी तरह तेजस्वी ने उजियारपुर से आलोक मेहता और बक्सर से सुधाकर सिंह को चुनाव लड़ने की तैयारी करने के लिए कह दिया है। सुधाकर सिंह, RJD के बिहार अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे हैं और जब नीतीश और RJD मिलकर सरकार चला रहे थे तब सुधाकर सिंह ने नीतीश के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोला हुआ था, जिसकी वजह से उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा था।

तारिक अनवर, मीरा कुमार की उम्मीदों पर फिरा पानी

RJD पहले ही क्लियर कर चुकी है कि पाटलिपुत्र से मीसा भारती और सारण से रोहिणी आचार्य चुनाव लड़ेंगी। इसी तरह RJD ने जितनी सीटों पर अपने कैंडीडेट्स को सिंबल बांटे हैं, उनमें से कई ऐसी हैं जहां पर कांग्रेस भी दावेदारी कर रही थी। जैसे कि औरंगाबाद से पूर्व सांसद निखिल कुमार कांग्रेस का टिकट चाहते थे लेकिन RJD ने JDU छोड़कर आए अभय कुशवाहा को औरंगाबाद से सिंबल दे दिया। इसी तरह पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार काराकाट सीट से अपने बेटे के लिए कांग्रेस का टिकट चाहती थीं, लेकिन RJD ने ये सीट CPI-ML को दे दी। कटिहार सीट से कांग्रेस महासचिव तारिक अनवर दावेदार थे, लेकिन RJD ने अपना कैंडीडेट उतार दिया। 

बेगूसराय से कन्हैया कुमार का भी पत्ता कटा!

बेगूसराय सीट से कांग्रेस अपने नेता कन्हैया कुमार को उतारना चाहती थी, लेकिन RJD ने ये सीट CPI को दे दी। कांग्रेस पूर्णिया, कटिहार और किशनगंज जैसी सीटें चाहती है, जहां मुसलमान वोटर्स की अच्छी खासी तादाद है, लेकिन RJD ये सीटें कांग्रेस को नहीं देना चाहती। कांग्रेस का इल्ज़ाम है कि उसको कमज़ोर सीटें दी जा रही हैं, लेकिन RJD का कहना है कि इन सीटों पर कांग्रेस के पास मजबूत उम्मीदवार ही नहीं हैं। RJD का तर्क है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पास उम्मीदवार नहीं थे, फिर भी वह ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ी और हार गई। इसी वजह से महागठबंधन को बहुमत नहीं मिल पाया और अब ये गलती दोबारा करना समझदारी नहीं है।

पप्पू यादव भी बने महागठबंधन में टकराव की वजह

पप्पू यादव भी RJD और कांग्रेस के बीच टकराव की वजह बन गए हैं। पप्पू यादव ने पिछले हफ्ते ही अपनी पार्टी को कांग्रेस में मर्ज कर दिया। कांग्रेस ज्वाइन करने से पहले पप्पू यादव, लालू और तेजस्वी से भी मिले थे। उन्होंने लालू को अपना गार्जियन बताया था, लेकिन लालू ने पप्पू यादव के लिए पूर्णिया सीट छोड़ने से इनकार कर दिया है, जबकि पप्पू यादव पूर्णिया से ही चुनाव लड़ने पर अड़े हैं। हकीकत यही है कि बिहार में मोदी विरोधी मोर्चे की जो भी ताकत है, उसमें लालू यादव की RJD सबसे मजबूत पोजिशन में है, चुनाव में हार जीत लालू यादव के सपोर्ट बेस पर निर्भर है। कांग्रेस का वैसे भी बिहार में कोई खास प्रभाव नहीं बचा है क्योंकि पार्टी के पास यहां न संगठन है, न नेता।

फूंक-फूंक कर हर कदम रख रहे हैं लालू यादव

नीतीश कुमार के पलटी मारने से जले लालू यादव अब फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं। वह कांग्रेस से एडजस्टमेंट करने को तैयार हैं। वह पप्पू यादव को भी स्वीकार कर सकते हैं, लेफ्ट पार्टी को भी एडजस्ट करने को तैयार हैं, लेकिन इन सबसे ऊपर है सीटें जीतने की कोशिश। इसीलिए कांग्रेस के साथ बातचीत अटकी हुई है और सीटें फाइनल नहीं हो पा रही हैं। हालांकि लालू जिन-जिन को लड़ाना चाहते हैं उनको इशारा दे दिया है, और वे लोग लालटेन लेकर मैदान में उतर गए हैं।

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