Monday, April 29, 2024
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17 साल बाद हत्या का खुलासा, इंश्योरेंस के 80 लाख के लिए रचा था अपनी मौत का झूठा नाटक

31 जुलाई 2006 को आगरा के रकाबगंज थाने ने दुर्घटनावश मौत का एक मामला दर्ज किया था, जब एक दुर्घटना के बाद एक कार में आग लगने से कार चालक की मौत हो गई थी।

Malaika Imam Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Updated on: November 08, 2023 22:28 IST
प्रतीकात्मक फोटो- India TV Hindi
Image Source : REPRESENTATIVE IMAGE प्रतीकात्मक फोटो

एक शख्स ने बीमा के 80 लाख रुपये पाने के लिए अपनी मौत का झूठा नाटक रचा। उसने 17 साल पहले एक भिखारी की हत्या कर दी। इसके बाद वह पिछले 17 सालों से अपनी एक नई पहचान के साथ गुजरात में रह रहा था। मामले का खुलासा होने के बाद उत्तर प्रदेश के शख्स को अहमदाबाद से गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने बताया कि एक विशेष सूचना पर कार्रवाई करते हुए अपराध शाखा के अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले के भट्टा-पारसौल गांव निवासी 39 वर्षीय अनिल सिंह चौधरी अहमदाबाद शहर के निकोल इलाके से गिरफ्तार कर लिया। 

नाम बदल कर राजकुमार चौधरी रखा

पुलिस की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया कि 31 जुलाई 2006 को आगरा के रकाबगंज थाने ने दुर्घटनावश मौत का एक मामला दर्ज किया था, जब एक दुर्घटना के बाद एक कार में आग लगने से कार चालक की मौत हो गई। चालक की शिनाख्त उस वक्त अनिल सिंह चौधरी के तौर पर की गई थी और पहचान उसके पिता ने की थी। इसमें कहा गया कि हाल में अहमदाबाद अपराध शाखा को अपने स्रोतों से पता चला कि अनिल सिंह चौधरी जीवित है और उसने अपना नाम बदल कर राजकुमार चौधरी रख लिया है और निकोल क्षेत्र में रह रहा है। 

2004 में दुर्घटना मृत्यु बीमा पॉलिसी ली 

पुलिस ने बताया कि गिरफ्तारी के बाद चौधरी ने कबूल किया कि उसने और उसके पिता ने मौत का झूठा नाटक रचकर बीमा का पैसा पाने की योजना बनाई थी। योजना के मुताबिक, अनिल सिंह चौधरी ने 2004 में एक दुर्घटना मृत्यु बीमा पॉलिसी ली और फिर एक कार खरीदी। विज्ञप्ति में कहा गया कि इसके बाद अनिल सिंह चौधरी, उसके पिता और भाइयों ने ट्रेन में भीख मांगने वाले एक भिखारी को भोजन का लालच दिया। ये लोग उस भिखारी को आगरा के पास एक होटल में ले गए और उसे नशीला पदार्थ मिला भोजन दिया। 

भिखारी को कार में बैठा बिजली के खंभे से टकरा दिया

पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने इसके बाद बेसुध भिखारी को कार में बैठा दिया और कार को जानबूझ कर बिजली के खंभे से टकरा दिया, ताकि ये दुर्घटना लगे। पुलिस ने कहा कि उन्होंने भिखारी को चालक की सीट पर बिठा दिया और कार को आग लगा दी, ताकि ये लगे कि दुर्घटना से कार में आग लगी है। अनिल सिंह चौधरी के पिता विजयपाल सिंह ने शव की पहचान अपने बेटे के रूप में की और गौतमबुद्ध नगर जिले में अपने पैतृक गांव में उसका अंतिम संस्कार कर दिया। 

कभी उत्तर प्रदेश में अपने पैतृक गांव नहीं गया

पुलिस ने कहा कि योजना के अनुसार, विजयपाल सिंह चौधरी ने अपने बेटे की दुर्घटना मौत बीमा के 80 लाख रुपये का दावा कर राशि प्राप्त की और परिवार के सदस्यों के बीच राशि बांट ली गई। विज्ञप्ति में कहा गया है कि अपना हिस्सा लेने के बाद अनिल सिंह चौधरी 2006 में अहमदाबाद आ गया और फिर कभी उत्तर प्रदेश में अपने पैतृक गांव नहीं गया। विज्ञप्ति में कहा गया कि उसने अपना नाम बदलकर राजकुमार चौधरी रख लिया और इसी नाम से ड्राइविंग लाइसेंस और आधार कार्ड भी हासिल कर लिया। उसने अपनी आजीविका के लिए लोन पर एक ऑटो-रिक्शा और फिर एक कार खरीदी। बयान में कहा गया कि अनिल सिंह कभी अपने गांव नहीं गया और न ही उसने कभी अपने परिजन से फोन पर संपर्क किया। इसमें कहा गया कि उसे आगे की कार्रवाई के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस को सौंपा जाएगा।

- PTI इनपुट के साथ

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